विविधस्वास्थ्य

स्वामी राम की शिक्षाओं के आधार पर राजभवन में लोगों ने जानी ‘साइंस ऑफ जॉयफुल लिविंग’

देहरादून। स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) जौलीग्रांट की ओर से बुधवार को राजभवन में डॉ. स्वामी राम की शिक्षाओं पर आधारित ‘साइंस ऑफ जॉयफुल लिविंग’ कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में मौजूद लोगों को स्वस्थ मन और स्वस्थ शरीर की अवधारणा के विषय में विस्तृत जानकारी दी गई।

कार्यशाला का औपचारिक शुभारंभ बतौर मुख्य अतिथि राज्यपाल गुरमीत सिंह व एसआरएसयू के कुलाधिपति डॉ.विजय धस्माना ने डॉ. स्वामी राम के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर किया। इस मौके पर राज्यपाल ने कहा कि मन को शांत करने के लिए सभी को ध्यान अवश्य करना चाहिए। जैसे शरीर को ठीक रखने के लिए सही खान-पान व नियमित व्यायाम आवश्यक है, उसी प्रकार सांसों के लिए प्राणायाम व मन को शांत रखने के लिए ध्यान अति आवश्यक है। हमारी सनातन संस्कृति में दी गई शिक्षाओं का पालन करने पर भारत पुनः विश्व गुरु बन सकता है।

एसआरएचयू के कुलाधिपति डॉ. धस्माना ने इस अवसर पर कहा कि कार्यशाला का उद्देश्य स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क की अवधारणा पर ध्यान केंद्रित करना है। उन्होंने कहा कि डॉ. स्वामी राम ने साल-1968 में कहा था कि 70 फीसदी शारीरिक बिमारियां मन के विकार से उत्पन्न होती हैंं। मन को संयमित करने के लिए ध्यान जरूरी है। ध्यान के माध्यम से इन बिमारियों पर काबू पाया जा सकता है। कार्यशाला के दूसरे सत्र में एसआरएचयू के डॉ. प्रकाश केशवया ने कहा कि योग व ध्यान के लिए उम्र की कोई बाध्यता नहीं है। बुजुर्ग लोगों को भी योग व ध्यान करना चाहिए। कार्यशाला के तीसरे सत्र में हिमालयन हॉस्पिटल की वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. रेनू धस्माना ने कहा कि एक संतुलित आहार में आमतौर पर 50 से 60 प्रतिशत कार्बाेहाइड्रेट, 12 से 20 प्रतिशत प्रोटीन और 30 प्रतिशत वसा होता है। किसी व्यक्ति का संपूर्ण स्वास्थ्य और कल्याण अच्छे पोषण, शारीरिक व्यायाम और स्वस्थ शरीर के वजन पर निर्भर करता है। संतुलित आहार से हम अधिक ऊर्जावान महसूस करते। साथ ही इसका असर हमारी मनोदशा पर भी पड़ता है।
कार्यशाला में विशेषज्ञों ने ध्यान और योग के बताए ये लाभ-
-योग करने से शारीरिक शांत मिलती है।
-ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम को शांत करता है।
-मन में तनाव को भी कम करता है ध्यान
-रोग-प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करता है ध्यान।
-ध्यान करने से हमारी सोच की क्षमता विकसित होती है।
-योग व ध्यान से हम शांति, प्रेम, सेवा जैसे भाव अनुभव कर सकते हैंं।

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