भू-कानून: सभी डीएम से कृषि भूमि पर पिछले 10 वर्षों में दी गई अनुमति का ब्योरा तलब
देहरादून। भू-कानून प्रारूप समिति की अध्यक्ष व अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सभी जिलों में पिछले 10 वर्षों के दौरान डीएम स्तर से हुई कृषि व औद्यानिकी भूमि की अनुमति से संबंधित जानकारी तलब की है। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को इस संबंध में जानकारी शीघ्र राजस्व विभाग को भेजने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि प्रस्तावित भू-कानून के पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड के मूल निवासियों के हितों का संरक्षण करना और उन्हें न्याय दिलाना है।
अपर मुख्य सचिव ने प्रारूप समिति की बैठक में कहा कि इस प्रस्तावित भू-कानून का लक्ष्य उत्तराखंड में निवेश व रोजगार सृजित करने वाले विश्वसनीय निवेशकों को प्रोत्साहित करना और निवेश की प्रक्रिया को सरल करना है। उन्होंने जिलाधिकारियों को यह भी स्पष्ट किया है कि अस्थायी रूप से कृषि व हॉर्टीकल्चर भूमि की अनुमति पर रोक से संबंधित कानून का उद्देश्य भूमि के दुरूपयोग को रोकना, भू-कानून को और भी अधिक तर्कसंगत व न्यायपूर्ण बनाना है। इसका लक्ष्य औद्योगिक गतिविधियों व निवेश को हतोत्साहित करना नहीं है। उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि निवेशकों में अस्थायी रूप से कृषि व हॉर्टीकल्चर हेतु भूमि की अनुमति पर रोक से संबंधित मामले में फैली विभिन्न भ्रांतियों या संशयों को विभिन्न माध्यमों से तत्काल दूर किया जाए।
बैठक के दौरान एसीएस रतूड़ी ने निर्देश दिए कि राज्य में निवेश के आवेदकों का सत्यापन संबंधित विभाग पूरी तत्परता से सुनिश्चित करें। बैठक में डीजीपी अभिनव कुमार, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, विनय शंकर पांडेय, दीपेंद्र कुमार चौधरी के साथ ही वर्चुअल माध्यम से सभी जिलों के डीएम मौजूद रहे।

