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‘खरीददारी में समझदारी’ सिखाने वाली ‘ललिताजी’ ने उत्तराखंड की इस महिला आईपीएस को केंद्र में रखकर भरी थी ‘उड़ान’

देहरादून। आर्थिक उदारीकरण के दौर से ऐन पहले आम भारतीय परिवारों को ‘खरीददारी में समझदारी’ सिखाने वाली ‘ललिताजी’ अब हमारे बीच नहीं हैं। दूरदर्शन के एकाधिकार वाले दौर में छोटे पर्दे पर बुलंदियों की ‘उड़ान’ भरने वाली ‘कल्याणी’ दो दिन पहले अनंत यात्रा पर चली गईं। खासबात यह है कि घर-घर लोकप्रिय हुआ ‘कल्याणी’ का किरदार जिस महिला आईपीएस को केंद्र में रखकर गढ़ा गया था, उन्होंने उत्तराखंड में ही शीर्ष मुकाम हासिल किया। ‘ललिताजी’ उनकी छोटी बहन थीं।

आज भी लोगों के दिलो-दिमाग पर दर्ज है दूरदर्शन का वह विज्ञापन और ‘कल्याणी’ का किरदार

भारतीय टीवी के इतिहास में 1980 का दशक मील का पत्थर रहा है। इसी दशक में 25 अप्रैल 1982 को पहली बार देश ने रंगीन प्रसारण देखा। 7 जुलाई 1984 को पहला टीवी धारावाहिक ‘हम लोग’ का प्रसारण शुरू हुआ। तब टीवी चैनल के नाम पर सिर्फ ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ वाला दूरदर्शन ही था। एकाधिकार होने की वजह से दूरदर्शन पर उस दौर में प्रसारित धारावाहिकों और उनके किरदारों की अमिट छाप दर्शकों के मन-मस्तिष्क पर पड़ती थी। 80-90 के दशक की बाल, किशोर और युवा पीढ़ी भले आज प्रौढ़ावस्था अथवा वृद्धावस्था के दौर में है, लेकिन उसके जेहन में दूरदर्शन के तमाम धारावाहिक और किरदार अब भी दर्ज हैं। यहां तक कि उस दौर के सीधे-सरल विज्ञापन भी।

सर्फ डिटरजेंट के उस विज्ञापन की टैगलाइन लोगों के बीच बन गई थी मुहावरा

तब के दूरदर्शन पर इन्हीं में एक विज्ञापन प्रसारित होता था हिंदुस्तान यूनिलीवर के डिटरजेंट ‘सर्फ’ का। भारतीय बाजार में उपलब्ध कुछ सस्ते ब्रांडों के बीच सर्फ जैसे अपेक्षाकृत महंगे ब्रांड को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका रही इसके विज्ञापन की। इसमें ‘ललिताजी’ जैसी घरेलू महिला किरदार के जरिए महंगे सर्फ को खरीदने के पीछे तर्क दिया जाता था, ‘सर्फ की खरीददारी में समझदारी’ जैसी टैगलाइन से। इस विज्ञापन से सर्फ तो महिलाओं का पसंदीदा ब्रांड बना ही, ललिताजी यानी कविता चौधरी भी घर-घर पहुंच गईं। कविता चौधरी ने ही विज्ञापन वाली ललिताजी का किरदार निभाया था, जो सर्फ की खरीददारी में और भी समझदारी का संदेश देती नजर आती थीं। खासबात यह है कि विज्ञापन की यह टैगलाइन उस दौर में समझदारी का ‘मुहावरा’ ही बन गई।

छोटे पर्दे की कलाकार, लेखक, निर्देशक कविता चौधरी ने दो दिन पूर्व 67 वर्ष की उम्र में अमृतसर में ली अंतिम सांस

टीवी धारावाहिकों के शुरुआती दौर में दूरदर्शन के ‘उड़ान’ ने काफी लोकप्रियता पाई थी। इस धारावाहिक में मुख्य किरदार ‘कल्याणी सिंह’ था, जिसे कविता चौधरी ने निभाया था। महिला आईपीएस कंचन चौधरी के जीवन से प्रेरित होकर गढ़ा गया यह किरदार और इसे निभाने वाली कविता चौधरी घर-घर लोकप्रिय हो गईं। 1989-91 के बीच प्रसारित इस धारावाहिक की लेखक और निर्देशक भी कविता ही थीं। बाद के वर्षों में उनके दो और धारावाहिक ‘योर ऑनर’ और ‘आईपीएस डायरीज’ भी प्रसारित हुए। 67 वर्षीय कविता चौधरी का वीरवार 15 फरवरी को अमृतसर में निधन हो गया।

उत्तराखंड की डीजीपी और 2014 में हरिद्वार से आप प्रत्याशी रहीं कंचन चौधरी भट्टाचार्य की छोटी बहन थीं कविता

कविता चौधरी उत्तराखंड की डीजीपी रहीं कंचन चौधरी भट्टाचार्य की छोटी बहन थीं। आईपीएस कंचन के जीवन से प्रेरित होकर ही उन्होंने कल्याणी सिंह का किरदार गढ़ते हुए उड़ान बनाया था। उन्होंने कविता के इस धारावाहिक में अतिथि भूमिका भी निभाई थी। कंचन चौधरी किरण बेदी के बाद देश की दूसरी आईपीएस महिला थीं। जून-2004 में कंचन चौधरी भट्टाचार्य उत्तराखंड की पुलिस महानिदेशक बनीं। अक्तूबर-2007 में सेवानिवृत्त हुईं कंचन चौधरी देश की ऐसी पहली महिला आईपीएस थीं, जो डीजीपी बनीं। इस दौरान कविता अक्सर उनके पास देहरादून आती रही हैं। साल-2014 में कंचन चौधरी ने आम आदमी पार्टी के टिकट पर हरिद्वार लोकसभा सीट से चुनाव भी लड़ा था। स्व. कंचन चौधरी तब रुड़की में निवासरत थीं।

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