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अल्मोड़ा के मासी में जुटे संगठनों ने एक सितंबर को प्रस्तावित गैरसैंण महारैली की तैयारी पर की चर्चा

अल्मोड़ा। मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति ने वर्ष-1950 के आधार पर मूल निवास प्रमाण पत्र बनाने, गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने और प्रदेश में सशक्त भू-कानून लागू करने की मांग को लेकर एक बार फिर आंदोलन तेज करने की तैयारी शुरू कर दी है। इस संबंध में समिति की यह द्वाराहाट स्थित भूमिया मंदिर (मासी) में स्थानीय जनप्रतिनिधियों व संघर्षशील लोगोंबके साथ बैठक हुई। बैठक में 1 सितंबर को गैरसैण में होने जा रही ‘मूल निवास स्वाभिमान महारैली’ की तैयारी पर व्यापक चर्चा हुई। इस मौके पर मांगों के समर्थन में प्रदर्शन के साथ ही पौधरोपण भी किया गया।

द्वाराहाट-चौखुटिया में अशोक कुमार और मासी में गिरीश आर्य संघर्ष समिति के संयोजक

अल्मोड़ा जिला पंचायत उपाध्यक्ष कांता रावत की अध्यक्षता में हुई बैठक में जन भागीदारी के साथ आंदोलन तेज करने का निर्णय लिया गया। बैठक में अधिवक्ता अशोक कुमार को द्वाराहाट-चौखुटिया विधानसभा क्षेत्र का  संयोजक और मासी व्यापार संघ अध्यक्ष गिरीश आर्य को मासी का संयोजक चुना गया। तय किया गया कि शीघ्र ही अगली बैठक कर समिति का विस्तार करते हुए आंदोलन के लिए आगे की रणनीति तय की जाएगी।

मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के कुमाऊं संयोजक राकेश बिष्ट ने कहा कि गैरसैण में ऐतिहासिक महारैली होगी। अब आर-पार की लड़ाई का वक्त आ गया है। हमारे अधिकार अपने राज्य में सुरक्षित नहीं है। अपने अस्तित्व को बचाने के लिए एक-एक व्यक्ति को आंदोलन में भागीदारी निभानी है। 

इस मौके पर गैरसैण राजधानी संघर्ष समिति के अध्यक्ष नारायण सिंह बिष्ट, धनगढ़ी पुल संघर्ष समिति के विजय उनियाल, रघुवर नैनवाल, भुवन कठायत, अधिवक्ता राकेश बिष्ट, अशोक कुमार, बसंत उपाध्याय, बालम नेगी l,परमेश्वरी देवी ,गोपाल मासीवाल, गिरीश आर्या, संतोष मासीवाल, गंगा पटवाल, तनु बिष्ट, जगदीश ममगाई, एलडी मठपाल, हितेश बिष्ट, मधु लोहनी, सुनीता जोशी, बी एस मटोला, भैरव असनोड़ा, शंकर बिष्ट, रविंद्र नेगी, मदन सिंह, केसर सिंह आदि शामिल हुए।

मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति ने सार्वजनिक किया पाई-पाई का हिसाब

इस बीच, मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति ने मूल निवास स्वाभिमान आंदोलन के लिए क्राउड फंडिंग के जरिए अब तक मिले आर्थिक जन सहयोग का हिसाब सार्वजनिक किया है। समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने बताया कि सहयोग राशि का ब्योरा सोशल मीडिया पर सार्वजनिक किया गया है। समिति को अभी तक कुल 81,711 रुपये प्राप्त हुए हैं। जनवरी माह में 40,225 रुपये, फरवरी में 3,053 रुपये, मार्च में 3,126 रुपये, अप्रैल माह में 1,100 और जून माह में 200 रुपये का आर्थिक योगदान प्राप्त हुआ। यह धनराशि विभिन्न स्थानों में हुई रैलियों और अन्य कार्यक्रमों के आयोजन में व्यय की जा चुकी है। इस धनराशि के अलावा करीब 50 हजार रुपये की धनराशि समिति के कोर मेंबर्स अपनी जेब से खर्च कर चुके हैं। 

एक महारैली पर खर्च होता है 30-40 हजार, कोर मेंबर्स अपनी जेब से दे चुके 50 हजार

डिमरी का कहना है कि समिति का अभी तक का व्यय विभिन्न कार्यक्रमों में आने-जाने, रहने-खाने, कार्यक्रमों के प्रचार-प्रसार के लिए पर्चे, बैनर, लाउड स्पीकर सहित अन्य संसाधनों में हुआ है। समिति राज्य के विभिन्न हिस्सों में मूल निवास स्वाभिमान महारैली कर चुकी है। हरेक महारैली में 30 से 40 हजार रुपये तक का व्यय होता है। केंद्रीय समिति और स्थानीय समिति कार्यक्रम के संचालन के लिए धनराशि जुटाती है। समिति की ओर से अभी तक देहरादून, हल्द्वानी, अल्मोड़ा के भिकियासैंण, टिहरी, कोटद्वार और श्रीनगर में महारैली आयोजित की गई हैं। इसके अलावा बागेश्वर में सरयू नदी में स्थायी निवास की प्रतियां बहाई गईं और गैरसैण व द्वाराहाट में बैठक की गई हैं। बदरीनाथ में मूल निवासी तीर्थपुरोहित और हक-हकूकधारियों को विश्वास में लिए बगैर भवन तोड़े जाने के विरोध में प्रदर्शन कर उन्हें भी समर्थन दिया गया है। 

समिति को 10 रुपये की भी मदद न करने वालों के अनर्गल आरोप से होता है दुःख: डिमरी

समिति संयोजक डिमरी का कहना है कि वे सोशल मीडिया पर क्राउड फंडिंग का सारा हिसाब सार्वजनिक करते हैं। आय-व्यय का पूरा हिसाब करने के बाद भी लगभग 50 हजार रुपये समिति की टीम की जेब से खर्च हुआ है। दुःख तब होता है कि जब 10 रुपये की मदद न करने वाले भी अनाप-शनाप आरोप लगाते हैं। 

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