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महिला आंदोलनकारियों ने शहीद स्मारक में जीवंत की लोक संस्कृति

देहरादून। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के सांस्कृतिक मोर्चे की ओर से रविवार को कलक्ट्रेट स्थित शहीद स्मारक परिसर में उत्तराखंडी बोली-भाषा, लोकपर्वों और संस्कृति के विविध पक्षों से नई पीढ़ी को अवगत कराने के लिए सांस्कृतिक आयोजन किया गया। इसमें मोर्चा से जुड़ी महिलाओं ने इस बात पर जोर दिया कि किस तरह अपने पारंपरिक त्योहारों, लोकपर्वों, बोली-भाषा और रीति-रिवाजों का संरक्षण करते हुए इन्हें नई पीढ़ी तक पहुंचाया जाए।
कार्यक्रम में महिलाओं ने गढ़वाली-कुमाऊंनी भजन और लोकगीत गाए। वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी पुष्पलता सिलमाना व सांस्कृतिक मोर्चा की अध्यक्ष सुलोचना भट्ट ने कहा कि जिस प्रकार पहाड़ से पलायन हो रहा है, उसी तरह हमारी संस्कृति का भी पलायन न हो, इसलिए इस तरह के आयोजन किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वसंत के आगमन और फूलदेई से लेकर बैशाखी तक पहाड़ में उल्लास के पर्व मनाए जाते हैं। मेले-कौथिग होते हैं। कार्यक्रम के समापन पर सभी ने लोक पकवानों के साथ सहभोज में भागीदारी की।


इस मौके पर विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य के लिए तारा कबड़ियाल (उपाध्यक्ष, राघव बिहार कल्याण समिति), अदिति जुयाल (बैडमिंटन में गोल्डलिस्ट दिव्यांग), सुनीता शर्मा (समाज सेविका), दिलराज कौर (शूटिंग में गोल्ड मेडलिस्ट), उर्मिला महर, रेखा नेगी, सरोजिनी थपलियाल आदि को सम्मानित किया गया। मंच के प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन नेगी, प्रदेश महामंत्री रामलाल खंडूरी, जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती, सांस्कृतिक मोर्चा की सुनीता ढौंडियाल, सुशीला रावत, पार्वती नेगी, कमला शर्मा, राधा तिवारी, भुवनेश्वरी नेगी, अरुणा थपलियाल, लक्ष्मी बिष्ट, तारा पांडे, रेनू नेगी, सुलोचना गुसाईं, सुभागा फर्सवान समेत काफी आंदोलनकारी मौजूद रहे।

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