राज्य स्थापना दिवस समारोह से राज्य आंदोलनकारियों को दूर रखने का अफसरों का खेल विरोध के चलते हुआ फेल
देहरादून। वीरवार को उत्तराखंड राज्य का 24वां स्थापना दिवस मनाया जा रहा है। मुख्य समारोह देहरादून पुलिस लाइन स्टेडियम में आयोजित किया जाएगा, जिसमें राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू मुख्य अतिथि हैं। किंतु, स्थापना दिवस की पूर्व संध्या बीतने के बावजूद किसी भी राज्य आंदोलनकारी को समरोह के लिए निमंत्रण नहीं दिया गया। बुधवार देर शाम राज्य आंदोलनकारी मंच के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती ने इस संबंध में वीडियो जारी कर अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की, तब कहीं रात 8 बजे के आसपास पुलिस महकमे की ओर से आंदोलनकारियों को फोन और व्हॉट्एसप पर ई-कार्ड भेजकर आमंत्रित किए जाने की औपचारिकता पुलिस और प्रशासन की ओर से शुरू की गई।
पुलिस लाइन में होने वाले मुख्य समारोह में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू हैं मुख्य अतिथि
9 नवंबर 2000 को अनेक शहादतों और राज्य आंदोलनकारियों के सतत संघर्ष की परिणतिस्वरूप उत्तराखंड राज्य अस्तित्व में आया। तब से प्रत्येक वर्ष 9 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस मनाया जाता है। हर वर्ष इस अवसर पर पुलिस लाइन में रैतिक परेड आयोजित की जाती है। पुलिस विभाग इस आयोजन को करता है, जिसमें राज्यपाल व मुख्यमंत्री समेत कई विशिष्ट अतिथि शामिल होते हैं। इसी तरह संस्कृति विभाग की ओर से स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में कुछ रोज सांस्कृतिक संध्या आयोजित की जाती रही है। इस बार मुख्य समारोह (रैतिक परेड) में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू मुख्य अतिथि के तौर पर आंमत्रित हैं। सरकार, स्थानीय प्रशासन, पुलिस, संस्कृति विभाग सभी समारोहों की तैयारियों में जुटे हैं, लेकिन ‘ऊपर’ बैठे अधिकारियों ने उन राज्य आंदोलनकारियों को सिरे से नजरंदाज कर दिया, जिनके संघर्षों की बदौलत यह राज्य बना, यहां सरकार में लोग बैठ पाए और अधिकारी भी आसानी से शीर्ष तक पहुंच पा रहे हैं। अनदेखी का आलम यह रहा कि देर शाम तक किसी भी राज्य आंदोलनकारी या उनके नेतृत्वकर्ताओं को किसी तरह का कोई निमंत्रण पत्र नहीं भेजा गया।
आलोचना हुई तो रात 8 बजे शुरू की फोन और व्हॉट्सएप पर निमंत्रण की रस्मअदायगी
सरकार की नाक के नीचे राज्य आंदोलनकारियों को किस कदर उपेक्षित किया जा रहा है इसका बड़ा उदाहरण यह था कि पिछली सरकार में दर्जाधारी और राज्य आंदोलन में नेतृत्वकारी भूमिका में रहे गुजरे जमाने के डीएवी कॉलेज छात्रसंघ के ख्यातिप्राप्त पूर्व अध्यक्ष विवेकानंद खंडूरी को भी निमंत्रण नहीं दिया गया। खंडूरी लंबे समय से सत्तारूढ़ भाजपा का ही हिस्सा हैं। शाम करीब पांच बजे खंडूरी ने उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के प्रदेश प्रवक्ता व जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती से इस संबंध में चर्चा की, तो कुकरेती ने उन्हें अवगत कराया कि अब तक किसी भी आंदोलनकारी को निमंत्रण नहीं मिला है। इधर, इसके तुरंत बाद कुकरेती ने पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों से संपर्क कर गहरी नाराजगी जाहिर की। साथ ही वीडियो जारी कर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सरकार से आंदोलनकारियों की उपेक्षा के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को चिह्नित कर कार्रवाई की मांग की। इसके बाद रात 8 बजे के आसपास से आंदोलनकारियों को फोन और ई-कार्ड भेजे जाने का सिलसिला शुरू हुआ।
अधिकारियों का रवैया उत्तराखंड आंदोलनकारियों की निरंतर उपेक्षा करने वालाः कुकरेती
मंच के प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती का कहना है कि संस्कृति विभाग की ओर से भी इस बार कोई निमंत्रण नहीं मिला है। यह तक जानकारी नही ंकि वह कोई आयोजन कर भी रहा है अथवा नहीं। पिछले दो-तीन वर्षों से संसकृति विभाग के अधिकारियों का रवैया आंदोलनकारियों की उपेक्षा वाला ही रहा है। जबकि, संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज खुद उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति के स्व. इंद्रमणि बडोनी के साथ केंद्रीय संरक्षक रहे हैं। लेकिन, इससे भी ज्यादा गंभीर यह है कि इस बार पुलिस प्रशासन ने भी कोई निमंत्रण नहीं दिया। आपत्ति जताए जाने के बाद टेलीफोनिक निमंत्रण का सिलसिला शुरू हुआ, वह भी रात।
पहले पुलिस और संस्कृति विभाग दो-तीन दिन पूर्व घर भिजवाता था निमंत्रण पत्र, इस बार नहींः खंडूरी
मंच के प्रदेश महामंत्री रामलाल खंडूरी का कहना है कि जिन लोगों के संघर्ष से यह राज्य बना है, उनकी उनके अपने राज्य में अधिकारी इस तरह उपेक्षा कर रहे हैं, यह बेहद शर्मनाक है। हर वर्ष पुलिस की ओर से रैतिक परेड और संस्कृति विभाग की ओर से अलग-अलग दिन होने वाली सांस्कृतिक संध्या का निमंत्रण आंदोलनकारियों के घरों पर स्थापना दिवस से दो-तीन दिन पूर्व भेजा जाता था, लेकिन इस बार जब राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू आयोजन में मुख्य अतिथि हैं, तब ऐसे गरिमापूर्ण अवसर पर आंदोलनकारियों को नजरंदाज किया गया। बकौल खंडूरी, निमंत्रण की औपचारिकता पूरी करने भर के लिए अधिकारियों ने रात 8 बजे से एलआईयू कर्मी को आंदोलनकारियों को फोन करने पर लगाया। कुछ को व्हॉट्सएप पर ई-कार्ड भेजना शुरू किया गया है। अलबत्ता, संस्कृति विभाग की ओर से कोई निमंत्रण नहीं मिला। खंडूरी ने बताया कि आंदोलनकारी मंच की ओर से कलक्ट्रेट स्थित शहीद स्मारक परिसर में वीरवार पूर्वाह्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, सभा और सहभोज का आयोजन करके राज्य स्थापना दिवस उल्लासपूर्वक मनाया जाएगा।

