उत्तराखंड के इस शिवालय की स्वयं गंगा करती है परिक्रमा
नरेंद्र नगर। पतित पावनी गंगा-यमुना, अलकनंदा, भागीरथी, मंदाकिनी, नंदाकिनी, धौली, नयार, पिंडर, भिलंगना, सरयू, कोसी, शारदा सरीखी असंख्य सदानीरा की उद्गम भूमि उत्तराखंड। चारधाम, मठ-मंदिरों, शिवालयों और शक्तिपीठों समेत अनगिनत आस्था केंद्रों की भूमि उत्तराखंड। यूं ही देवभूमि नहीं कहा गया उत्तराखंड को। कण-कण में शंकर वाली परिकल्पना इसी उत्तराखंड में मूर्तरूप लेती है। शिव का हिमालय से अटूट संबंध है। शिव हिमालयवासियों के सर्वाधिक लोकप्रिय देव हैं। शिव हिमालय के आराध्य हैं। लिहाजा, मध्य हिमालय के इस उत्तराखंडी भू-भाग में एकादश ज्योर्तिलिंग केदारनाथ समेत सर्वाधिक उपासना स्थल्र ‘शिव’ और ‘शक्ति’ से जुड़े ही मिलते हैं।
कोटेश्वर डैम प्रोजेक्ट के नजदीक है कोटेश्वर महादेव मंदिर
बहरहाल, यहां हम आपको लिए चल रहे हैं देवाधिदेव शिव की उस मनोहारी भूमि पर, जहां स्वयं गंगा (भगीरथी) शिव की परिक्रमा करती प्रतीत होती है। ठीक उसी तरह, जिस तरह शिवलिंग की बाहरी गोलाकृति या जलेरी होती है। गंगा की लहरों के किनारे स्थित इस शिवालय को ‘कोटेश्वर महादेव’ के नाम से जाना जाता है। यूं तो कोटेश्वर महादेव नाम से रूद्रप्रयाग जिले में भी प्रसिद्ध शिवतीर्थ है। लेकिन, यहां हम जिस कोटेश्वर महादेव का उल्लेख कर रहे हैं, वह स्थित है देश-दुनिया में प्रसिद्ध टिहरी डैम प्रोजेक्ट के हिस्से कोटेश्वर डैम प्रोजेक्ट के नजदीक। ऋशिकेश-गंगोत्री नेशनल हाईवे (एनएच-94) पर स्थित है खाड़ी नामक ग्रामीण बाजार। यहां हाईवे से हटकर गुजरने वाले खाड़ी-गजा-देवप्रयाग मार्ग पर करीब 38 किलोमीटर दूर स्थित है चाका। चाका से नीचे करीब 4-5 किलोमीटर उतरने के बाद स्थित है कोटेश्वर महादेव मंदिर। इससे कुछ दूर पर ही टीएचडीसी की कोटेश्वर बांध परियोजना और उसकी झील स्थित है। कोटेश्वर महादेव मंदिर टिहरी बांध के जीरो प्वाइंट से नदी के समानांतर चाका तक आ रही सड़क पर 25 किलोमीटर के आसपास है।
गंगा और शिवालय की शांति मिटा देती है खराब रास्ते की थकान
कोटेश्वर में शिवालय के अलावा धर्मशाला और स्नान घाट भी बने हैं। सावन में यहां आने वालों की खासी भीड़ रहती है। लेकिन, वर्षभर भी आस्थावान जब-तब यहां दर्शनार्थ आते हैं। हालांकि, कोटेश्वर तक पहुंचने के लिए तकरीबन डेढ़ से दो किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है और यहां पहुंचने वाली सड़क की दशा भी बेहद खराब है। बावजूद, इसके यहां पहुंचते ही भागीरथी की एकदम निर्मल-निश्छल लहरों और शांत वातावरण के बीच लोग अपनी थकान को भूल जाते हैं। यहां चारों ओर असीम शांति है, नदी है, घने जंगल और दूर ग्रामीण खेतों की हरियाली भी। ऊपर पैदल मार्ग से नीचे नजर डालते ही गंगाा (भगीरथी) गोलाकार में मंदिर की परिक्रमा करती दिखती है।
सरकार ध्यान दे, तो बन सकता है बेहतरीन तीर्थाटन केंद्र
बैरोला (चाका) निवासी सोशल एक्वििस्ट व आईटी प्रोफेशनल प्रभाकर उनियाल का कहना है कि कोटेश्वर महादेव नरेंद्र नगर ब्लॉक और विधानसभा क्षेत्र में स्थित है। यहां तक अच्छी सड़क और कुछेक मूलभूत सुविधाएं यात्रियों के लिए उपलब्ध हो जाएं, तो यह टिहरी जिले में एक और बेहतरीन तीर्थाटन केंद्र के रूप में उभर सकता है। इसकी वजह यह है कि टिहरी बांध और झील से इसकी दूरी महज 24-25 किलोमीटर है। वह भी नदी के किनारे-किनारे और यहां तक आने वाले को रास्ते में कोटेश्वर डैम व झील के भी दीदार हो सकते हैं। दूसरे, इस स्थान की नैसर्गिक खूबसूरती और गंगा का निर्मल-अविरल प्रवाह् किसी को भी आकर्षित करने को काफी है। उस पर शांत-सुकुनभरे माहौल में शिव आराधना का अवसर तो है ही। बकौल प्रभाकर, सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।