डेढ़ दशक पहले लगातार दो साल सर्दियों में रहा लंबा ‘ड्राई स्पैल’, अब भी 20 तक बारिश की संभावना नहीं
देहरादून। मानसून बाद इस बार तीन माह से ज्यादा लंबे ‘ड्राइ स्पैल’ ने कृषि के लिए ‘सूखे’ के हालात पैदा कर दिए हैं। असिंचित भूमि में गेहूं को एक बार भी पानी नहीं मिल पाया है। बारिश और हिमपात न होने के कारण मौसम विज्ञानियों से लेकर आम लोगों तक सभी की चिंताएं बढ़ गई हैं। लेकिन, यह स्थिति पहली बार उत्पन्न नहीं हुई है। पिछले दो दशक में पहले भी पांच अलग-अलग वर्षों के दरमियान बारिश और हिमपात के मामले में हालात करीब-करीब ऐसे ही रहे हैं।
असिंचित भूमि पर गेहूं की खेती पर पड़ सकता है विपरीत असर
पिछले साल मानसून की बारिश अगस्त के बाद से आमतौर पर नहीं मिली। सितंबर में एकाध मौकों पर कुछ क्षेत्रों में ही हल्की बारिश हुई। मानसून की विदाई के बाद अक्तूबर में उच्च पहाड़ी क्षेत्रों को छोड़कर बाकी कहीं बारिश नहीं हुई। मौजूदा सर्दियों का सीजन बिना बारिश-बर्फ के ही गुजर गया है। बर्फबारी न होने से मसूरी-नैनीताल समेत उन पहाड़ी शहरों की आर्थिकी व्यापक तौर पर प्रभावित हुई है, जो पर्यटन सीजन पर निर्भर रहते हैं। इससे भी ज्यादा बुरा असर खेती-किसानी पर पड़ रहा है। पहाड़ से लेकर मैदान तक किसानों-बागवानों की सूनी निगाहें आसमान की ओर टकटकी लगाए हैं। फिलहाल मौसम विभाग को भी अगले एक सप्ताह तक बारिश या बर्फबारी की कोई उम्मीद नहीं है।
पूर्व के वर्षों में भी आमतौर पर सामान्य से कम ही रही पोस्ट मानसून एक्टिविटी
मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह का कहना है कि नवंबर-दिसंबर में भी मौसम ड्राई रहा है और अब तक जो सामान्य बारिश या बर्फबारी मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिली। लेकिन, ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है। वह कहते हैं कि पोस्ट मानसून सीजन या विंटर सीजन में आमतौर पर बारिश ओवरऑल कम रही है। फिर भी पिछले वर्षों में यह सामान्य के आसपास तक पहुंची है। लेकिन, साल-2006, 2007 और 2008 में पोस्ट मानसून सीजन में काफी कम एक्टिविटी रही। जबकि, साल-2008 और 2009 में लगातार दो साल पूरे विंटर सीजन के 4-5 महीने ड्राई रहे थे। इस तरह की गतिविधियां बीच-बीच में मिलती रहती हैं।
पहाड़ों में तापमान सामान्य से ऊपर बागवानी के लिए ठीक नहीं, मैदानों में ‘कोल्ड डे कंडीशन’
मौसम विभाग के निदेशक बिक्रम सिंह कहते हैं कि असिंचित कृषि क्षेत्र वाले किसानों के लिए समस्याजनक स्थिति है। पहाड़ों में भी तापमान थोड़ा ज्यादा चल रहे हैं। यह भी बागवानी के लिए ठीक नहीं हैं। मौसम अभी 20 तक साफ ही रहने की उम्मीद है। हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर में कोहरे के कारण कोल्ड डे कंडीशन बनी हुई है, जो अगले दो-तीन दिन रहेगी। अलबत्ता, 17 जनवरी को टिहरी, उत्तरकाशी, रूद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़, बागेश्वर आदि अंदरूनी पहाड़ी जिलों में कहीं-कहीं हल्की बारिश हो सकती है।

