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देहरादून में घर-दुकानें, सड़कें और पुल ही नहीं टूटे, सर्वाधिक बारिश का 101 साल पुराना रिकॉर्ड भी टूटा 

देहरादून। अत्यधिक भारी वर्षा से दूनघाटी में बिल्डिंगे, सड़कें और पुल ही नहीं टूटे, सितंबर में 24 घंटे के भीतर सर्वाधिक बारिश का 101 साल पुराना ऑल टाइम रिकॉर्ड भी टूट गया। यह रिकॉर्ड भी कहीं और नहीं, सहस्त्रधारा में ही ब्रेक हुआ। यहां बादल तो नहीं फटा, लेकिन चंद घंटों में 253 मिलीमीटर (कुल 264 एमएम) पानी बरस गया। उसमें भी 60 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश सिर्फ एक घंटे के दौरान हो गई। मालदेवता क्षेत्र में भी डेढ़ सौ मिलीमीटर से ज्यादा बारिश इस दौरान हुई।

सहस्त्रधारा में 24 घंटे में बरसा रिकॉर्ड 264 मिलीमीटर पानी, दून में 3 सितंबर 1924 का 212.6 एमएम का था ऑल टाइम रिकॉर्ड

सोमवार देर शाम से मंगलवार सुबह तक हुई लगातार बारिश ने राजधानी में चारों ओर व्यापक तबाही मचा दी। सबसे ज्यादा प्रभावित सहस्त्रधारा क्षेत्र हुआ। इसकी वजह बनी इस क्षेत्र में हुई अत्यधिक बारिश। सोमवार सुबह 8:30 बजे तक गुजरे 24 घंटों के दौरान सहस्त्रधारा में 264 मिलीमीटर बारिश वहां लगे  रेन गेज में प्राप्त हुई। मौसम विभाग 204.4 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश को अत्यधिक की रेड कैटेगिरी में रखता है। यहां उससे भी करीब 60 एमएम ज्यादा पानी बरसा। देहरादून में सितंबर महीने में 24 घंटे के भीतर अब तक सर्वाधिक 212.6 मिलीमीटर बारिश का ऑल टाइम रिकॉर्ड था, जो ठीक 101 साल पूर्व 3 सितंबर 1924 को बना था।

देहरादून जिले में कहीं बादल नहीं फटा, बारिश की तीव्रता रही काफी अधिक : तोमर

देहरादून स्थित मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक सीएस तोमर ने बताया कि 1924 में जिलों में एकाध जगह ही रेन गेज होते थे। देहरादून में लगे रेन गेज में उक्त मात्रा प्राप्त हुई थी, लेकिन सोमवार सुबह तक 24 घंटे में सहस्त्रधारा में 264 मिलीमीटर बारिश मिली, जो ऑल टाइम रिकॉर्ड से काफी अधिक है। उन्होंने बताया कि दून में सहस्त्रधारा या कहीं भी बादल नहीं फटा। अलबत्ता, सहस्त्रधारा समेत कुछ क्षेत्रों में बारिश की तीव्रता बहुत अधिक रही। खासकर रात पौने 11 बजे से पौने 12 बजे के बीच एक घंटे में ही 67 मिलीमीटर बारिश हो गई। 24 घंटे में रिकॉर्ड कुल 264 मिलीमीटर बारिश में से भी 253 मिलीमीटर बारिश रात 8:30 बजे से सुबह 6:30 बजे के बीच 10 घंटे में हुई। उधर, नरेंद्रनगर में 200 मिलीमीटर, हरिपुर (कालसी) में 170 मिलीमीटर, मालदेवता में 149 मिलीमीटर, जौली ग्रांट में 106 मिलीमीटर और मसूरी में 95 मिलीमीटर बारिश हुई। सहस्त्रधारा में हाथीबड़कला (89.5 एमएम)  के मुकाबले करीब तीन गुना ज्यादा बारिश हुई।

हर तरफ तबाही ही तबाही, देहरादून  जिले में 13 की मौत, 16 लापता

इस बीच देहरादून जिले में आपदा में 13 लोगों की मौत, 3 घायल और 16 लोगों के मलबे में दब कर अथवा नदियों में बहकर लापता होने की आधिकारिक तौर पर पुष्टि देहरादून के एडीएम  (एफ एंड आर) और आपदा प्रबंधन के प्रभारी केके मिश्रा ने की है। हालांकि, अपुष्ट सूचनाओं में मृतकों की संख्या काफी अधिक है। आपदा से सर्वाधिक नुकसान सहस्त्रधारा क्षेत्र में हुआ। यहां सहस्त्रधारा बाजार का ज्यादातर हिस्सा तबाह हो गया। कई होटल, रिजॉर्ट, दुकानें, रेस्टोरेंट नदी और गदेरों के उफान में बह गए।

