मूल निवास-1950 और सशक्त भू-कानून लागू कराने को अब कोटद्वार में 18 को महारैली
कोटद्वार। मूल निवास-भूकानून समन्वय संघर्ष समिति 18 फरवरी को कोटद्वार में मूल निवास स्वाभिमान महारैली आयोजित करेगी। समिति के पदाधिकारियों ने पत्रकारों से वार्ता कर कार्यक्रम की रूपरेखा घोषित की। संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने बताया कि 18 फरवरी को सुबह 10 बजे सुखरो देवी मंदिर में बड़ी संख्या में मूल-निवास और सशक्त भू-कानून के समर्थक एकत्र होंगे। यहां से मालवीय उद्यान तक रैली निकाली जाएगी।
मूल निवास-भूकानून लागू होता तो नहीं होती हल्द्वानी जैसी घटना, आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई जरूरी: डिमरी
हल्द्वानी में हुई घटना को लेकर संघर्ष समिति ने राज्य सरकार पर निशाना साधा। समिति के संयोजक डिमरी ने कहा कि अगर प्रदेश में मूल निवास और मजबूत भू-कानून लागू होता तो इस तरह की घटना नहीं होती। उन्होंने हल्द्वानी की घटना की कड़ी भर्त्सना करते हुए कहा कि देवभूमि की पहचान शांति की रही है। इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। पत्रकार वार्ता में डिमरी ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जिन बाहरी तत्वों को प्रदेश की शांति के लिए खतरा बताते हैं और जिनके खिलाफ सख्त एक्शन लेने की बात करते हैं, उन बाहरी तत्वों की पहचान वह कैसे करेंगे? उन्होंने कहा कि मूल निवास और मजबूत भू-कानून किसी भी बाहरी तत्व के खिलाफ सबसे असरदार हथियार है।
प्रदेश में अतिक्रमण पर बुलडोजर चलाना नहीं, सशक्त भू-कानून है असल समाधान
समिति के कोर मेंबर प्रमोद काला, प्रांजल नौडियाल ने कहा कि गढ़वाल मंडल के द्वार कोटद्वार से मूल निवास स्वाभिमान आंदोलन का शंखनाद होने जा रहा है। यह धरती क्रांतिकारियों की धरती है। यहां से इस आंदोलन का संदेश पूरे पहाड़ में जायेगा और एक नई क्रांति की शुरूआत होगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में न केवल हल्द्वानी बल्कि तमाम दूसरे इलाकों में भी अवैध अतिक्रमण मौजूद हैं, जिनके खिलाफ सरकार बुलडोजर चलाने की बात कहती है, लेकिन असल समाधान मजबूत भू-कानून ही है। सरकार को चाहिए कि प्रदेश में सशक्त भू-कानून सख्ती से लागू कर समस्त भूमि का ब्योरा जुटाए और उसके आधार पर आगे की कार्रवाई करे।
अवैध बस्तियां बचाने के लिए रातों-रात अध्यादेश लाने वाली सरकार ने पहाड़ में तोड़े लोगों के मकान-दुकान
समन्वय समिति के सदस्य निवर्तमान पार्षद परवेंद्र सिंह रावत, पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष रमेश भंडारी, पूर्व सैनिक संगठन अध्यक्ष महेंद्रपाल सिंह रावत, क्रांति कुकरेती, अनिल खंतवाल, जसवीर सिंह राणा, एपी सेमवाल ने कहा कि सरकार पहाड़ के लोगों के साथ भेदभाव कर रही है। अतिक्रमण के बहाने पहाड़ी क्षेत्रों में कई लोगों की दुकानें और मकान तोड़े गए। वहीं, अवैध बस्तियों को हटाने के बजाय उन्हें राहत देते हुए रातों-रात अध्यादेश लाया गया। सरकार के दोहरे चरित्र को जनता समझने लगी है। उत्तराखंड के लोग अपना अस्तित्व बचाने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। अभी नहीं लड़े, तो आने वाले समय में मूल निवासियों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। यह लड़ाई पहाड़ का वजूद, स्वाभिमान, संस्कृति और संसाधन बचाने की लड़ाई है। कोटद्वार में भी ऐतिहासिक रैली होगी, जिसकी तैयारियां लगभग पूरी हो गई है।
बाहर के लोग लूट रहे हैं संसाधन, उत्तराखंड को बचाने के लिए मूल निवास-भूकानून जरूरी
उत्तराखंड बेरोजगार संघ उपाध्यक्ष राम कंडवाल, संघर्ष समिति की सदस्य दीप्ति दुदपुड़ी, योगेश बिष्ट, पंकज पोखरियाल ने कहा कि उत्तराखंड की अस्मिता तभी बचेगी, जब मूल निवास और मजबूत भू-कानून लागू होगा। डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद मूल निवास-1950 लागू न होना भाजपा सरकार को सवालों के घेरे में लाता है। सरकार जनता की हितैषी है तो विधानसभा में मूल निवास-1950 का विधेयक पारित करे। मूल निवास न होना सभी समस्याओं की जड़ है। आज बाहर के लोग हमारे संसाधनों को लूट रहे हैं। इसके लिए राष्ट्रीय दलों की नीतियां जिम्मेदार हैं।