देहरादून की दुर्दशा अब और बर्दास्त नहीं, शहर को बचाने के लिए एकजुट हुए दूनवासी
देहरादून। हरियाली और खुशगवार आबोहवा वाले सुकूनभरे देहरादून की बदहाली किसी से छिपी नहीं है। उत्तराखंड बनने के बाद से 23 वर्षों और खासकर पिछले कुछ सालों में श्स्मार्ट सिटी प्रोजेक्टश् के नाम पर शहर को बर्बाद कर दिया गया है। पर, अब दूनवासी और बर्दास्त करने को तैयार नहीं। वे दम तोड़ने पर मजबूर कर दिए गए अपने शहर को बचाने के लिए एकजुट हो रहे हैं। वे कुव्यवस्था के खिलाफ आरपार की लड़ाई शुरू करने की दिशा में भी बढ़ रहे हैं।
‘दून डिक्लेरेशन’ जारी करके होगी संघर्ष की शुरुआत, कॉर्डिनेशन कमेटी और पांच टीमें बनेंगी
इसकी शुरुआत राज्य स्थापना दिवस के आसपास श्दून डिक्लेरेशनश् जारी करके और श्चिंतन पदयात्राश् के साथ की जाएगी। इसके साथ ही दूनघाटी के तमाम सामाजिक संगठनों और आरडब्ल्यूए (रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन) को जोड़ते हुए आगामी कार्यक्रमों की रूपरेखा तय करने के लिए श्कोर्डिनेशन कमेटीश् के गठन का भी फैसला किया गया है। यही नहीं, शोध से लेकर सोशल मीडिया तक विभिन्न स्तरों पर काम करने के लिए 5 टीमों का भी गठन होगा।
संयुक्त नागरिक संगठन की पहल पर जुटे तमाम संगठन और सोशल एक्टिविस्ट्स
शहर के सवाल पर जनप्रतिनिधियों और राजनीतिक दलों की भूमिका, उनके मौन व निष्क्रियता से दूनवासी पूरी तरह निराश हो चुके हैं। यह निराशा अब आक्रोश में बदल रही है। इस आक्रोश की अभिव्यक्ति वीरवार को हरिद्वार रोड पर पुरानी जेल के नजदीक स्थित सिटी बैंक्वेट हॉल में आयोजित वृहद बैठक में हुई। बैठक की पहल संयुक्त नागरिक संगठन ने की। बैठक में राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों से लेकर तमाम सामाजिक संस्थाओं, संगठनों, आरडब्ल्यूए के प्रतिनिधियों के साथ ही पत्रकारों, पूर्व सैनिकों व सोशल एक्टिविस्ट्स ने शिरकत की। सभी ने इस बात पर गहरी चिंता व क्षोभ व्यक्त किया कि शहर पिछले कई वर्षों से खुदा हुआ है। लोगों की जिंदगी खतरे में डाली जा रही है। सड़कें, घरों-दुकानों से ऊंची कर दी गई हैं। पेड़ों का अंधाधुंध कटान हो रहा है। हेरिटेज भवनों को एक के बाद एक ध्वस्त किया जा रहा है। दूनवैली नोटिफिकेशन को खत्म कराने की साजिश सरकारी स्तर पर लगातार हो रही है। शहर को लेकर प्लानिंग दूनवासियों की सहभागिता के बिना की जा रही है। बैठक में देहरादून की धारण क्षमता ( कैरिंग कैपेसिटी) का आंकलन किए जाने पर भी जोर दिया गया।
देहरादून की धारण क्षमता का भी कराए सरकार आंकलनः अनूप नौटियाल
एसडीसी फांउडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने बैठक में उठे सवालों और आए सुझावों को संकलित करते हुए कहा कि एमडीडीए ने मास्टर प्लान-2041 का जो मसौदा तैयार किया है उस पर आपत्तियां दर्ज करवाने का लोगों को पर्याप्त समय नहीं दिया गया। उन्होंने दून वैली नोटिफिकेशन के संभावित बदलाव, शहर की जनसंख्या और देहरादून की कैरिंग कैपेसिटी पर कई सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि सरकार को देहरादून की धारण क्षमता का भी आंकलन करवाना चाहिए। उन्होंने तीन तरह से समस्याओं के समाधान की जरूरत बताई। इसमें विभिन्न समितियों का गठन कर लोगों को जागरूक और लामबंद करना, चिंतन पदयात्राएं निकालना और कानूनी प्रक्रिया का सहारा लेना शामिल है।
