आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण की व्यवस्था का आंकलन कर इसे आगे बढ़ाएंगे: सीएम
मसूरी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यहां झूलाघर स्थित शहीद स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित कर उत्तराखंड राज्य आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने मसूरी गोलीकांड के शहीद आंदोलनकारियों के परिवारजनों को सम्मानित भी किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण प्रमाण पत्र बनाने के लिए 6 माह का अतिरिक्त समय दिया गया था। बहुत से जिलों में इस पर कार्य हुआ। उन्होंने घोषणा की कि इस व्यवस्था का को आगे बढ़ाया जाए, इसके लिए इसका दोबारा आंकलन किया गया है।

झूलाघर पर मसूरी गोलीकांड के शहीदों को दी श्रद्धांजलि
मसूरी गोलीकांड की बरसी पर शनिवार सुबह मुख्यमंत्री धामी शहीदों को श्रद्धांजलि देने झूलाघर पहुंचे। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड आंदोलनकारियों ने जिस उद्देश्य से अलग राज्य की मांग की थी, उसके अनुरूप ही राज्य को आगे बढ़ाने के लिए सरकार निरंतर कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री ने घोषणा मसूरी शहीद स्थल पर शेड के निर्माण की घोषणा भी की। उन्होंने कहा कि देहरादून जिले में चिह्नित सभी 4,164 राज्य आंदोलनकारियों को पहचान पत्र निर्गत किए गए हैं। राज्य आंदोलनकारियों को उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों में निःशुल्क परिवहन सुविधा प्रदान किए जाने की व्यवस्था की गई है। राज्य आंदोलनकारियों के अधिकतम दो बच्चों को राजकीय विद्यालयों और महाविद्यालयों में निःशुल्क शिक्षा सुविधा प्रदान की गई है। उन्होंने राज्य आंदोलनकारियों के लिए किए गए कार्यों की जानकारी भी दी।

इस अवसर पर केन्द्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्यमंत्री अजय भट्ट, पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला, मसूरी नगर पालिका परिषद् के अध्यक्ष अनुज गुप्ता, मसूरी नगर पालिका परिषद् के पूर्व अध्यक्ष मनमोहन मल्ल आदि मौजूद रहे।
…ऐसे घटित हुआ था मसूरी गोलीकांड
मसूरी के झूलाघर स्थित हॉल में उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति का अनशन और धरना-प्रदर्शन चल रहा था। 1 सितंबर 1994 को खटीमा में गोलीकांड हो चुका था, जिसमें कई आंदोलनकारी शहीद हुए थे। इससे मसूरी में भी गुस्सा था। अचानक 1 सितंबर की रात प्रशासन ने मसूरी में तत्कालीन थाना प्रभारी रमनपाल सिंह को हटाकर किशन सिंह तालान को थाना प्रभारी बना दिया। 2 सितंबर 1994 की तड़के मसूरी के झूलाघर पर उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति के अनशन स्थल पर पुलिस और पीएसी ने कब्जा कर वहां अपना कैंप बना लिया। संघर्ष समिति के नेताओं समेत 42 आंदोलनकारियों को गिरफ्तार कर यूपी की जेलों में भेज दिया गया। इसके विरोध में पूरा मसूरी सड़कों पर उतरा तो झूलाघर के नजदीक पुलिस और पीएसी ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग कर दी। इस गोलीकांड में हंसा धनाई, बेलमती चौहान, राय सिंह बंगारी, धनपत सिंह, बलबीर नेगी, मदन मोहन ममगाईं आदि छह आंदोलनकारी शहीद हो गए। पुलिस के तत्कालीन सीओ मसूरी उमाकांत त्रिपाठी की भी इस घटनाक्रम में जान चली गई थी। मसूरी में कई दिन कफ्र्यू रहा। पुलिस ने 14 आंदोलनकारियों को हत्या और हत्या के प्रयास जैसी 14 संगीन धाराओं में गिरफ्तार कर लिया। सीबीआई अदालत में इन आंदोलनकारियों के खिलाफ 10 साल तक मुकदमा चला। आखिरकार, साल-2004 में आंदोलनकारी आरोपमुक्त हुए।
देहरादून शहीद स्मारक परिसर में भी याद किए गए झूलाघर के बलिदानी

देहरादून कलक्ट्रेट स्थित शहीद स्मारक परिसर में भी राज्य आंदोलनकारियों ने मसूरी के झूलाघर पर 2 सितंबर 1994 को हुए गोलीकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति के जिलाध्यक्ष व अविभाजित यूपी में मसूरी के विधायक रहे रणजीत सिंह को भी उनकी पुण्यतिथि पर याद किया गया। इस अवसर पर पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशोक वर्मा ने कहा कि राज्य की प्राप्ति के लिए जिन वीरों ने अपने प्राणो की आहूति दी, उनके बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता। इसकी बदौलत ही हमें पृथक राज्य प्राप्त हुआ। उन्होंने रणजीत सिंह वर्मा को एक आदर्शवादी और सिद्धांतवादी व्यक्ति बताते हुए उनके साथ के संस्मरण साझा किए।
राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान ने कहा कि लंबे संघर्ष और शहादतों की बदौलत यह राज्य तो मिल गया लेकिन अभी बहुत कुछ होना बाकी है। राज्य आंदोलनकारियों के सपनों का उत्तराखंड भी बनना जरूरी है। उन्होंने भी स्व. रणजीत सिंह वर्मा को एक महान व्यक्तित्व बताया और श्रद्धा सुमन अर्पित किए। आंदोलनकारी ओमी उनियाल, पूरण सिंह लिंगवाल, मोहम्मद शाहिद, केशव उनियाल, प्रभात डंडरियाल, सरदार खान आदि ने भी शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित किए।

