एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में 59 मेधावियों को राष्ट्रपति ने प्रदान किए स्वर्ण पदक
श्रीनगर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बुधवार को यहां चौरास स्थित हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के 11वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुईं और 59 छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक प्रदान किए। इस मौके पर उन्होंने उपाधि और मेडल प्राप्त करने वाले सभी छात्र-छात्राओं को शुभकामनाएं देते हुए उनसे राष्ट्र निर्माण और समाज निर्माण में सकारात्मक भूमिका के निर्वहन की अपेक्षा की।
दीक्षित हुए छात्र-छात्राओं से किया तीन प्रतिज्ञाएं करने का आह्वान
राष्ट्रपति ने छात्र-छात्राओं और शिक्षकों का आह्वान किया कि वे शिक्षा को समाज से जोड़ने का काम करें, जिससे समाज के अंतिम छोर पर बैठा व्यक्ति भी विकास की मुख्यधारा में शामिल हो सके। उन्होंने सभी दीक्षार्थियों से तीन प्रतिज्ञा लेने का आह्वान किया। एक, जीवन में जिनकी बदौलत वे आगे बढ़े हैं, उनके योगदान को नहीं भूलें। दूसरा, अपने नैतिक मूल्यों से कभी भी समझौता न करें। तीसरा, जो भी जीवन में शिक्षा प्राप्त की है, उसमें समाज का बड़ा योगदान होता है, इसलिए विकास की मुख्यधारा से जो लोग अभी तक वंचित है उनको भी विकास की मुख्यधारा में शामिल करने में अपना सहयोग करें। राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखंड ने हमेशा ही शिक्षा और ज्ञान को अधिक महत्व दिया है। उत्तराखंड को ज्ञान, विज्ञान, विवेकवान और शौर्य की भूमि बताते हुए उन्होंने कहा कि इस देवभूमि से अनेक प्रेरणास्रोत व्यक्तित्व ने जन्म लिया है, जिन्होंने देश-दुनिया का मार्गदर्शन किया।
साहित्य, संस्कृति, अध्यात्म और पर्यावरणीय क्षेत्र में उत्तराखंड के योगदान को सराहा
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में उत्तराखंड की कई हस्तियों का भी उल्लेख किया। उन्होंने हाल ही में सृष्टि लखेड़ा निर्मित डॉक्युमेंट्री ‘एक था गांव’ को नेशनल सिनेमा अवॉर्ड प्राप्त करने पर सृष्टि की सराहना की। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि साहित्य के क्षेत्र में भी उत्तराखंड की अनेक विभूतियों ने हिंदी साहित्य को गौरवान्वित किया है। जिसमें सुमित्रानंदन पंत, मंगलेश डबराल, गौरा पंत ‘शिवानी’, भक्तदर्शन आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक यात्रा और पर्यावरणीय सेवा के क्षेत्र में भी उत्तराखंड के योगदान की चर्चा करते हुए इसे सराहनीय बताया।
दीक्षांत, पढ़ाई का अंत नहीं, सतत शैक्षणिक जीवन का पड़ाव हैः राज्यपाल
दीक्षांत समारोह में राज्यपाल गुरमीत सिंह ने उपाधि और मेडल प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज से वे अपने जीवन के आगे की और बहुत महत्वपूर्ण यात्रा की शुरूआत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दीक्षांत, पढ़ाई का अंत नहीं है, बल्कि सतत शैक्षणिक जीवन की यात्रा का एक पड़ाव है। शिक्षा एक अंतहीन यात्रा के समान है, जो जीवन पर्यंत चलती रहती है।
ज्ञान की अविरल गंगा को प्रवाह्ति करने वाला संस्थान है गढ़वाल विश्वविद्यालयः मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी को हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह और विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती वर्ष की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में ज्ञान की अविरल गंगा को प्रवाहित करने वाले इस संस्थान में उपस्थित होकर वे स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।
उन्होंने हिमालय पुत्र स्व. हेमवती नंदन बहुगुणा का स्मरण करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय उनकी विकासवादी सोच का परिणाम है। दीक्षांत समारोह में गढ़वाल विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. योगेंद्र नारायण, कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल समेत कई प्रमुख लोग मौजूद रहे। इससे पूर्व दोपहर चौरास हेलीपैड पहुंचने पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का राज्यपाल गुरमीत सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, गढ़वाल के सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत आदि ने स्वागत किया।

