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42 साल बाद भी पथरी में बसाए गए टिहरी बांध विस्थापित अपने घर-अपनी जमीन के मालिक नहीं

देहरादून। हरिद्वार के पथरी क्षेत्र में बसाए गए टिहरी बांध विस्थापितों को 42 वर्ष बाद भी भूमिधर का अधिकार नहीं मिला है। टिहरी बांध विस्थापितों के दु:ख-दर्द को लेकर कांग्रेस मुखर हो रही है। पूर्व मुख्यमंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने पथरी क्षेत्र के विस्थापितों को भूमिधरी के अधिकार देने की मांग को लेकर 1 फरवरी को यहां गांधी पार्क में मौन व्रत पर बैठने का ऐलान किया है।

सोमवार को यहां प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि राष्ट्र की प्रगति के लिए टिहरी की महान जनता ने अद्वितीय त्याग किया। उन्होंने अपने सुंदर घर, अति उपजाऊ भूमि व अतुलनीय संस्कृति को राष्ट्र और समाज के लिए समर्पित करते हुए विस्थापित होना स्वीकार किया। लेकिन, आज तक ये विस्थापित कई तरह की कठिनाइयों को झेल रहे हैं। उनसे किए गए कई वादे अभी पूरे नहीं हुए हैं। 

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि टिहरी बांध विस्थापितों में सबसे चिंताजनक स्थिति हरिद्वार के पथरी क्षेत्र के भाग 1, 2, 3 व 4 में बसे परिवारों की है। वे जिस भूमि पर बसे हैं, 42 वर्षों बाद भी उसका भूमिधर का अधिकार उन्हें प्राप्त नहीं है। यह लोग जोते जा रहे खेतों और अपने घरों के मालिक नहीं हैं। इन्हें बैंकों सहित कोई भी ऋण सुविधा भूमि के आधार पर लेने का अधिकार नहीं है। स्वामी होते हुए भी वे स्वामित्व से वंचित हैं। इन्हें सामान्य ग्रामवासियों को प्राप्त होने वाले कोई हक-हकूक उपलब्ध नहीं है। 

रावत ने कहा कि वर्ष-2016 में उनकी तत्कालीन सरकार ने इन लोगों को मालिकाना हक देने के निर्देश जारी किए और पत्रावली तैयार करवाई। लेकिन, सत्ता परिवर्तन के साथ यह प्रक्रिया ठंडे बस्ते में डाल दी गई। इस दौरान वन विभाग की ओर से करवाए गए एक तथाकथित सर्वेक्षण में टिहरी बांध विस्थापितों के पास आवंटित 912 एकड़ भूमि के बजाय 968 एकड़ भूमि पर कब्जेदार बताए जाने के बाद सारे मामले को उलझाया जा रहा है। 23 हेक्टेयर भूमि को लेकर सारी भूमिधरी प्रक्रिया को उलझाने के प्रयास किए जा रहे हैं, जो जो निंदनीय और पूर्णतः अस्वीकार्य है। इस सारी भूमि पर वर्ष 2015-16 में घेरबाड़ और दीवारबंदी हो चुकी है। 

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत लड़ेंगे विस्थापितों की लड़ाई, 1 फरवरी को गांधी पार्क में करेंगे मौन व्रत 

पूर्व सीएम रावत ने मुख्यमंत्री से पथरी के विस्थापितों को भूमिधरी अधिकार देने के लिए मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर मामले का सकारात्मक निस्तारण करने, वन विभाग के सर्वेक्षण व उसके निष्कर्षों को वापस लेने और विस्थापितों से किए गए वादों के पर्यवेक्षण के लिए मंत्री के साथ टीएचडीसी व पुनर्वास निदेशक की एक संयुक्त कमेटी गठित करने की मांग उठाई है। उन्होंने कहा कि वे इस मामले में 1 फरवरी को दोपहर 12 बजे से गांधी पार्क में 1 घंटे का मौन व्रत करेंगे।

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