बदहाली के खिलाफ एकजुट होकर उठानी होगी आवाजः वीरेंद्र पैन्यूली

वरिष्ठ सोशल एक्टिविस्ट व पत्रकार वीरेंद्र पैन्यूली ने दून के हालात पर आक्रोश जताया। शहर में जो भी काम हो रहे या योजनाएं बन रहीं, वे दफ्तर के कमरों में बैठ कर बाबू तैयार कर रहे हैं। जन सहभागिता के बिना सारा काम हो रहा। उन्होंने बदहाली के लिए ऊपर तक लगातार बढ़ते भ्रष्टाचार को भी बड़ी वजह बताया। कहा कि शहर की दुर्दशा के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठानी होगी।
फाइलों से बाहर नहीं निकल रही मेट्रोः जगमोहन मेंहदीरत्ता
इससे पूर्व बैठक की शुरुआत करते हुए सोशल एक्टिविस्ट जगमोहन मेहंदीरत्ता ने कहा कि पूरा शहर खोदकर लोगों की जान जोखिम में डाली जा रही है। अखबारों में जो स्मार्ट सिटी को लेकर खबरें छपती हैं जमीन पर वह होता नहीं है। ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है। मेट्रो को लेकर कई बार नेता और अधिकारी विदेशों को दौरा कर चुके हैं, लेकिन मेट्रो फाइलों से बाहर नहीं निकल रही है।
स्मार्ट सिटी के नाम पर केंचुए तरह टेढ़े-मेढे बनाए जा रहे नालेः देवेंद्रपाल मोंटी

पार्षद देवेंद्र पाल सिंह मोंटी ने कहा कि पुराने देहरादून को स्मार्ट सिटी बनाने का फैसला ही गलत था। एक अलग से स्मार्ट सिटी बनानी चाहिए थी। अब स्मार्ट सिटी के नाम पर मनमानी हो रही है। उन्होंने कहा कि नालों का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन ये नाले सीधे बनाने के बजाए श्केंचुएश् की तरह टेढ़े-मेढ़े बनाए जा रहे हैं।
किसी को मोदी-किसी को राहुल की चिंता, अपने बच्चों की नहींः पुरुषोत्तम भट्ट
अपना परिवार संस्था के पुरुषोत्तम भट्ट ने कहा कि दून में किसी को मोदी की चिंता है, किसी को राहुल की चिंता है, लेकिन अपने बच्चों की किसी को चिंता नहीं है। इसलिए, शहर की ये हालत है। न सड़कें बच्चों और बुजुर्गों के लिए सुरक्षित रही, न आबोहवा। अब भी अगर शहरवासी मौन रहे तो भविष्य की पीढ़ी के लिए हालत और भयावह होंगे। पूर्व पार्षद अनूप कपूर ने युवाओं में बढ़ रहे नशे की प्रवृत्ति और नशा तस्करों की सक्रियता पर सवाल उठाया।
सरकार पर दबाव बनाने लिए प्रेशर ग्रुप बनाना जरूरीः अनिल जग्गी
सामाजिक कार्यकर्ता अनिल जग्गी ने कहा कि पिछले 20 वर्षों में शहर बर्बाद हो गया है। उन्होंने सरकार पर दबाव के लिए प्रेशर ग्रुप बनाने की जरूरत बताई। आशीष गर्ग ने रिहायशी इलाकों में कमर्शियल निर्माणों पर पूरी तरह से पाबंदी लगाने की जरूरत बताई।
शहर में बॉटलनेक चिह्नित हों, बने फ्लाईओवरः नीलेश राठी

आरडब्ल्यूए के सचिव नीलेश राठी ने ट्रैफिक की बदहाली का मुद्दा भी उठाया। कहा कि अब समस्याओं पर चर्चा करने का समय नहीं है। अब समाधान की बात होनी चाहिए। उन्होंने बॉटलनेक चिह्नित कर फ्लाईओवर बनाने के साथ ही लोगों में ट्रैफिक सेंस विकसित करने की जरूरत बताई।
