उत्तराखंडमुद्दाहिमालयी राज्य

अब गैरसैण महारैली में गूंजी मूल निवास-1950 और सशक्त भू-कानून की मांग

गैरसैंण। रविवार को यहां उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी में मूल निवास-भूकानून समन्वय संघर्ष समिति के आह्वान पर स्वाभिमान महारैली आयोजित की गई, जिसमें बड़ी संख्या में लोग जुटे। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि आज राज्य के संसाधनों और रोजगार पर बाहरी लोगों का कब्जा हो चुका है।

राज्य के संसाधनों और रोजगार पर हो चुका बाहरी लोगों का कब्जा : मोहित

सभा को संबोधित करते हुए समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि राज्य बने 24 वर्ष हो गए, लेकिन उत्तराखंडियों को सत्ताधारी पार्टियों ने उनके अधिकार से वंचित रखा। उनके जल, जंगल, संसाधनों और रोजगार पर आज दूसरे प्रदेश के लोगों का कब्जा हो गया है। अब समय आ गया है कि राज्य की जनता मूल निवास-1950, सशक्त भू-कानून और स्थायी राजधानी गैरसैंण के लिए एकजुट हों । डिमरी ने कहा कि जल्द ही आंदोलन को ठोस कार्यक्रम के साथ जल्द ही प्रदेशभर में विस्तार दिया जाएगा। इसके तहत कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में छात्र-छात्राओं से संवाद किया जाएगा।

प्रदेश भर में सड़कों पर उतरेगी उत्तराखंड की जनता : लुशुन

सभा को संबोधित करते हुए समिति के सह संयोजक लुशून टोडरिया ने कहा कि गैरसैंण में बड़ी संख्या में जुटे लोगों ने बता दिया है कि अगर उत्तराखंड में मूल निवास-1950, सशक्त भू-कानून लागू नहीं होता और स्थायी राजधानी गैरसैंण नहीं बनती, तो उत्तराखंड की जनता सत्ता के विरोध में सड़कों पर उतरेगी, लुशून ने कहा भाजपा और कांग्रेस बताएं आजतक उन्होंने मूल निवास, भू-कानून और गैरसैंण राजधानी की बात सदन में क्यों नहीं उठाई? रैली में महिलाओ और आसपास के क्षेत्रों से महिला मंगल दलों ने महारैली में सहभागिता की।

मंच संचालन समिति के प्रांजल नौडियाल ने किया। सभा को गैरसैंण संघर्ष समिति के अध्यक्ष नारायण सिंह बिष्ट, गैरसैंण संयोजक जसवंत बिष्ट, बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार, समिति के गढ़वाल संयोजक अरुण नेगी, समिति के कुमाऊं संयोजक राकेश बिष्ट, पहाड़ी स्वाभिमान सेना के पंकज उनियाल, मेहलचौरी व्यापार सभा अध्यक्ष मोहन सिंह नेगी, गैरसैंण व्यापार सभा अध्यक्ष सुरेंद्र बिष्ट, आंदोलनकारी हरेंद्र कंडारी, गैरसैंण के युवा नेता दान सिंह, युवा नेता मोहन भंडारी आदि ने संबोधित किया। 

संघर्ष समिति की प्रमुख मांगें

– मूल निवास की कट ऑफ डेट-1950 लागू की जाए। 

– प्रदेश में ठोस भू-कानून लागू हो।

– गैरसैंण को प्रदेश की स्थाई राजधानी घोषित किया जाए।

– प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगे।

 – शहरी क्षेत्रों में 250 मीटर भूमि खरीदने की सीमा लागू हो।

– गैर कृषक द्वारा कृषि भूमि खरीदने पर रोक लगे।

– पर्वतीय क्षेत्र में गैर पर्वतीय मूल के लोगों के भूमि खरीदने पर तत्काल रोक लगे।

– राज्य गठन के बाद से वर्तमान तिथि तक सरकार की ओर से विभिन्न व्यक्तियों, संस्थानों, कंपनियों आदि को दान या लीज पर दी गई भूमि का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए।

– प्रदेश में विशेषकर पर्वतीय क्षेत्र में लगने वाले उद्यमों, परियोजनाओं में भूमि अधिग्रहण या खरीदने की अनिवार्यता है या भविष्य में होगी, उन सभी में स्थानीय निवासी का 25 प्रतिशत और जिले के मूल निवासी का 25 प्रतिशत हिस्सा सुनिश्चित किया जाए।

– ऐसे सभी उद्यमों में 80 प्रतिशत रोजगार स्थानीय व्यक्ति को दिया जाना सुनिश्चित किया जाए।

 

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