पंचतत्व में विलीन हुआ उत्तराखंड का जननायक, खड़खड़ी में हुआ दिवाकर भट्ट का दाह संस्कार
हरिद्वार। राज्य आंदोलन के अद्वितीय नायक, उत्तराखंडी जनमानस के ‘फील्ड मार्शल’, यूकेडी के संस्थापक व पूर्व कैबिनेट मंत्री दिवाकर भट्ट का पार्थिव शरीर बुधवार दोपहर पंचतत्व में विलीन हो गया। खड़खड़ी में पतित पावनी गंगा के तट पर उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। इस जननायक को अंतिम विदाई देने के लिए दो पूर्व मुख्यमंत्रियों, दर्जनभर विधायकों-पूर्व विधायकों, प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों व दायित्वधारियों समेत सैकड़ों लोग पहुंचे।
सैकड़ों चाहने वालों ने गगनभेदी नारों के बीच दी अपने फील्ड मार्शल को अंतिम विदाई

सुबह पूर्व मंत्री दिवाकर भट्ट का पार्थिव शरीर शिवालिक नगर तरुण हिमालय स्थित आवास परिसर में जनता के दर्शनार्थ रखा गया। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, हरिद्वार के विधायक मदन कौशिक, पूर्व मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी, धनोल्टी के भाजपा विधायक प्रीतम पंवार समेत बड़ी संख्या में लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। उत्तराखंड क्रांति दल के शीर्ष नेता व पूर्व विधायक काशी सिंह ऐरी, दल के अध्यक्ष सुरेंद्र कुकरेती, महामंत्री शांति भट्ट आदि ने दिवंगत नेता के पार्थिव शरीर पर पार्टी का ध्वज चढ़ाया। करीब साढ़े 11 बजे दिवाकर की अंतिम यात्रा आरम्भ हुई। उनके पार्थिव शरीर को फूलों से सजे वाहन में रखा गया था, जिस पर उनकी फोटोयुक्त बैनर लगाए गए थे। युवाओं का जत्था वाहन में शव के साथ बैठा था।

सबसे आगे पुलिस वाहन शव यात्रा की एस्कॉर्ट करते हुए चल रहा था। उसके पीछे बड़ी संख्या में युवा, बुजुर्ग और महिलाएं, ‘जब तक सूरज चांद रहेगा- फील्ड मार्शल तेरा नाम रहेगा…,’ ‘दिवाकर भट्ट अमर रहें…’ और ‘ देखो- देखो कौन जा रहा-उत्तराखंड का शेर जा रहा…’ जैसे गगनभेदी नारों की गूंज करते हुए चल रहे थे। उनके पीछे पार्थिव शरीर ले जा रहा वाहन और वाहन के पीछे युवाओं का जत्था नारेबाजी करते चल रहा था। सबसे पीछे बड़ी संख्या में वाहनों का काफिला शामिल था। तरुण हिमालय से ऋषिकुल, हरकी पैड़ी बाजार, भीमगोडा होते हुए करीब पांच किलोमीटर से ज्यादा का रास्ता तय कर शव यात्रा दोपहर सवा एक बजे खड़खड़ी श्मशान पहुंची। बाजार में व्यापार मंडल की ओर से भी पार्थिव शरीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए।
अंतिम विदाई देने दो पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत दर्जनभर विधायक-पूर्व विधायक भी पहुंचे

खड़खड़ी में पहले से ही पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, पूर्व मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत, पूर्व मंत्री लाखीराम जोशी, विकासनगर के विधायक मुन्ना सिंह चौहान, डोईवाला के विधायक बृजभूषण गैरोला, देवप्रयाग के विधायक विनोद कंडारी, शिवालिक नगर के विधायक आदेश चौहान, लक्सर विधायक मो. शहजाद, ज्वालापुर के विधायक रवि बहादुर, नरेंद्र नगर के पूर्व विधायक ओम गोपाल रावत, यमुनोत्री के पूर्व विधायक केदार सिंह रावत, देहरादून के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रामशरण नौटियाल, टिहरी जिला पंचायत की सदस्य पुष्पा रावत, राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट, वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स, राज्य आंदोलनकारी सम्मान परिषद के उपाध्यक्ष सुभाष बड़थवाल, उक्रांद के संस्थापक सदस्य स्वामी दर्शन भारती आदि भी मौजूद थे। जबकि, काफी देर प्रतीक्षा करने के बाद खड़खड़ी से निकले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, कांग्रेस नेता धीरेन्द्र प्रताप व हरिद्वार के विधायक मदन कौशिक ने शवयात्रा के रास्ते में दिवंगत पूर्व मंत्री को विदाई दी।
डीएम-एसएसपी ने चढ़ाए पुष्पचक्र, पुलिस की गारद ने दिया गार्ड ऑफ ऑनर

