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उक्रांद बनाएगा ‘महाकाल सेना’, सशक्त भू-कानून और मूल निवास-1950 को खुला समर्थन, भावी एजेंडा भी किया साफ

देहरादून। उत्तराखंड क्रांति दल ने राज्य की बिगड़ती दशा-दिशा और यहां के मूल निवासियों के हक-हकूकों पर लगातार बढ़ते खतरे को देखते हुए अपने तेवर आक्रामक करने का फैसला किया है। इसके लिए दल ‘महाकाल सेना’ नाम से अपना अनुषांगिक संगठन बनाने जा रहा है। हालांकि, दल की ओर से पारित संकल्प में इसे सामाजिक-राजनीति संगठन ही बताया गया है। उक्रांद ने सशक्त भू-कानून और वर्ष-1950 को आधार मानते हुए मूल निवास की व्यवस्था अविलंब लागू करने की मांग की है। गौरतलब है कि इसी मुद्दे पर 24 दिसंबर को देहरादून में बड़ी रैली आहूत की गई है, जिसके आयोजकों में मोहित डिमरी, लुशुन टोडरिया समेत उक्रांद के कई युवा नेता भी शामिल हैं।

दल की केंद्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक में उक्रांद ने जहां विभिन्न प्रस्तावों में सरकार से मांग की है, वहीं पारित संकल्पों के जरिए अपना भावी एजेंडा भी साफ कर दिया। उक्रांद बूथ प्रबंध में सबसे कमजोर रहा है। लिहाजा, अब उसने ‘मेरा-बूथ मेरा संकल्प’ के नारे के साथ प्रत्येक पदाधिकारी को अपने-अपने बूथ की जिम्मेदारी लेने को कहा है। दल ने पूर्व सैनिकों के लिए विधानसभा की 10 सीटों का प्रावधान करने, उद्योगों में 80 फीसद जॉब स्थानीय लोगों को दिलवाने के साथ ही ‘महाकाल सेना’ के गठन का भी संकल्प लिया है।

केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अंतिम दिन पारित किए 35 प्रस्ताव, गैरसैंण राजधानी नं-1 पर

यहां जिला पंचायत सभागार में यूकेडी की केंद्रीय कार्यकारिणी की  बैठक आयोजित की गई। केंद्रीय अध्यक्ष पूरण सिंह कठैत की अध्यक्षता में आयोजित बैठक के दूसरे व अंतिम दिन मंगलवार को कुल 35 प्रस्ताव व आगामी लोकसभा व निकाय-पंचायत चुनावों के आलोक में संकल्प पारित किए गए। पहले तीन प्रस्तावों में उक्रांद ने सरकार से गैरसैंण को राज्य की स्थायी राजधानी घोषित करने, उत्तराखंड में अविलंब सशक्त भू-कानून लागू करने और मूल निवास-1950 लागू करने की मांग उठाई है।

राज्य में 72 नए शहरों के निर्माण और हर परिवार को 300 यूनिट मुफ्त बिजली का लिया संकल्प

 अन्य प्रस्तावों में उक्रांद ने राज्य में 21वीं सदी के अनुरूप की शिक्षा मुहैया कराने व प्रत्येक ब्लॉक में एक निःशुल्क बोर्डिंग स्कूल बनाने, स्वास्थ्य नीति में अत्याधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कराने, प्रदेश में 72 नए शहरों का निर्माण, घरेलू उपयोग के लिए 300 यूनिट तक बिजली मुफ्त मुहैया कराने, किसानों को मुफ्त सिंचाई की सुविधा प्रदान कराने का संकल्प लिया है। बड़े बांधों का विरोध करते हुए उक्रांद ने बहते पानी पर (रन द रिवर) बनने वाले छोटे बांधों का समर्थन किया है। 

बाहरी वाहनों पर ग्रीन टैक्स और धारचूला से यमुनोत्री तक सड़क निर्माण पर जोर

इसके साथ ही प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को रोजगार प्रदान करना, पर्यटन विकास व धारचूला से यमुनोत्री तक समस्त सीमांत क्षेत्र को जोड़ने के लिए सड़क निर्माण कराने, उत्तराखंड में बाहर से आने वाले वाहनों पर ग्रीन टैक्स का प्रावधान करने, सामूहिक फल पट्टी विकसित करने, चकबंदी लागू करने, सौर ऊर्जा को प्रोत्साहित करते हुए अतिरिक्त ऊर्जा पैदा करने के उपाय करने, ऊन उद्योग को विकसित करने और रिंगाल व बांस के उपयोग को प्रोत्साहित करने का भी उक्रांद ने संकल्प लिया है। 

एक नजर में ये हैं यूकेडी के अन्य संकल्प व प्रस्ताव

– राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार पर प्रहार और अब तक हुए भ्रष्टाचारों की जांच सुनिश्चित कराना।

-राज्य में उपलब्ध खनिजों की खोज और उसका वैज्ञानिक व संतुलित दोहन।

-उत्तराखंड व आसपास के प्रांतों से यात्राकाल में निजी कारों से यात्रा कराई जा रही है, जिस कारण प्रदेश को टैक्स का नुकसान हो रहा है और उत्तराखंड के टैक्सी संचालकों को काम नहीं मिल रहा। इसलिए, सशक्त नियमावली बनाकर बाहरी निजी वाहनों के संचालन पर रोक लगे।

-पर्वतीय क्षेत्रों में चिकित्सा व व्यावसायिक संस्थानों की स्थापना। 

-देवदूतों की दुर्घटना में मृत्यु होने पर 25 लाख का बीमा।

-गैस पूर्ण रूप से मुफ्त ही नहीं, अपितु गावों में घर-घर तक सिलेंडर पहुंचाने की व्यवस्था।

-पूर्व सैनिकों के लिए विधानसभा की 10 प्रतिशत सीटों का प्रावधान।

– गैरसैंण में शहीद स्मारक का निर्माण।

-बंदरों और सूअरों से प्रदेश को मुक्त कराना।

-प्रदेशवासियों को धार्मिक व पारंपरिक स्वतंत्रता प्रदान करना।

-उक्रांद के एक राजनितिक-सामाजिक संगठन ‘महाकाल सेना’ का निर्माण करना।

-प्रति विद्युत बिल पर ऊर्जा निगम के 100 रूपये सिक्योरिटी चार्ज का दल घोर विरोध करता है। सरकार अविलम्ब इस निर्णय को वापस ले।

– कर्मचारियों के लिए ओपीएस लागू कराना।

– सरकारी विभाग में निविदाओं नें शिथिलता करते हुए स्थानीय ठेकेदारों को निविदा देना सुनिश्चित किया जाना।

-धार्मिक स्थलों के कोरिडोर के नाम पर उत्तराखंड की संस्कृति को ख़त्म किए जाने की कोशिश को नाकाम करना।

-लैंड बैंक के नाम पर राज्य के स्थानीय निवासियों की भूमि को हड़पने का घोर विरोध करना।

-राज्य में स्थापित समस्त उद्योगों में उत्तराखंड के मूल निवासियों के लिए 80 फीसद रोजगार सुनिश्चित कराना।

 

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