देहरा में 165 साल पूर्व स्थापित हुआ था पहला राम मंदिर, झंडा तालाब किनारे इस मंदिर में सपरिवार विराजे हैं श्रीराम
देहरादून। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर नव-निर्मित मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर देशभर में अपार उत्साह है। राजधानी देहरादून समेत उत्तराखंड के शहर और कस्बे भी पूरी तरह राममय हैं। हर ओर आकर्षक साज-सज्जा और धर्म-ध्वजाएं वातावरण को पूरी तरह भगवा रंग में रंगे हैं। इस सबके बीच एक मंदिर ऐसा भी है, जो है तो पूरी तरह श्रीराम को समर्पित, मगर है चकाचौंध से दूर एकदम शांत।

बात हो रही है देहरा नगर के सबसे पुराने और पहले राम मंदिर की। बाजार और घनी आबादी वाले क्षेत्र के एकदम बीचों-बीच स्थित इस मंदिर के बारे में लोग काम ही जानते हैं।
दरबार श्रीगुरू रामराय साहिब परिसर में स्थित तालाब के किनारे बेहद पुरानी बनावट वाले दो मंदिर स्थित हैं। झंडा साहिब के ठीक सामने स्थित इन दोनों मंदिरों के बीच से ही हर साल दशहरा में झंडा तालाब में बनने वाली लंका के दहन के लिए हनुमान गुजरते हैं। यहां स्थित एक मंदिर राम परिवार का जबकि दूसरा शिवजी का है। राम मंदिर को पुराने देहरावासी ‘रघुनाथ मंदिर’ के नाम से भी जानते हैं, जबकि शिव मंदिर को ‘रामेश्वर मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है।

राम मंदिर के पुजारी शिवराज दीक्षित बताते हैं कि राम मंदिर की स्थापना करीब 165 साल पहले दरबार साहिब के श्रीमहंत नारायण दास ने की थी। जबकि, बगल में स्थित रामेश्वर मंदिर इससे भी पहले का है। शिवराज बताते हैं कि 1925 में उनके ताऊ हर प्रसाद 14 वर्ष की उम्र में गल्जवाड़ी गांव से मंदिर में आकर रहने लगे थे। उनके सेवाभाव को देखते हुए 1930 में तत्कालीन श्रीमहंत लक्ष्मण दास ने उन्हें राम मंदिर का विधिवत पुजारी नियुक्त कर दिया। साथ ही उन्हें हर प्रसाद के स्थान पर नाम दिया दर्शनलाल। बकौल शिवराज, 60 साल के आसपास ताऊजी पुजारी रहे और उसके बाद से वे ही मंदिर में पुजारी के तौर पर कार्यरत हैं।
झंडा तालाब स्थित मंदिर में अन्य मंदिरों की तरह सिर्फ सीता, राम-लक्ष्मण और हनुमान की ही मूर्ति नहीं है, बल्कि भरत और शत्रुघ्न की मूर्तियां भी स्थापित हैं। सीता-राम और लक्ष्मण की मूर्तियां पत्थर की बनी हैं, जो एक ओर हैं। दूसरी ओर भरत और शत्रुघ्न की मूर्तियां स्थापित हैं, जो मसाले (चूना व अन्य सामग्री) से बनी हैं। इन मूर्तियों से अलग बीच में हनुमान जी की मूर्ति रखी गई है।

पुजारी शिवराज बताते हैं कि शहर में यह सबसे पुराना और संभवतः एकमात्र राम मंदिर है, जहां पूरा राम परिवार एक साथ विराजमान है। मंदिर के गर्भगृह के द्वार पर ही हनुमानजी का एक फोटो लगा है। बजरंगबली का यह चित्र 75 साल से भी ज्यादा पुराना बताया गया है।
रामेश्वर मंदिर के नाम से पड़ा ‘रामेश्वर मोहल्ला’ नाम

झंडा तालाब के जिस छोर पर राम मंदिर और रामेश्वर शिव मंदिर स्थित हैं, वह रामेश्वर मोहल्ला कहलाता है। शिवराज बताते हैं कि 10-12 मकानों वाले इस मोहल्ले का नाम रामेश्वर शिव मंदिर के नाम पर ही रामेश्वर मोहल्ला पड़ा। इस मोहल्ले की शुरुआत में यानी झंडेजी के ठीक सामने स्थित पानी की टंकी का निर्माण भी ब्रिटिशकाल में 1905 के आसपास हुआ था। राजपुर नहर से जुड़े झंडा तालाब के अलावा यह टंकी ही एक समय इस क्षेत्र के लोगों की पेयजल संबंधी जरूरत पूरी करती थी।

