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बर्फबारी, जयघोष और सैन्य बैंड की मधुर धुनों के बीच श्रद्धालुओं के लिए खोले गए बदरीनाथ धाम के कपाट

बदरीनाथ। लगातार बर्फबारी, ‘भगवान बदरी-विशाल की जय’ के गगनभेदी घोष और सेना व आईटीबीपी के बैंड की मधुर धुनों के बीच वीरवार सुबह श्रद्धालुओं के लिए बदरीनाथ धाम के कपाट खोल दिए गए। इसके साथ ही उत्तराखंड में चारों धाम के कपाट खुलने के साथ ही यात्रा पूरी तरह गति पकड़ चुकी है।

बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की प्रक्रिया तड़के आरंभ हो गई थी। पहले दक्षिण द्वार से बागणी गांव के हक-हकूकधारी कुबेरजी की मूर्ति को लेकर बदरीनाथ मंदिर में प्रविष्ट हुए। इसके बाद बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी, धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल उद्धवजी की मूर्ति के साथ मंदिर के अंदर पहुंचे। दोनो मूर्तियां गर्भगृह में स्थापित करने से पहले रावल ने स्त्री वेश धारण कर मां लक्ष्मी की मूर्ति को गर्भगृह से बाहर लाकर लक्ष्मी मंदिर में विराजमान किया। इसके पश्चात द्वार पूजन की प्रक्रिया पूरी करके नरेंद्रनगर पैलेस से लाए गए गाड़ू घड़े (तिलों के तेल का कलश) को मंदिर में ले जाया गया। इसके बाद ठीक 7 बजकर 10 मिनट पर मंत्रोच्चार के बीच विधि-विधान से बदरीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए।


कपाट खोले जाने की पूरी प्रक्रिया के दौरान धाम में लगातार बर्फबारी होती रही। कड़ाके की ठंड के बावजूद उत्साही श्रद्धालु टस से मस नहीं हुए। कपाट खुलने के बाद बदरीनाथजी के दर्शनों के लिए लंबी कतारें लग गईं। इस दौरान माणा और बामणी गांव के लोगों, खासकर महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में भजन और लोकगीत गाते हुए अपने उल्लास का प्रदर्शन किया। मंदिर को 15 कुंतल गेंदे के फूलों से भव्यस्वरूप में सजाया गया था।

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