इस वर्ष का डॉ. स्वामी राम मानवता पुरस्कार मिलेगा अलवर के तरूण भारत संघ को
जौलीग्रांट (देहरादून)। हिमालयन इंस्टिट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट (एचआईएचटी) के संस्थापक डॉ. स्वामी राम का 28वां महासमाधि दिवस 13 नवंबर को मनाया जाएगा। इस अवसर पर सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित अलवर (राजस्थान) की संस्था ‘तरुण भारत संघ’ को ‘डॉ. स्वामी राम मानवता पुरस्कार-2023’ प्रदान किया जाएगा।
डॉ. स्वामी राम के 28वें महासमाधि दिवस पर 13 नवंबर को जौलीग्रांट में होगा समारोह

एचआईएचटी की अध्यक्षीय समिति के सदस्य व स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) जॉलीग्रांट के कुलाधिपति डॉ. विजय धस्माना ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ट्रस्ट के संस्थापक डॉ. स्वामी राम का 28 वां महासमाधि दिवस समारोह भव्यता के साथ आयोजित किया जाएगा। समारोह को सफल बनाने के लिए संस्थान में व्यापक तैयारियां की जा रही हैं। पद्मश्री स्वामी भारत भूषण (योगी) समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे। उन्होंने बताया कि इस वर्ष पुरस्कृत किए जा रहे तरूण भारत संघ ने पर्यावरण व जल संरक्षण, जैविक खेती, ग्राम स्वाराज्य के क्षेत्र में अतुलनीय कार्य किया है। पानी की किल्लत से जूझ रहे करीब 1000 गांवों में तरुण भारत संघ पानी पहुंचाने में कामयाब रहा। इस उपलब्धि के लिए संस्था को पुरस्कार स्वरूप गोल्ड मेडल, प्रशस्ति पत्र व 10 लाख रुपये नगद प्रदान किए जाएंगे। डॉ. धस्माना ने बताया कि समारोह में संस्थान से जुड़े कर्मचारियों को ‘उत्कृष्ट कर्मचारी पुरस्कार’ से सम्मानित करने के साथ ही एचआईएचटी के वार्षिक कैलेंडर-2024 का विमोचन भी किया जाएगा।
हिमालयन हॉस्पिटल के जरिए स्वास्थ्य सेवा ही नहीं दी, पूरे जौलीग्रांट क्षेत्र का कायाकल्प भी कर दिया डॉ. स्वामी राम ने
हरिद्वार-ऋषिकेश मार्ग पर 1990 के दशक के मध्य तक जौलीग्रांट एक छोटा सा गांव था। दूर तक खेत और चुनिंदा मकान। नजदीक ही एक छोटी सी हवाई पट्टी, जहां से यदाकदा ‘वायुदूत’ जैसी सेवाएं संचालित होती थीं। इसी जौलीग्रांट में डॉ. स्वामी राम 1994 में तत्कालीन उपलब्ध आधुनिकतम सुविधाओं से युक्त हिमालयन हॉस्पिटल की शुरूआत करते है। हालांकि, शुरूआत छोटे स्तर पर एक ट्रस्ट की स्थापना के साथ 1989 में ही हो चुकी थी, लेकिन संकल्प बड़ा था। मकसद, पहाड़ के दूर-दराज क्षेत्रों के लोगों को अस्पताल के माध्यम से स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराना था।
हिमालयन हॉस्पिटल के साथ लोगों को स्वास्थ्य सुविधा तो मुहैया हुई ही, पूरे जौलीग्रांट और आसपास के क्षेत्र का भी कायाकल्प हो गया। आज हिमालयन हॉस्पिटल और जौलीग्रांट, दोनों विस्तार पाते हुए विशाल आकार ले चुके हैं। डॉ. स्वामी राम ने विदेशों में भारतीय यौगिक क्रियाओं का प्रत्यक्ष प्रदर्शन करके दिखाया। उन्होंने बताया कि योग के माध्यम से बहुत से ऐसे काम किए जा सकते हैं, जिन्हें आधुनिक विज्ञान असंभव मानता है। स्वामी राम को लोग एक संत, समाजसेवी, चिकित्सक, फिलॉसफर और लेखक के रुप में भी जानते हैं। लेकिन, इन सबसे इतर उन्हें मानव सेवा के संदेश वाहक के रुप में भी जाना जाता है।
पौड़ी के तोली में हुआ था जन्म, पश्चिम को दिखाया योग और ध्यान का मार्ग
वर्ष-1925 में पौड़ी जनपद के तोली-मल्ला बदलपुर पौड़ी गढ़वाल में स्वामीराम का जन्म हुआ। किशोरावस्था में ही उन्होंने संन्यास की दीक्षा ली। 13 वर्ष की उम्र में ही विभिन्न धार्मिक स्थलों और मठों में हिंदू और बौद्ध धर्म की शिक्षा देना शुरू किया। 24 वर्ष की आयु में वह प्रयाग, वाराणसी और लंदन से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद कारवीर पीठ के शंकराचार्य पद पर आसीन हुए। गुरू के आदेश पर पश्चिमी सभ्यता को योग और ध्यान का मंत्र देने 1969 में अमेरिका पहुंचे। 1970 में अमेरिका में उन्होंने कुछ ऐसे परीक्षणों में भाग लिया, जिनसे शरीर और मन से संबंधित चिकित्सा विज्ञान के सिद्धांतों को मान्यता मिली। उनके इस शोध को 1973 में ‘इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका’, ‘ईयर बुक ऑफ साइंस’, ‘नेचर साइंस एनुअल’ और साल-1974 में ‘वर्ल्ड बुक साइंस एनुअल’ में प्रकाशित किया गया। स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित उत्तराखंड में विश्व स्तरीय चिकित्सा संस्थान बनाने का स्वामीराम ने सपना देखा था। अपने इसी सपने को आकार देने के लिए उन्होंने वर्ष-1989 में हिमालयन इंस्टीट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट (एचआईएचटी) की स्थापना की।
ग्रामीण क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सुविधाओं के पहुंचाने के मकसद से 1990 में रुरल डेवलपमेंट इंस्टीट्îूट (आरडीआई) और 1994 में जौलीग्रांट में हिमालयन अस्पताल की स्थापना की। डॉक्टरों की कमी को महसूस करते हुए स्वामी राम ने 1995 में मेडिकल कॉलेज स्थापित किया। नवंबर-1996 में स्वामी राम ब्रह्मलीन हो गए।
अब विजय धस्माना दे रहे एचआईएचटी संस्थापक के अधूरे सपनों को निरंतर विस्तार
स्वामी राम के ब्रह्मलीन होने के बाद उनके सपनों को साकार करने का जिम्मा उठाया ट्रस्ट के अध्यक्षीय समिति के सदस्य व स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) के कुलाधिपति डॉ. विजय धस्माना ने। डॉ. धस्माना ने वर्ष-2007 में कैंसर रोगियों के लिए अत्याधुनिक अस्पताल कैंसर रिसर्च इंस्टीट्îट (सीआरआई) की स्थापना की। साल-2013 में शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए जॉलीग्रांट में स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) की स्थापना की गई। इसके तहत विश्वविद्यालय के जॉलीग्रांट कैंपस और पौड़ी के तोली स्थित हिल कैंपस में सभी शिक्षण संस्थाएं संचालित की जा रही हैं।