सहस्त्रधारा से 3 किलोमीटर आगे मजाड़ा व कार्लीगाढ़ में भी भारी क्षति हुई है। सड़कें और पुल बह गए हैं। पैदल रास्ते भी ध्वस्त हो गए हैं। मजाड़ा में कई घर, दुकानें, खेत, रिजॉर्ट और गाय-भैंस समेत ग्रामीणों के मवेशी नदी के उफान में बह गए। पूरे गांव को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है। मजाड़ा में एक रिजॉर्ट का चौकीदार बह गया, जबकि 3 व्यक्ति पहाड़ी से आए मलबे में दबे हैं। कार्लीगाढ़ में काफी संख्या ग्रामीण फंस गए। सुबह एसडीएम सदर हरि गिरी की अगुआई में पहुंची एसडीआरएफ व एनडीआरएफ ने रस्सों और लोहे के पोल के सहारे ग्रामीणों तक पहुंच बनाई और 70 लोगों को निकाल लिया।

फुलेत में 8 मजदूर दबे, प्रेमनगर में 15 मज़दूर बहे, दोनों जगह 10 शव बरामद

रायपुर ब्लॉक में भी भारी तबाही हुई है। यहां रायपुर-मालदेवता मार्ग का करीब 100 मीटर हिस्सा केशरवाला पुलिस चौकी के निकट सौग़ नदी में बह गया है। मालदेवता में भी लोहे के पुल की एप्रोच रोड बह गई है। ब्लॉक के फुलेत क्षेत्र में पीएमजीएसवाई के कार्य में लगे 8 मजदूर भूस्खलन के मलबे में दब गए। एसडीएम सदर हरि गिरि के अनुसार, 2 मजदूरों के शव मलबे से छिटक जाने के कारण मिल गए, जबकि मलबे में दबे अन्य 6 की बुधवार सुबह तलाश शुरू की जाएगी। उधर, लालतप्पड़ के नजदीक जाखन नदी के उफान में हरिद्वार हाइवे का एक हिस्सा बह गया है। जबकि, टौंस नदी में प्रेमनगर लॉ कॉलेज के निकट स्थित पुल की एप्रोच रोड भी बह गई। पौंधा क्षेत्र में भी पुल और सड़क बह गए। यहां एक इंस्टीट्यूट में फंसे करीब 200 छात्र-छात्राओं को एसडीआरएफ ने रेस्क्यू किया। प्रेमनगर के पलवल क्षेत्र में 15 खनन मजदूरों की ट्रैक्टर ट्रॉली टौंस नदी में बह गई। इनमें 8 के शव बरामद हो गए। अन्य लापता की तलाश जारी है।

कई मीटर ऊपर टपकेश्वर मंदिर गुफा में घुसी नदी, मसूरी रोड पर पुल ध्वस्त

देहरादून कैंट में भी बारिश ने भारी नुकसान किया है। यहां टौंस नदी कई मीटर ऊपर पौराणिक टपकेश्वर महादेव मंदिर के अंदर तक पहुंच गई। गुफा मंदिर में शिवलिंग व मूर्तियां भी मलबे में दब गईं। पानी की टक्कर से छतों के पंखे टेडे हो गए। दो लोग बह गए, जिनकी तलाश की जा रही है। कैंट के ही ग़ल्ज़वाडी इलाके में सड़कें, पुल, घर बह गए। मसूरी रोड पर कोटलगेट शिव मंदिर के नजदीक का पुल भी ध्वस्त हो गया।

मसूरी  में एक व्यक्ति की मलबे में दब कर मौत हो गई, जबकि 2 अन्य  लापता हैं। एक स्कूल बस, कई कार व दुपहिया भी मलबे में दब गए या बह गए। बिजली-पानी की लाइनें भी बड़े पैमाने पर डैमेज हुई हैं। आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के बाद देहरादून के डीएम सविन बंसल ने बताया कि आपदा प्रभावी क्षेत्रों में सड़क संपर्क और बिजली-पानी की आपूर्ति शीघ्र बहल करने का प्रयास किया जा रहा है। युद्धस्तर पर काम शुरू कर दिया गया है।

टिहरी में हाइवे वॉशआउट, हरिद्वार में ट्रैक बाधित होने से ट्रेनों का संचालन घंटों ठप रहा

दूसरी ओर, टिहरी में रिषिकेश-गंगोत्री नेशनल हाईवे का काफी हिस्सा नरेंद्रनगर व खाड़ी के बीच बेमुंडा क्षेत्र में बह गया है। नागणी क्षेत्र में कुछ दुकानें हैंवल गाढ़ में बह गईं। भूस्खलन से हरिद्वार-देहरादून के बीच रात कई घंटे ट्रेनों की आवाजाही ठप रही। हरिद्वार में मनसा देवी टनल के नजदीक देर शाम पहाड़ी से भारी मात्रा में मलबा आ गया। इससे हरिद्वार-देहरादून और ऋषिकेश-हरिद्वार के बीच रेल संपर्क बाधित रहा।

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