आस्था के महाकुंभ में जयकारों के बीच हुआ झंडेजी का आरोहण, उत्तर भारत का प्रसिद्ध झंडा मेला आरंभ
देहरादून। ‘खुशियां नाल मनाइए जन्मदिन सद्गुरु दा…’, ‘श्रीगुरु रामराय जी ने रौंणका देहरादून विच लाइंयां…’, ‘देखो-देखों गुरां दा देखों झंडा चढ़या…’ , ‘तेरा नाम लैके जद मैं पुकारदा…’, जैसे गुरुभक्ति के गीतों व श्रीगुरु रामराय महाराज के जयकारों के साथ शनिवार शाम दरबार साहिब परिसर में झंडा साहिब का आरोहण किया गया। आस्था के महाकुंभ का साक्षी बनने के लिए दरबार साहिब में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। लाखों संगतें व दूनवासी झंडेजी के सम्मुख श्रद्धा के साथ शीश नवाए व हाथ जोड़े खड़े रहे। दरबार साहिब परिसर व आसपास के क्षेत्रों में तिल रखने भर की भी जगह नहीं थी। जैसे-जैसे झंडेजी पर गिलाफ के आवरण चढ़ाने का क्रम बढ़ता गया, संगतों व दूनवासियों का उत्साह भी चरम की ओर बढ़ता रहा। दर्शनी गिलाफ के चढ़ते ही झंडेजी के आरोहण की प्रक्रिया आरंभ हुई। झंडारोहण के साथ ही उत्तर भारत में प्रसिद्ध दून का ऐतिहासिक झंडा मेला आरंभ हो गया।

शनिवार शाम 4ः10 बजे जैसे ही दरबार साहिब के सज्जादे गद्दी नशीन श्रीमहंत देवेंद्र दास ने आरोहण की प्रक्रिया शुरू करने का संदेश दिया, वैसे ही पूरा क्षेत्र श्रीगुरु रामराय महाराज के जयकारों से गूंज उठा। 4 बजकर 25 मिनट पर झंडेजी का आरोहण पूर्णं हुआ। संगतों व दूनवासियों ने गुरु के जयकारे लगाते हुए ढोल की थाप पर जमकर नृत्य किया।

इससे पहले सुबह सूर्य की पहली किरण भी धरती पर नहीं पड़ी थी कि दरबार साहिब परिसर व आसपास का क्षेत्र संगतों और दूनवासियों से खचाखच भर गया। शनिवार सुबह हुई बूंदाबांदी व बारिश को संगतों और श्रद्धालुओं ने श्रीगुरु रामराय महाराज के आशीर्वाद स्वरूप ग्रहण किया। सुबह 7ः00 बजे से ही विशेष पूजा अर्चना शुरू हो गई थी। सुबह 8ः00 बजे झंडेजी को उतारा गया और पूजा-अर्चना की गई। झंडेजी (पवित्र ध्वजदंड) को संगतों ने सुबह दूध, घी, शहद, गंगाजल व पंचगब्यों से स्नान करवाया। 90 फीट ऊंचे झंडेजी पर पहले सादे और शनील के गिलाफ चढ़ाने की प्रक्रिया शुरू हुई। खास बात यह है कि इस पूरी प्रक्रिया के दौरान झंडेजी को एक पल के लिए भी ज़मीन पर नहीं रखा जाता। संगतें अपने हाथों पर झंड़ेजी को थामे रहती हैं।
दोपहर करीब 1ः30 बजे झंडेजी पर दर्शनी गिलाफ चढ़ाने की प्रक्रिया शुरू हुई। हर कोई दर्शनी गिलाफ को छूकर पुण्य अर्जित करने के लिए उत्सुक दिखा। शाम 4 बजकर 10 मिनट पर नए मखमली वस्त्र और सुनहरे गोटों से सुसज्जित झंडेजी के आरोहण की प्रक्रिया आरंभ हुई। शाम 4 बजकर 25 मिनट पर झंडेजी का आरोहण हुआ। इसी दौरान एक बाज ने श्री झण्डे जी की भी परिक्रमा की। झंडेजी के आरोहण के समय बाज की इस उपस्थिति को श्रीगुरु रामराय महाराज की सूक्ष्म उपस्थिति के रूप में हर साल दर्ज किया जाता है।
देशवासियों पर सदैव बनी रहे श्रीगुरु रामराय महाराज की कृपा: श्रीमहंत देवेंद्र दास

झंडेजी के आरोहण के बाद दरबार साहिब के सज्जादे गद्दीनशीन श्रीमहंत देवेंद्र दास ने सभी देश व प्रदेशवासियों सहित संगतों को झंडा महोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि झंडा महोत्सव मेला प्रेम, सदभावना, आपसी भाईचारा, सौहार्द, उल्लास व अमन-चैन का संदेश देने वाला मेला है।
एलईडी स्क्रीनों पर हुआ मेले का सजीव प्रसारण
झंडेजी के आरोहण का लाइव आकर्षण देखने के लिए दरबार साहिब मेला समिति ने इस बार 5 बड़ी एलईडी स्क्रीनों की व्यवस्था की थी। दरबार साहिब परिसर के अंदर स्क्रीन लगाई गई। सभी स्क्रीनों पर एक साथ मेले का सजीव प्रसारण किया गया। श्री दरबार साहिब व श्री झण्डे जी आरोहण के सामने का पूरा हिस्सा संगतों से पूरी तरह पैक रहा। संगतों ने एलईडी स्क्रीन पर सीधा प्रसारण देखा। ड्रोन कैमरे के माध्यम से की गई लाइव कवरेज भी आकर्षण का केंद्र रही।
देशी ही नहीं, विदेशी संगतें भी पहुंचीं दरबार साहिब
झंडेजी पर शीश नवाने के लिए देश-विदेश से संगतें पहुंची हैं। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश सहित देश के विभिन्न हिस्सों से आई संगतों ने झंडेजी पर शीश नवाया। विदेशों से आई संगतें भी झंडेजी के आरोहण की साक्षी बनी।
हजारों लोगों ने भी लगाई पवित्र सरोवर में डुबकी
श्रद्धालुओं ने श्री दरबार साहिब स्थित पवित्र सरोवर में डुबकी लगाई। सुबह से ही श्रद्धालु यहां स्नान कर रहे थे। दोपहर बाद में सरोवर के चारो तरफ संगतों के जुटने से यहां का नजारा भी दर्शनीय लग रहा था। साथ ही बच्चों ने भी सरोवर के स्नान का आनंद उठाया।

