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जानिए, गुस्साए आंदोलनकारियों ने क्यों कहा, ‘मामा मारीच’ बनकर छल किया गया!

देहरादून। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच ने ‘प्रवर समिति’ के बहाने 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का मामला लटकाए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। मंच ने आपात बैठक करके सरकार के खिलाफ आक्रोश व्यक्त करते मुख्यमंत्री आवास के समक्ष विरोध दर्ज कराने की चेतावनी दी है।

कई वर्ष से लटका है 10 फीसद क्षैतिज आरक्षण संबंधी मामला
राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रित को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण को बहाल किए जाने की मांग पिछले कई वर्ष से लंबित है। पूर्व में प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने आंदोलनकारियों को इस मामले में गच्चा दिया और उसके बाद भाजपा की पिछली त्रिवेंद्र सरकार ने भी यही रणनीति अपनाई। मौजूदा पुष्कर सिंह धामी सरकार ने चुनावी दबाव के चलते थोड़ा-बहुत सक्रियता दिखाई और मामले को विधानसभा तक लेकर आई, लेकिन विधानसभा में इसे प्रवर समिति के हवाले कर दिया गया। संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की अध्यक्षता में गठित प्रवर समिति में उत्तराखंड राज्य आंदोलन की पृष्ठभूमि वाले विधायक विनोद चमोली भी सदस्य हैं। उसके अलावा भाजपा से ही समिति में विधायक मुन्ना सिंह चौहान और विपक्ष से कांग्रेस के भुवन कापड़ी व बसपा के मो. शहजाद शामिल हैं। समिति की कभी बैठक टलने और कभी किसी अन्य बहाने से मसला लगातार लटक रहा है। आंदोलनकारियों का कहना है कि अब समिति की बैठक आगामी दो माह के लिए टाल कर छल किया जा रहा है।

प्रवर समिति की बैठक दो माह टाले जाने पर मंत्री और सीएम के समक्ष दर्ज कराएंगे विरोध

मंगलवार अपराह्न यहां कलक्ट्रेट स्थित शहीद स्मारक परिसर में मंच की आपात बैठक की निंदा करते हुए इसकी बैठक को 2 माह आगे बढ़ाए जाने पर आक्रोश व्यक्त किया गया। प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी व प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती ने आरोप लगाया कि 10 फीसद क्षैतिज आरक्षण संबंधी मामले में लापरवाही और ढिलाई की जा रही है। यही नहीं, उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य आंदोलनकारियों के साथ ‘मामा मारीच’ बनकर छल किया गया है। यह शहीदों के परिजनों और तमाम राज्य आंदोलनकारियों की भावनाओं कें साथ भद्दा मजाक है। तय किया गया कि राज्य आंदोलनकारी मंच सर्वप्रथम प्रवर समिति कें अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल से मिलकर समिति की बैठक टाले जाने पर विरोध दर्ज कराएगा। इसके बाद भी बैठक का समय 2 माह के बजाय घटाकर अधिकतम 2 सप्ताह न किया गया, तो आंदोलनकारी मुख्यमंत्री के द्वार पर विरोध दर्ज कराएंगे।

सरकार की मंशा पर आंदोलनकारियों ने उठाए सवाल
बैठक में बीर सिंह रावत व सूर्या बमराड़ा ने आरोप लगाया कि अब अधिकांश आंदोलनकारियों की अधिकतम आयु सीमा पार हो चुकी है। आखिरी इसका जिम्मेदार कौन है? यदि सरकार की मंशा साफ है, तो फिर कभी उपसमिति, कभी कैबिनेट बैठक और अब पुनः प्रवर समिति की बैठक पर बैठक के बहाने सभी की भावनाओं कें साथ खिलवाड़ क्यों किया जा रहा हैं? मंच कें सुदेश कुमार ने कहा कि सरकार को बहुत समय दिया जा चुका। अब हम आगे की यह रणनीति बनाने को स्वतंत्र हैं कि कब, कहां, किसका विरोध करना है। बैठक में विनोद असवाल, सतेंद्र नौगांई, विजय बलूनी, प्रभात डंडरियाल, आशीष चौहान, शैलेंद्र सिंह राणा आदि ने भी विचार व्यक्त किए।

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