मूल निवास-1950 और सशक्त भू-कानून के लिए अब भिकियासैंण में सड़कों पर उतरे लोग, 28 को हल्द्वानी में महारैली
अल्मोड़ा। जिले के भिकियासैंण में मूल निवास- 1950 और सशक्त भू-कानून की मांग को लेकर स्थानीय लोगों का आक्रोश सड़कों पर फूट पड़ा। मूल निवास-भूकानून समन्वय संघर्ष समिति के आह्वान पर काफी संख्या में अल्मोड़ावासियों ने भिकियासैंण इंटर कॉलेज से किनारी बाजार, रामलीला ग्राउंड होते हुए तहसील कार्यालय तक जुलूस निकाल कर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के पश्चात आंदोलनकारियों ने एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को दोनों मांगों से संबंधित ज्ञापन भेजा।
हमारे संसाधनों पर डाका डाल रहे हैं बाहरी लोग: डिमरी

जुलूस- प्रदर्शन के दौरान आयोजित सभा में समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि मूल निवास हमारा नैसर्गिक अधिकार है। आज अपने ही राज्य में मूल निवासी दोयम दर्जे का नागरिक बनकर रह गया है। बाहर से आने वाले लोग मूल निवासियों की नौकरियों से लेकर जमीनों तक पर काबिज हो रहे हैं। हमारे संसाधनों पर डाका डाल रहे हैं। बाहर के लोगों ने हमारी जमीन पर रिसोर्ट बनाकर हमारे ही लोगों को नौकर और चौकीदार बना दिया है। यह लड़ाई हमारे स्वाभिमान, अस्मिता और अस्तित्व को बचाने की है। इसमें हम सभी को मिलकर लड़ना है। सरकार आंदोलन को तोड़ने के लिए तमाम षड्यंत्र कर रही है। लेकिन, हमें एकजुट रहना है।
उत्तराखंड की डेमोग्राफी बदलने से हमारी सांस्कृतिक पहचान खतरे में : टोडरिया
समन्वय संघर्ष समिति के सह संयोजक लुशुन टोडरिया ने कहा कि आज बाहर से आने वाले लोगों ने अपने फर्जी स्थाई निवास प्रमाण-पत्र बनाकर हमारे संसाधनों पर डाका डाल दिया है। नौकरियां, जमीन से लेकर हर तरह के संसाधनों को लूटा जा रहा है। मूल निवासी अपने ही राज्य में धक्के खाने के लिए मजबूर हैं। तोडरिया ने कहा कि आज हमारी सांस्कृतिक पहचान खतरे में है। जब हमारा राज्य बचेगा, तभी हमारे त्योहार बचेंगे। आज डेमोग्राफी बदलने से सबसे बड़ा खतरा उत्तराखंड की संस्कृति को होने जा रहा है।

राज्य आंदोलनकारी चारु तिवारी, समिति के कोर कमेटी के मेंबर दीपक भाकुनी व प्रांजल नौडियाल ने कहा कि राज्य के मूल निवासियों का अस्तित्व अब तभी बचेगा जब घर-घर से मूल निवास आंदोलन की चिंगारी निकलेगी। धनगढ़ी पुल संघर्ष समिति के अध्यक्ष सुनील टम्टा, समिति के कोर मेम्बर राकेश सिंह बिष्ट ने कहा कि आज न तो उत्तराखंड के मूल निवासियों को उनके अधिकार मिल रहे हैं और न ही सरकार गैरसैण को स्थाई राजधानी बना रही है। परिसीमन जनसंख्या के आधार पर होने से पहाड़ से विधानसभा सीटें घटने जा रही हैं। राज्य में फर्जी स्थायी निवास प्रमाण-पत्र बन रहे हैं।
पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्त आनंद नाथ, वरिष्ठ नेता श्याम सिंह, पूर्व ब्लॉक प्रमुख पुष्कर पाल सिंह ने कहा कि भिकियासैंण की धरती एक ऐतिहासिक भूमि रही है। उत्तर प्रदेश के समय इस धरती से जसवंत सिंह बिष्ट जैसे जननेता को यहां से उत्तराखंड क्रांति दल से 1980 में स्थानीय जनता ने चुन कर यूपी विधानसभा में भेजा था। अब फिर से भिकियासैंण में मूल निवास-भूकानून की मशाल जल चुकी है, जो गांव-गांव पहुंचेगी ।
यूकेडी के अल्मोड़ा जिलाध्यक्ष दिनेश जोशी, टाइगर फोर्स के संयोजक प्रयाग शर्मा, किसान यूनियन के आनंद सिंह नेगी, राज्य आंदोलनकारी राजेंद्र नेगी ने कहा कि अब मूल निवास स्वाभिमान आंदोलन, उत्तराखंड आंदोलन की तर्ज पर आगे बढ़ता जा रहा है। जिस तरह से इस आंदोलन में प्रदेश भर की जनता जुड़ रही है, वह बताता है की इन 23 वर्षों में राज्य के हालात किस कदर बिगड़ चुके है।
जुलूस-प्रदर्शन में कुसुम लता बौड़ाई, रविंद्र नेगी, विकास उपाध्याय, भुवन चंद्र कठायत, प्रकाश उपाध्याय, महेश उपाध्याय, मनीष सुंदरियाल, बिशन सिंह, राकेश सिंह अधिकारी, अरविंद सिंह नेगी, रविंद्र सिंह, पुष्कर पाल सिंह, विजय उनियाल, श्याम सिंह, आनंद शर्मा, भोले शंकर, हितेश बिष्ट, जगदीश जोशी, भगवत सिंह, दुर्गा सिंह बंगारी, मनमोहन सिंह बंगारी, छोटू पधान, रवि रौतेला प्रह्लाद बिष्ट आदि शामिल रहे ।