गड्ढों और उबड़-खाबड़ सड़कों के कारण गिर रहे गर्भवती महिलाओं के प्रसवः प्रदीप कुकरेती
संगठन के प्रवक्ता व राज्य आंदोलनकारी प्रदीप कुकरेती ने कहा कि शहर की खुदी और ऊबड़-खाबड़ सड़कों पर आते-जाते कई गर्भवती महिलाओं के प्रसव गिर चुके हैं। शहर में ठेकेदार और लेबर किस तरह काम कर रहे, ये देखने के लिए अधिकारी कभी सड़क पर नहीं आते। सड़कों को घरों-दुकानों से ऊंचा किया जा रहा है। सड़कों के बीच सीवर के मेनहोल आधा फीट तक ऊंचे या गहरे करके छोड़े जा रहे। उन्होंने सुझाव दिया कि हम एक ज्ञापन बनाकर जिलाधिकारी, नगर निगम, एमडीडीए व मुख्यमन्त्री को देना चाहिए। साथ ही मौन धरने के माध्यम से भी बात रखनी चाहिए।
दून और पश्चिमी यूपी के शहरों में अब नहीं रह गया कोई अंतरः ओमवीर सिंह
कर्मचारी नेता ओमवीर सिंह ने शहर की बदहाली के साथ ही कानून व्यवस्था की खराब स्थिति पर भी चिंता जताते हुए कहा कि देहरादून की शांति और बेहतरीन आबोहवा के कारण लोग यहां बसना पसंद करते थे। लेकिन, आज दून और पश्चिमी यूपी के शहरों में कोई अंतर नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली-देहरादून हाईवे तो वाहनों के सरपट दौड़ने के लिए बनाया जा रहा, लेकिन आशारोड़ी से शहर में प्रवेश करते ही बॉटलनेक वाली स्थिति बन रही है, जो बड़े जाम की वजह बनेगी।
दून को बना दिया पेड़ों की कब्रगाह, खत्म कर दी गई है हरियालीः जया सिंह
मैड संस्था से जुड़ी सोशल एक्टिविस्ट जया सिंह ने कहा कि शहर की सारी हरियाली खत्म कर दी गई है। दून-दिल्ली हाईवे के नाम पर आशारोड़ी और मोहंड के बीच हजारों पेड़ काट दिए गए हैं। ट्रांसप्लांट के नाम पर भी दून को पेड़ों की कब्रगाह बनाया जा रहा है।

बैठक का संचालन पूर्व ट्रेड यूनियन नेता जगमोहन मेंहदीरत्ता व संयुक्त नागरिक संगठन के सचिव सुशील त्यागी ने किया। संगठन के अध्यक्ष ब्रिगेडियर (अप्रा.) केजी बहल, आरटीआई एक्टिविस्ट अमर सिंह धुंता, आरडब्ल्यूए के प्रतिनिधि जयपाल सिंह, दून सिख वेलफेयर सोसायटी के प्रतिनिधि अमरजीत सिंह भाटिया, प्रकाश नांगिया, विनीत जैन, गुलिस्ता खानम, अवधेश शर्मा, पूर्व सैनिक ले. कर्नल जेएस गंभीर, पत्रकार व उत्तरांचल प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष जितेंद्र अंथवाल, उत्तराखंड पत्रकार यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र कंडारी, पूर्व कर्मचारी नेता दिनेश भंडारी, जसवीर सिंह रेनोत्रा, रणजीत सिंह कैंतुरा, शक्ति प्रसाद डिमरी, डॉ. मुकुल शर्मा, लेफ्टिनेंट कर्नल (से. नि.) बीएम थापा, लेफ्टिनेंट कर्नल (से. नि.) गंभीर सिंह, अवधेश शर्मा, दीपचंद शर्मा, यज्ञभूषण शर्मा, पीसी नागिया, सुनील गुप्ता,आशीष गर्ग, विशेष जैन, अनिल पैन्यूली, निलेश राठी, जितेंद्र डडोना, अनिल पुरी, परमजीत सिंह कक्कड़, सुखबीर सिंह, हिमांशु, गुलिश्ता खानम, ईरा चौहान, सुरेंद्र थापा, त्रिलोचन भट्ट, सुशील सैनी, महिपाल सिंह कंडारी, हिंदी साहित्य समिति के पूर्व अध्यक्ष जगदीश बाबला, प्रभात के संचालक दीपक नागलिया, सोशल एक्टिविस्ट मनोज ध्यानी, डॉ. डीएन जौहर समेत काफी लोग मौजूद रहे और विचार व्यक्त किए।

