आह्वान का असर: रैली से पहले ही सरकार ने ‘मूल निवास’ पर जारी किया शासनादेश
देहरादून। उत्तराखंड में मूल निवास प्रमाण-पत्र धारकों को स्थायी निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए विभाग अब बाध्य नहीं कर पाएंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर सचिव (सामान्य प्रशासन विभाग) विनोद कुमार सुमन की ओर से बुधवार को इस संबंध में आदेश जारी किए गए। दोनो मंडलायुक्तों, सभी डीएम, विभाधायक्षों व कार्यालयाध्यक्षों से सचिव ने उक्त आदेशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने को कहा है।
मूल निवास और सशक्त भू-कानून पर 24 को देहरादून में प्रस्तावित है रैली
गौरतलब है कि यह आदेश ऐसे वक्त पर आया है, जब 24 दिसंबर को 1950 को आधार वर्ष मानते हुए राज्य में मूल निवास प्रमाण पत्र की व्यवस्था और सशक्त भू-कानून लागू करने की मांग को लेकर राजधानी में विशाल रैली का आह्वान किया गया है। प्रख्यात लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी, उप्रेती सिस्टर्स और किशन बागोट समेत कई हस्तियों के साथ ही उत्तराखंड क्रांति दल, उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच जैसे कई दलों-संगठनों ने प्रस्तावित रैली को समर्थन देते हुए इसमें सक्रिय भागीदारी का ऐलान किया है।
मूल निवास प्रमाण-पत्र होगा में सभी जगह मान्य, स्थायी निवास प्रमाण-पत्र बनवाने की नहीं होगी बाध्यता
सचिव (सामान्य प्रशासन) की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि शासन के संज्ञान में यह तथ्य लाया गया था कि राज्य में सेवायोजन, शैक्षणिक संस्थाओं आदि के साथ ही प्रदेश में अन्य विभिन्न कार्यों के लिए उत्तराखंड के मूल निवास प्रमाण पत्र धारकों को संबंधित विभाग व संस्थाएं स्थायी निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए बाध्य कर रहे हैं। जबकि, इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग के शासनादेश संख्या 60/CM/xxxi (13)G/07-87(3)/2007 दिनांक 28 सितंबर 2007 के मध्यम से मूल निवास प्रमाण पत्र धारकों के लिए स्थायी निवास प्रमाण पत्र की आवश्यकता न होने संबंधी स्पष्ट निर्देश पूर्व में ही दिए गए हैं।
सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि जिन प्रयोजनों के लिए स्थायी निवास प्रमाण पत्र की आवश्यकता है, उन प्रयोजनों के लिए मूल निवास प्रमाण पत्र धारकों को स्थायी निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए बाध्य न किया जाए। उन्होंने कहा कि उक्त आदेशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए।

