सशक्त भू-कानून और मूल निवास की अनिवार्यता के लिए सड़कों पर उतरे उत्तराखंडी
देहरादून। बुधवार को बड़ी संख्या में उत्तराखंडी राजधानी की सड़कों पर उतरे। मांग थी, मूल निवासियों के हक-हकूकों को सुरक्षित रखने के लिए उत्तराखंड में धारा-371 के प्रावधानों समेत हिमाचल जैसा सशक्त भू-कानून और साल-1952 को आधार मानते हुए मूल निवास की व्यवस्था लागू की जाए।
डेमोग्राफी में बदलाव और हक-हकूकों पर खतरे से मूलनिवासी आक्रोशित
अलग राज्य बनने के बाद से और खासकर पिछले कुछेक सालों में पहाड़ी जिलों समेत उत्तराखंड के जनसांख्यिकीय स्वरूप (डेमोग्राफी) में तेजी से बदलाव हुआ है। इसके साथ ही यहां का भू-स्वामित्व स्वरूप भी काफी हद तक बदल चुका है। सरकारों, निर्वाचित जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के एक वर्ग ने निहित स्वार्थों के चलते राज्य निर्माण के दौर की मूल जन-भावनाओं को पूरी तरह दरकिनार किए रखा है। धारा-371 और सशक्त भू-कानून की मांग की पूर्व में अनदेखी तो की ही गई, रही सही कसर पहले से लागू भू-कानून को पूर्व में सरकार ने प्रभावहीन करके पूरी कर दी। यही नहीं, अफसरों और नेताओं की बाहर से आई एक लॉबी के दबाव में पिछली सरकारों ने मूल निवास की व्यवस्था को खत्म करके उसके स्थान पर स्थायी निवास की व्यवस्था लागू कर दी और उसके लिए आधार वर्ष भी बदल दिया। इस सबसे हताश राज्य निर्माण आंदोलनकारियों व राज्य के मूलनिवासियों में गुस्सा लगातार बढ़ रहा है। जब-तब इस गुस्से का प्रदर्षन होता रहा है। लेकिन, अगस्त क्रांति दिवस (बुधवार) को यह जनाक्रोश एक बड़े रूप में राजधानी में दिखा।
कई जिलों और संगठनों से जुड़े लोग हुए कूच में शामिल
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच ने अगस्त क्रांति दिवस पर इन मांगों को लेकर मुख्यमंत्री आवास कूच का आह्वान किया था। मंच के आह्वान पर विभिन्न जनपदों से राज्य आंदोलनकारी परेड मैदान पर एकत्र हुए। उत्तराखंड क्रांति दल, उत्तराखंड बेरोजगार युवा संगठन, उत्तराखंड स्टूडेंट्स फेडरेशन, एनएसयूआई, देहरादून बार एसोशियन, पूर्व सैनिक संगठन, देवभूमि युवा संगठन, पहाड़ी स्वाभिमान सेना, भैरव सेना, अखिल भारतीय समानता मंच समेत विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि और पूर्व कर्मचारी नेता भी कूच के लिए परेड मैदान पहुंचे। परेड मैदान से दोपहर ‘सशक्त भू-कानून लागू करो’, ‘मूल निवास की अनिवार्यता लागू करो’ और ‘उत्तराखंड को बचाना है-सशक्त भूकानून और मूल निवास लाना है’, जैसे नारों के साथ प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री आवास के लिए मार्च शुरु किया।
आंदोलनकारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन नेगी, पूर्व कैबिनेट मंत्री व उक्रांद के पूर्व अध्यक्ष दिवाकर भट्ट, राज्य आंदोलनकारी सम्मान परिषद के पूर्व अध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप और पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशोक वर्मा आदि के नेतृत्व में राजपुर रोड, दिलाराम चौक, सालावाला होते हुए मुख्यमंत्री आवास की ओर बढ़ रहे प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने न्यू कैंट रोड पर काफी पहले ही रोक दिया। इसे लेकर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच काफी धक्का-मुक्की हुई। बाद में सिटी मजिस्ट्रेट प्रत्यूष कुमार ज्ञापन लेने पहुंचे। प्रदर्शनकारियों की ओर से बेरोजगार युवा संगठन के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने ज्ञापन पढ़कर सुनाया।
मंच की मांग, 1950 से पहले के सभी निवासी माने जाएं मूलनिवासी
इससे पहले हुई सभा राज्य आंदोलनकारी मंच क़े साथ ही विभिन्न संगठनों के नेताओं ने संबोधित किया। सभी ने एकसुर में कहा कि सरकारी सेवाओं और अन्य मामलों में पहले उत्तराखंड क्षेत्र के लोगों के लिए मूलनिवास प्रमाण पत्र की अनिवार्यता थी। यह व्यवस्था पुनः बहाल होनी चाहिए, ताकि यहां के मूल निवासियों के हक-हकूक सुरक्षित रह सकें। सभी ने यह स्पश्ट किया कि उत्तराखंड की सीमा के अंदर जो भी व्यक्ति साल-1950 या उससे पूर्व से निवास कर रहंे हैं, चाहे वे किसी भी धर्म, जाति या समाज का हो, उसे उत्तराखंड के मूल निवासी का अधिकार मिलना चाहिए। वक्ताओं ने दो टूक षब्दों में कहा कि अब किसी भी दषा में धारा-371 के प्रावधानों से युक्त हिमाचल सरीखे सशक्त भू-कानून से कम कुछ मंजूर नहीं किया जाएगा। इसलिए, सरकार जल्द से जल्द यह दोनों व्यवस्थाएं लागू करे, वरना इस पर्वतीय राज्य का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।
मुख्यमंत्री आवास कूच में मंच के प्रदेश महामंत्री रामलाल खंडूरी, जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती, यूएसएफ के गढ़वाल संयोजक लुशुन टोडरिया, डीएवी कॉलेज छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप जोषी, कुलदीप कुमार, संग्राम सिंह पुंडीर, अधिवक्ता पृथ्वी सिंह नेगी, बैंक इंप्लाइज यूनियन के पूर्व प्रदेष महामंत्री जगमोहन मेहंदीरत्ता, कर्मचारी नेता सुषील त्यागी, ओमवीर सिंह, मसूरी के वरिष्ठ आंदोलनकारी नेता जयप्रकाश उत्तराखंडी, मसूरी नगर पालिका के पूर्व सभासद देवी गोदियाल, विकासनगर के वरिष्ठ उक्रांद नेता सुरेंद्र कुकरेती, .ऋशिकेष के वरिष्ठ आंदोलनकारी नेता वेद प्रकाश शर्मा, रूद्रप्रयाग के उक्रांद नेता मोहित डिमरी, महिला नेत्री पुष्पलता सिल्माणा, उर्मिला शर्मा, सुलोचना भट्ट, राधा तिवारी, कौलागढ़ के पूर्व प्रधान अनुज नौटियाल, कांग्रेसी नेता आनंद बहुगुणा, आंदोलनकारी शांति भट्ट, मोहन खत्री, सुरेश नेगी समेत काफी लोग शामिल रहे।

