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हजारों लोगों की आस्था की प्रतीक ‘जगदी की जात’ 24 से 26 तक होगी आयोजित

घनसाली। भिलंगना ब्लॉक की ग्यारहगांव-हिंदाव पट्टी क्षेत्र का प्रमुख धार्मिक लोकोत्सव ‘जगदी की जात’ 24 से 26 दिसंबर तक आयोजित होगी। क्षेत्र की आराध्य देवी जगदी की वार्षिक जात्रा का मुर्हूत शनिवार को हिंदाव पट्टी स्थित अंथवाल गांव में मंदिर समिति के पदाधिकारियों व ग्रामीणों की मौजूदगी में पुरोहित ने पंचांग गणना के बाद निकाला।

देवी की डोली 25 को अंथवाल गांव का करेगी भ्रमण, 26 को शिला सौड़ में लगेगा मेला

घोषित कार्यक्रम के अनुसार 24 दिसंबर (रविवार) को देवी की विशेष पूजा-अर्चना और प्रतिमा स्नान आदि आदि के साथ तीन दिवसीय प्रक्रिया का श्रीगणेश होगा, लेकिन मुख्य आयोजन 25 व 26 दिसंबर को होगा। 25 दिसंबर (सोमवार) को देवी की डोली मंदिर में दर्शन देने के साथ ही ग्राम भ्रमण करेगी। इस दौरान गांव में मेला आयोजित होगा। उसी रात डोली गांव से ऊपर पहाड़ी पर स्थित ‘शिला सौड़’ पहुंचेगी, जहां रात भर देवी जागरण और मंडाण लगेगा। 26 दिसंबर (मंगलवार) को तीसरे व अंतिम दिन शिला सौड़ में विशेष पूजा-अर्चना और यज्ञ के बाद डोली यात्रा वापस गांव स्थित मंदिर पहुंचकर विश्राम लेगी। 25 व 26 दिसंबर को गांव के साथ ही शिला सौड़ में भी मेला आयोजित होगा, हर साल की तरह हजारों श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है।

ग्यारहगांव-हिंदाव क्षेत्र की लोक देवी है जगदी, कड़ाके की शीत के बीच होती है वार्षिक जात्रा

घनसाली तहसील क्षेत्र की उक्त पट्टियों साथ ही ‘जगदी की जात’ टिहरी जिले के प्रमुख आयोजनों में एक है। इसमें रूद्रप्रयाग जिले की सीमावर्ती पट्टियों से भी काफी संख्या में लोग शामिल होते हैं। दरअसल, देवी जगदी की इस पूरे क्षेत्र में काफी मान्यता है। इसे ‘ज्वालपा’ के नाम से भी जाना जाता हैं। ज्वालपा को देवी ज्वाला का ही रूप माना जाता है। जगदी (ज्वालपा) का मंदिर हिंदाव पट्टी के अंथवाल गांव में है। हर साल दिसंबर माह में देवी की वार्षिक ‘जात’ (डोली यात्रा) आयोजित किए जाने की परंपरा सदियों पुरानी मानी जाती है। यह आयोजन ऐसे वक्त पर होता है, जब शीतकाल अपने चरम पर होता है और यह क्षेत्र इस दौरान अक्सर हिमपात का सामना करता है। इसके बावजूद, लोगों की आस्था और उल्लास पर कोई कमी नहीं आती।

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