हां…तो बहनों-भइयों….आपका दोस्त अमीन सयानी अब आपसे विदा लेता है….
देहरादून। ‘हां…तो बहनों-भाइयों…अब सुनिए वह गीत…जो इस बार है दसवें पायदन पर…।’ करीब चार दशक तक 10 गीतों की एक-एक कड़ी पिरोते हुए ‘बिनाका गीतमाला’ प्रस्तुत करने वाली वह जादुई आवाज अब खामोश हो गई है। जाने-माने रेडियो प्रजेंटर अमीन सयानी नहीं रहे। 91 साल की उम्र में उन्होंने मुंबई में अंतिम सांस ली। 21 दिसंबर 1932 को बांबे में उनका जन्म हुआ था।
हर बुधवार की रात हिंदुस्तान भर को रहता था आजाज के जादूगर अमीन सयानी के बिनाका गीतमाला का इंतजार
वह हिंदुस्तान की आवाज थे। यह 50 से लेकर 80 तक के दशक थे। उनकी आवाज का इंतजार पूरे सप्ताह देशभर को रहता था। बुधवार की रात 8 बजे से ‘बिनाका गीतमाला’ आती थी। लेकिन, 8 बजे से पहले ही देश भर के रेडियो सेट ऑन हो जाते थे। पूरा परिवार रेडियो के आगे आ जुटता था। ये वह दौर था, जब रेडियो सेट भी ‘लाइसेंसी’ होता था। जिनके पास रेडियो सेट नहीं होते थे, बुधवार देर शाम उनका बैठकी रेडियो वाले पड़ोसियों के यहां लग जाया करती थी। ठीक 8 बजे ज्यों ही अमीन सयानी की आवाज गूंजती थी, हर ओर रेडियो पर गूंजते गीतों और उनकी आवाज के अलावा सब कुछ मौन हो जाता था। श्र्रोता मंत्रमुग्ध होकर गीतों से ज्यादा उनकी आवाज और उनके प्रस्तुतिकरण को सुनते थे।
पूरे चार दशक तक रेडियो से नियमित रूप से सुनाई देते रहे मंत्रमुग्ध करने वाली आवाज और अंदाज
रेडियो सीलोन से 3 दिसंबर 1952 को पहले-पहले बिनाका गीतमाला का प्रसारण हुआ। इसके पहले ही प्रसारण के साथ देश भर पर अमीन सयानी का जादू सा छा गया। पूरे 42 साल तक उनकी आवाज बिनाका (1986 से सिबाका) गीतमाला के जरिए देश को मंत्रमुग्ध किए रही। ये वह दौर था, जब न मोबाइल फोन थे-न टीवी चैनल्स। लिहाजा, लोगों के पास मनोरंजन के लिए खेलकूद और रेडियो ही आमतौर पर होता था। ऐसे वक्त में उन्हें सुनकर बच्चे प्रौढ़ हुए और प्रौढ़ वृद्ध। यानी, हर उम्र-हर पीढ़ी पर उनका जादू चलता रहा।
अमीन सयानी उम्र के आखिरी पड़ाव तक सक्रिय रहे। 54 हजार से ज्यादा रेडियो कार्यक्रमों और 19 हजार से अधिक जिंगल्स को उनकी आवाज मिली। कुछ फिल्मों में भी उनकी आवाज अथवा मौजूदगी रही। बावजूद इसके, उनका बिनाका गीतमाला मनोरंजन की दुनिया में अमर हो गया।