श्रीनगर क्षेत्र में आतंक का पर्याय बने ‘हत्यारे गुलदार‘ को पकड़ में न आने पर मारने के आदेश
देहरादून। पौड़ी जिले में श्रीनगर और उसके नजदीकी क्षेत्र में महज 24 घंटे के भीतर दो बच्चों की जान लेने वाले नरभक्षी गुलदार को अंतिम विकल्प के तौर पर नष्ट करने (मारने) के आदेश दे दिए गए हैं। बढ़ते जनाक्रोश को देखते हुए पौड़ी के डीएफओ की रिपोर्ट पर मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक समीर सिन्हा ने सोमवार शाम यह आदेश दिए।
आदेश में कहा गया है कि प्रभागीय वनाधिकारी, गढ़वाल वन प्रभाग, पौड़ी ने अवगत कराया है कि 3 फरवरी को शाम 6:30 से 7:30 बजे के बीच अंकित (उम्र-11 वर्ष) पुत्र राकेश सिंह, ग्राम-ग्वाड, पो०-खिर्स, पट्टी-चलणस्यूं, पौड़ी गढ़वाल पर गौशाला के सामने खेलते समय गुलदार ने हमला किया, जिसमें बालक की मृत्यु हो गई। इस घटना के बाद पुनः 4 फरवरी को अयान अंसारी (उम्र- 4 वर्ष) पुत्र सलामुद्दीन अंसारी, ग्लास हाउस रोड, श्रीनगर, पौड़ी गढ़वाल को रात लगभग 9:00 बजे गुलदार घर के आंगन से उठा कर लगभग 20 मीटर तक घसीटते हुए ले गया। परिजनों व आसपास के लोगों ने बालक को गुलदार के चंगुल से छुड़वाने का प्रयास किया, तो गुलदार ने काफी समय तक उसे नहीं छोड़ा। इस घटना में बालक की मृत्यु हो गई।

प्रभागीय वनाधिकारी के अनुसार, उक्त क्षेत्र में तैनात गश्ती टीम को गुलदार रात 2:00 बजे घटनास्थल पर फिर दिखाई दिया। तत्काल गुलदार को पकडने के लिए पिंजरा लगाने और आवश्यकता पड़ने पर ट्रेंकुलाइज करने की अनुमति दी गई। रात में गश्ती दल को गुलदार के गुर्राने की आवाज सतत सुनाई दी, जिससे गुलदार के उसी क्षेत्र में होने की पुष्टि हुई। आदेश में कहा गया कि दोनों घटनाओं के बीच की हवाई दूरी 9.2 किमी. है। घनी आबादी के क्षेत्र में गुलदार के इस प्रकार घात लगाकर हमला करना सामान्य व्यवहार नही है। दोनों घटनास्थलों के बीच की दूरी और हमला करने के तरीके के परीक्षण से उक्त दोनों हमले एक ही गुलदार के करने की प्रबल संभावना है।
आदेश में कहा गया कि वर्तमान विषम परिस्थिति में यह समाधान हो गया है कि उक्त गुलदार मानव जीवन के लिए खतरा हो गया है। ऐसे में जन सुरक्षा, विशेषकर बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए उक्त गुलदार को पिंजड़ा लगाकर पकड़ने अथवा ट्रैक्युलाईज करने के सभी प्रयास प्रभागीय वनाधिकारी सुनिश्चित करेंगे। यदि सभी प्रयासों के बाद भी गुलदार पकड़ा न जाए तो ऐसी दशा में अपरिहार्य परिस्थितियो में जन सुरक्षा, विशेष रूप से छोटे बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए इस चिह्नित गुलदार को अंतिम विकल्प के रुप में नष्ट करने की अनुमति प्रदान की जाती है।