शवयात्रा खड़खड़ी पहुंचने पर पुलिस गारद ने पूर्व मंत्री के पार्थिव शरीर को शस्त्र उल्टा कर अंतिम सलामी दी। हरिद्वार के डीएम मेयर दीक्षित और एसएसपी परमेंद्र डोभाल ने पुष्पचक्र अर्पित किए। दोपहर करीब दो बजे दिवाकर के पुत्र ललित भट्ट ने चिता को मुखाग्नि दी। आंदोलन के नायक की अंतिम यात्रा में राज्य आंदोलनकारी मंच के प्रदेश महामंत्री रामलाल खंडूरी, देहरादून जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती, मोहन रावत, राकेश थपलियाल, संतान रावत, मनोज ध्यानी, उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के अध्यक्ष बॉबी पंवार, दिनेश मास्टरजी, मोहित डिमरी, मूल निवास-भूकानून संघर्ष समिति के अध्यक्ष लूशुन टोडरिया, उक्रांद नेता लताफत हुसैन, शक्तिशैल कपरवान, श्रीकृष्ण भट्ट, जयप्रकाश उपाध्याय, आशीष नेगी, प्रमिला रावत, शकुंतला रावत, शैलेश गुलेरी, राजेंद्र प्रधान, बिजेंद्र रावत, राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के अध्यक्ष शिव प्रसाद सेमवाल, पूर्व सैनिक संगठन के पीसी थपलियाल आदि भी शामिल रहे।
खुद के आंसुओं को नहीं रोक पाए ऐरी, पूरे रास्ते पैदल शामिल हुए उक्रांद अध्यक्ष कुकरेती
उत्तराखंड क्रांति दल के शीर्ष नेता व पूर्व विधायक काशी सिंह ऐरी मंगलवार को दिवाकर भट्ट के निधन की सूचना मिलने के बाद से ही बेहद गमगीन हैं और बार-बार रो पड़ रहे हैं। सुबह तरुण हिमालय में अपने चार दशक पुराने साथी का पार्थिव शरीर देख कर वे खुद को रोक नहीं पाए और फफक पड़े। शवयात्रा में शामिल रहे ऐरी की आंखों से खड़खड़ी में पुष्पांजलि अर्पित करते वक्त भी अश्रुधारा बह रही थी। वहीं, उम्रदराज होने के बावजूद उक्रांद के अध्यक्ष सुरेंद्र कुकरेती करीब पांच किलोमीटर लंबे रास्ते में शवयात्रा में सबसे आगे पैदल ही चल रहे थे।
श्रद्धांजलि देने न सीएम पहुंचे-न कोई मंत्री, राजकीय शोक भी नहीं, छुट्टी का आदेश बहुत देर से
उत्तराखंड की स्थापना के संघर्ष में सदा नेतृत्वकारी भूमिका में रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री दिवाकर भट्ट को श्रद्धांजलि देने उनके आवास या खड़खड़ी श्मशान में न मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहुंचे और न उनके मंत्रिमंडल का कोई सदस्य। जो विधायक व दायित्वधारी पहुंचे, वे निजी हैसियत से पहुंचे। दिवाकर के निधन पर सुबह कैबिनेट की बैठक में दो मिनट का मौन रखा गया, लेकिन प्रदेश में राजकीय शोक घोषित नहीं किया गया। हरिद्वार जिले में सरकारी कार्यालयों में अवकाश का आदेश भी तब जारी हुआ, जब दिवाकर की अंतिम यात्रा निकल चुकी थी। लिहाजा, हरिद्वार जिले के तमाम दफ्तरों में अवकाश दोपहर हाफ डे के बाद ही हो पाया। इस उपेक्षापूर्ण रवैए को तरुण हिमालय से लेकर खड़खड़ी और सोशल मीडिया तक काफी नाराजगी दिखी।

