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‘निःक्षय मित्र’ डॉ. आर. राजेश के गोद लिए रोगी हुए पूरी तरह टीबी मुक्त, एक और रोगी को लिया गोद

देहरादून। टीबी मुक्त उत्तराखंड के लिए राज्य सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयास धरातल पर नजर आने लगे हैं। टीबी रोगियों की सेवा के लिए प्रदेश में हजारों ने लोगों ने आगे आ कर सामुदायिक भागीदारी निभाई है। इन सबके बीच राज्य के स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार सामाजिक सहभागिता की मिसाल बने हैं। निःक्षय मित्र बन कर स्वास्थ्य सचिव डॉ. राजेश ने दूसरी बार टीबी रोगियों को गोद लिया है। पूर्व में जिन रोगियों को उन्होंने गोद लिया था, वे पूरी तरह स्वस्थ होकर सामन्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं। डॉ. राजेश ने बुधवार को देहरादून में जिला क्षय रोग कार्यालय पहुंचकर निःक्षय मित्र के रूप में क्षय रोगी को मासिक पोषाहार दिया।

इस साल उत्तराखंड को पूरी तरह टीबी मुक्त करना है लक्ष्य, 10 हजार लोग बने हैं निःक्षय मित्र

स्वास्थ्य सचिव डॉ. राजेश ने बताया कि प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत राज्य में अब तक 10 हजार 14 लोगों ने निःक्षय मित्र के तौर पर अपना पंजीकरण कराया है। उत्तराखंड को इस वर्ष (2024) तक टीबी मुक्त करने के उद्देश्य से प्रदेश के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान को व्यापक स्तर पर चलाया जा रहा है। इसके तहत निःक्षय मित्र चिह्नित टीबी रोगियों को गोद ले रहे हैं।

सर्वाधिक निःक्षय मित्रों का पंजीकरण हरिद्वार जिले में, बागेश्वर में सबसे कम
स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि हरिद्वार जिले में सर्वाधिक 2,136 निःक्षय मित्र पंजीकृत हैं। इसके अलावा ऊधमसिंह नगर में 2,205, नैनीताल में 1,309, देहरादून 1,709, अल्मोड़ा में 593, पौड़ी गढ़वाल में 468, टिहरी में 392, पिथौरागढ़ में 255, रूद्रप्रयाग में 208, चमोली में 206, उत्तरकाशी में 192, चंपावत में 187 और बागेश्वर जिले में 154 निःक्षय मित्रों का पंजीकरण हुआ है।

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