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हेलंग-मारवाड़ी बाईपास का निर्माण फिर शुरू करने को शासन ने दी हरी झंडी

देहरादून। भू-धसाव प्रभावित जोशीमठ शहर के भीड़भाड़ वाले इलाके से इतर निकाले जा रहे हेलंग-मारवाड़ी बाईपास का अर्से से रूका हुआ काम जल्द शुरू हो सकता है। शासन ने निर्माण कार्य पर लगी रोक को हटाते हुए काम शुरू करने के लिए हरी झंडी दे दी है। हालांकि, यह अनुमति कुछ शर्तों के साथ दी गई है।

उत्तराखंड में ऑल वेदर रोड परियोजना के तहत सभी प्रमुख नेशनल हाईवे की चौड़ाई का विस्तार किया जा रहा है। इसी के तहत गाजियाबाद-माणा नेशनल हाईवे-58 के ऋषिकेश से बदरीनाथ तक के हिस्से को भी चौड़ा किया जा रहा है। ऋषिकेश से पीपलकोटी के आसपास तक और जोशीमठ से बदरीनाथ के बीच काम काफी हद तक हो चुका है, लेकिन जोशीमठ शहर में यह संभव नहीं हो पा रहा। मौजूदा हाईवे को चौड़ा करने की स्थिति में जोशीमठ शहर के घनी आबादी वाले व्यस्ततम क्षेत्र व्यापक तौर पर प्रभावित होते। इससे बचने के लिए बाईपास का विकल्प तलाशा गया। जोशीमठ शहर के निचले हिस्से में हेलंग से मारवाड़ी तक यह बाईपास प्रस्तावित है। इससे बदरीनाथ धाम तक की दूरी भी करीब 25 से 30 किलोमीटर कम हो जाएगी। पिछले साल बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) ने बाईपास निर्माण का काम शुरू कर दिया।

हेलंग-मारवाड़ी बाईपास का काम अभी चल ही रहा था कि इसी बीच, जोशीमठ शहर तेजी से धसने लगा। दिसंबर-जनवरी में भू-धसाव में व्यापक तेजी आई, जिसके बाद सरकार ने जनवरी माह में जोशीमठ और इसके आसपास संचालित सभी प्रोजेक्ट के कार्यों पर अस्थायी रोक लगा दी थी। जोशीमठ भू-धसाव के अध्ययन के लिए विशेषज्ञों की कमेटी गठित की गई। इसके साथ ही हेलंग-मारवाड़ी बाईपास के निर्माण और इससे पड़ने वाले असर के अध्ययन के लिए आईआईटी रूड़की, टीएचडीसी और पीडब्ल्यूडी के एक्सपर्ट्स की कमेटी गठित की गई। पिछले महीने कमेटी ने शासन को रिपोर्ट सौंपी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शासन ने उक्त कमेटी की रिपोर्ट के बाद अब हेलंग-मारवाड़ी बाईपास के निर्माण कार्य पर लगी रोक हटा ली है।

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