संघर्ष समिति ने कृषि भूमि की खरीद पर रोक को ध्यान भटकाने का हथकंडा करार दिया
देहरादून। मूल निवास भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति ने प्रदेश में बाहरी व्यक्तियों के कृषि योग्य भूमि की खरीद पर रोक लगाने संबंधी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश को मूल निवास और सशक्त भू-कानून की मांग से ध्यान हटाने का हथकंडा करार दिया है।
मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने सोमवार को जारी बयान में कहा कि मीडिया के जरिए यह जानकारी मिल रही है कि मुख्यमंत्री धामी ने अग्रिम आदेशों तक बाहरी व्यक्तियों के कृषि व उद्यानिकी के प्रयोजन के लिए भूमि खरीद पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं। सरकार और सत्ताधारी दल इस फैसले को राज्यहित में लिया गया बड़ा निर्णय बता रहे हैं। लेकिन, हमारा सवाल यह है कि बाहरी और मूल निवासी की परिभाषा तय किए बिना सरकार ऐसा भ्रामक आदेश जारी कर किसे बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही है ? डिमरी ने कहा कि हमारी मांग है कि सरकार सबसे पहले मूल निवास को लेकर स्थिति स्पष्ट करे। एक और सवाल यह है कि ये रोक केवल ‘अस्थायी’ है, जिसे सरकार किसी भी दिन गुपचुप तरीके से वापस ले लेगी।
भू-कानून को लेकर पूर्व के राज्य विरोधी निर्णय वापस ले सरकार: डिमरी

संघर्ष समिति के संयोजक ने कहा कि भू-कानून को लेकर पूर्व में जो राज्य विरोधी निर्णय लिए गए, उन्हें सबसे पहले वापस लिया जाए। पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत और फिर पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकारों ने भू-कानून को कमजोर कर प्रदेश में जमीन की लूट का जो रास्ता खोला है, सबसे पहले सरकार उसे बंद करे। उन्होंने कहा कि कितनी हास्यास्पद बात है कि एक तरफ सरकार ने प्रदेश में जमीन खरीदने के बाद उसके लैंड यूज में बदलाव की अनिवार्यता को खत्म कर दिया और अब सरकार कृषि भूमि पर खरीद पर रोक लगाने के निर्णय का दिखावा कर रही है। इस प्रपंच को प्रदेश की जनता अच्छी तरह समझ रही है।

