भूले-बिसरे लोग

उत्तराखंडइतिहासदेश-दुनियाभूले-बिसरे लोग

…जब 36 साल पूर्व लोकसभा की दर्शकदीर्घा से पहली बार हुई थी ‘उत्तराखंड’ की गूंज, पर्चे फेंकते हुए कूदे थे त्रिवेंद्र

देहरादून। बुधवार को संसद में नारों की गूंज के साथ जो घटनाक्रम घटित हुआ, वह निंदनीय है। निंदनीय इसलिए, क्योंकि

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उत्तराखंडइतिहासपरिचयभूले-बिसरे लोगव्यक्तित्व

राज्य आंदोलनकारी मंच की बेहतरीन पहल, उत्तराखंड आंदोलन के पुराने योद्धाओं को कर रहे घर-घर जाकर सम्मानित

देहरादून। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच ने उत्तराखंड राज्य के 24वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में अभिनव पहल की है। मंच

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उत्तराखंडइतिहासधरोहरभूले-बिसरे लोगसप्तचक्र

टिहरी के ‘कम्युनिस्ट’ ने रची थी गढ़भाषा में लीला रामायण, दून में कराई आजतक की एकमात्र गढ़वाली रामलीला

देहरादून। वे जीवनभर कम्युनिस्ट रहेे। कम्युनिस्ट और धर्म के बीच एक दूरी मानी जाती है। धार्मिक आख्यानों-धर्म से जुड़ी गतिविधि

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