एसीएस ने कार्मिक विभाग को दिए दुर्गम-सुगम क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण के निर्देश
देहरादून। अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कार्मिक विभाग के अधिकारियों को सुगम-दुर्गम क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कई ऐसे स्थान हैं, जो 15-20 साल पहले तक अति दुर्गम या दुर्गम की श्रेणी में थे, लेकिन वर्तमान में सड़क व अन्य सुविधाओं की वजह से वे सुगम क्षेत्र में आ गए हैं। ऐसे में इन क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण किया जाना आवश्यक है।
नई स्थानांतरण नीति पर कर्मचारी संगठनों के साथ बैठक कर मांगे सुझाव
अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने नई स्थानांतरण नीति के संबंध में सचिवालय में प्रदेश के विभिन्न कर्मचारी-शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर उनके सुझाव लिए। एसीएस राधा रतूड़ी ने कहा कि कार्मिकांे के हितों का ध्यान रखने के साथ ही प्रदेश की जनता को बेहतर सुविधा मिले, इस उद्देश्य से नई स्थानांतरण नीति को लेकर सुझाव आमंत्रित किए जा रहे हैंं। बैठक के दौरान जिला कैडर, मंडल कैडर और प्रदेश कैडर के कार्मिकों को सेवाकाल में एक बार गृह जनपद में तैनाती, पदोन्नति और स्थानांतरण में काउंसलिंग कराने जैसे सुझाव प्राप्त हुए। अपर मुख्य सचिव ने सभी कर्मचारी संगठन के पदाधिकारियों से लिखित सुझाव शासन को देने का भी आग्रह किया।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने कहा, कई कार्यालय सुगम में और कार्यक्षेत्र दुर्गम
बैठक में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की ओर से उसके अध्यक्ष अरुण पांडेय और महामंत्री शक्ति भट्ट शामिल हुए। अध्यक्ष पांडेय ने बताया कि परिषद की ओर से मुख्य रूप से यह तथ्य उठाया गया कि विभिन्न विभागांे में स्थानांतरण एक्ट बनने के बावजूद उसका अनुपालन करने के बजाय मनमाने ढंग से स्थानांतरण किए जा रहे हैं। इसलिए, इसकी समीक्षा को सुचारू व प्रभावी व्यवस्था बनाए जाने की आवश्यकता है, जिससे इस तरह के कृत्यों पर नजर रखी जा सके। परिषद की ओर से मांग की गई कि ऐसे मामलों में जो कोई भी दोषी पाया जाता है, उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई भी सुनिश्चित की जाए। परिषद अध्यक्ष ने बैठक में अवगत कराया कि विभिन्न विभागों की ओर से स्थानांतरण एक्ट के अंतर्गत कार्यालय को दुर्गम या सुगम चिह्नित किया गया है। ऐसे में कार्यालय में कार्यरत कार्मिक के लिए तो यह ठीक है, लेकिन फील्ड के कर्मचारियों को इससे परेशानी होती है, क्योंकि उनका कार्यक्षेत्र विस्तृत होता है। इसकी वजह यह है कि कार्यालय तो अक्सर सुगम क्षेत्र में स्थापित कर दिए जाते हैंं, परंतु कार्यक्षेत्र का अधिकांश हिस्सा दुर्गम में ही होता है, इसलिए सुगम-दुर्गम का निर्धारण कार्य क्षेत्र के आधार पर किया जाना चाहिए। परिषद की ओर से दुर्गम भत्ते की भी मांग उठाई गई।
बैठक में अपर सचिव (वित्त) डॉ. वी. षणमुगम, अपर सचिव (कार्मिक) डॉ. ललित मोहन रयाल, अपर सचिव (शिक्षा) योगेंद्र यादव, अपर सचिव (न्याय) रजनी शुक्ला, अपर सचिव (स्वास्थ्य) अमनदीप कौर के साथ ही विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी मौजूद रहे।

