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उत्सवी उल्लासः पीपलमंडी में 1880 की कालीबाड़ी, 101 साल पुराना करनपुर का दुर्गापूजा पंडाल

देहरादून। शारदीय नवरात्र अब अपनी पूर्णता की ओर हैं। विजयादशमी (दशहरा) से ऐन पहले दूनघाटी उत्सवी उल्लास में डूबी है। बंगाली समाज के पूजा पंडालों में देर रात तक सांस्कृतिक आयोजन श्रद्धालुओं में उमंग भर रहे हैं।

पूजा के साथ ही पंडालों में देर रात तक हो रहे सांस्कृतिक आयोजन

देहरादून शहर में वर्तमान में करीब दर्जनभर स्थानों पर सार्वजनिक दुर्गापूजा समारोह का आयोजन किया जा रहा है। इनमें सबसे पुराना आयोजन करनपुर स्थित बंगाली लाइब्रेरी (बंगाली मोहल्ला) में होता आ रहा है। 1901 में स्थापित बंगाली लाईब्ररी में 1922 से पूजा पंडाल सज रहा है और इस बार 101वां सार्वजनिक पूजा आयोजन हो रहा है। हालांकि, दून में 1880 के आसपास सबसे पहले हनुमान चौक के नजदीक स्थित पीपलमंडी में कालीबाड़ी की स्थापना की गई थी।

यह मंदिर आज भी पीपलमंडी में स्थित है, लेकिन आयोजन उस तरह नहीं होता, जिस तरह अन्य पूजा-पंडालों में होता है। शहर में इसके अलावा दूसरी कालीबाड़ी आराघर मॉडल कॉलोनी में साल-1978 में स्थापित की गई थी। इसके अलावा शहर में बंगाली लाइब्रेरी समेत सभी दुर्गाबाड़ी हैं, जहां पूजा-अर्चना और सांस्कृतिक आयोजन होते हैं। भीड़ के लिहाज से सबसे बड़ा पूजा पंडाल रायपुर स्थित आर्डनेंस फैक्टरी मैदान में होता है, लेकिन पिछले आठ दशक से हो रहे इस आयोजन को इस बार बंगाली समाज के बजाय ऑर्डनेंस फैक्टरी प्रबंधन ने अपने अपने हाथ में ले लिया है। लिहाजा, बंगाली समाज ने इससे कुछ दूर स्थित कम्युनिटी सेंटर में पूजा पंडाल लगाया है।

आराघर की कालीबाड़ी में चला 76 वर्षीय एलेक्जेंडर की आवाज का जादू

बिंदाल पुल के नजदीक माल रोड, राजा रोड, करनपुर बाजार, रिस्पना पुल, कालिंदी एनक्लेव आदि कई क्षेत्रों में दुर्गा पूजा पंडाल सजे हैं। पूजा पंडालों में देर रात तक सांस्कृतिक आयोजन हो रहे हैं। आराघर मॉडल कॉलोनी स्थित कालीबाड़ी के पूजा पंडाल में रविवार रात देहरादून के गुजरे जमाने के जाने-माने ऑर्केस्ट्रा गायक 76 वर्षीय अलेक्जेंडर ने अपनी आवाज का जादू बिखेरा। हिंदी और बांग्ला भाषा के कई गीतों से अलेक्जेंडर ने देर रात तक श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध किए रखा।

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