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देहरादून में बोले प्रशांत भूषण, लोकतांत्रिक संस्थाओं पर लगातार बढ़ रहे हमले, निराशा के माहौल में हैं उम्मीद की किरणें भी

देहरादून। सुप्रीम कोर्ट के सुप्रसिद्ध वकील और सोशल  एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण ने कहा कि मौजूदा दौर में संविधान और संवैधानिक संस्थाओं पर हमले तेज हो गए हैं। इस तरह के हमलों की चपेट में हमारी सभ्यता भी है। इन हमलों से जो तबाही होगी, उसका दंश हम सभी को झेलना होगा। उन्होंने कहा कि चौतरफा निराशा के माहौल में उम्मीद की किरणें भी हैं, हमें अपनी लड़ाई वहीं से शुरू करनी होगी।

ईवीएम में गड़बड़ी की जाती है या नहीं, यह स्पष्ट नहीं

वे शनिवार को नगर निगम के जुगमंदर ऑडिटोरियम में आयोजित सम्मेलन, ‘जीतेगा भारत-हारेगी नफरत’ में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में संबोधन कर रहे थे। सम्मेलन ‘जीतेगा इंडिया-बनेगा भारत अभियान’ की ओर से आयोजित किया गया। प्रशांत भूषण ने कहा कि मौजूदा सरकार लगभग हर संवैधानिक संस्था को कमजोर करने में जुटी हुई है। इनमें न्यायपालिका भी शामिल है और चुनाव आयोग भी। कैग पर भी सरकारी दबाव है, तो अन्य उन सभी संस्थाओं पर भी, जिन्हें सरकारी नियंत्रण से बाहर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार इन संस्थाओं को अपनी तरह से चला रही है। उन्होंने कहा कि ईवीएम पर लगातार शक जताया जा रहा है। हालांकि, ईवीएम में किसी तरह की कोई गड़बड़ी की जाती है या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है। लेकिन, मजबूत लोकतंत्र के लिए जरूरी है कि लोगों का शक दूर किया जाना चाहिए।

संविधान बचाने को उम्मीद की किरणों को पकड़ कर शुरू करें संघर्ष

उन्होंने कहा कि सरकार के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को दबाया जा रहा है। विरोध की आवाज आंदोलनों की तरफ से आए या विपक्ष से, पत्रकारों की तरफ से आए या स्वतंत्र चिंतकों की तरफ से, उसे दबाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि चौतरफा निराशा के माहौल में उम्मीद की किरणें भी हैं। इन किरणों को पकड़कर हम अपनी लड़ाई शुरू करें तो संविधान को बचाया जा सकता है। हमें सभी स्वतंत्र आवाजों को एकजुट करना होगा। मुख्य धारा का मीडिया बेशक सरकार के पक्ष में हो, लेकिन आज निष्पक्ष वैकल्पिक मीडिया तैयार हो गया है, जो मुख्य धारा के मीडिया से ज्यादा मजबूत हो चुका है। 

भाजपा के पास वैकल्पिक संविधान तैयार, सत्ता में आते ही बदल देगी: रवि चोपड़ा

इस अवसर पर पर्यावरणविद् डॉ. रवि चोपड़ा ने दावा किया कि यदि फिर से केंद्र में बीजेपी सरकार आई तो संविधान का बदलना तय है। उन्होंने कहा कि बीजेपी के पास वैकल्पिक संविधान तैयार है। तीसरी बार सत्ता में आते ही वे विरोध की आवाजों की चिंता किए बिना संविधान को बदल देंगे। 

भू-कानून, गैरसैंण राजधानी समेत कई मुद्दों पर जारी किया जनता का घोषणा पत्र 

राज्य सम्मेलन में सामाजिक संगठनों की ओर से जनता का घोषणा पत्र भी जारी किया गया। घोषणा पत्र अजय जोशी ने पढ़कर सुनाया। इसमें चुनाव प्रणाली में सुधार, आर्थिक समानता, प्रत्येक परिवार को घर, भू-बंदोबस्त, भू-कानून, वन प्रबंधन, जल प्रबंधन, बढ़ती बेरोजगारी, पर्यटन से स्थानीय लोगों को रोजगार, महिला अपराध, गैरसैंण राजधानी जैसे विभिन्न मुद्दों को शामिल किया गया है।  कांग्रेस की ओर से गरिमा दसौनी, सपा की ओर से डॉ. एसएन सचान, सीपीआई की ओर से समर भंडारी, सीपीएम की ओर से सुरेंद्र सिंह सजवाण, सीपीआई (एमएल) की ओर से इंद्रेश मैखुरी ने इस घोषणा पत्र पर सहमति दी।

सम्मेलन की शुरुआत सतीश धौलाखंडी, त्रिलोचन भट्ट, हिमांशु चौहान, नितिन मलेठा के जनगीत के साथ हुई। कमला पंत ने सम्मेलन की उद्देश्य बताते हुए उत्तराखंड की विभिन्न समस्याओं को सामने रखा। कार्यक्रम का संचालन अजय जोशी ने किया। सम्मेलन में उमा भट्ट, निर्मला बिष्ट, बीजू नेगी, राजीव लोचन साह, पूरन बर्थवाल, इस्लाम हुसैन, अरण्य रंजन समून, गीता गैरोला, दीपा कौशलम, दिनेश जुयाल, परमजीत सिंह कक्कड़, अतुल सती, शिवानी पांडे, प्रकाश रावत, नीलेश राठी, जीत सनवाल, जयकृत कंडवाल, जगदीश कुकरेती, रजिया बेग, आरिफ खान, आकाश भारती, बॉबी पंवार, सचिन थपलियाल, गजेन्द्र बहुगुणा, पद्मा गुप्ता, जाह्नवी तिवारी, जितेन्द्र भारती, अजय शर्मा, केशवानंद तिवारी,  विजय भट्ट, त्रिलोक सजवाण, शंभु प्रसाद मंमगाईं, राकेश अग्रवाल, अनंत आकाश, इंदु नौडियाल आदि मौजूद थे।

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