अशोक वाटिका उजड़ी, लंका का दहन हुआ, अब होनेे को है राम-रावण युद्ध की हुंकार
देहरादून। विजयादशमी से ऐन पहले रामलीलाओं का मंचन अपने चरम पर है। अशोक वाटिका उजाड़े जाने और लंका दहन के बाद अब राम-रावण युद्ध आसन्न है। ऐसे में सर्द रातों के बावजूद, रोमांचित दर्शक देर तक मंच की ओर नजरें गढाए बैठ रहे हैं। कलाकार अपने किरदारों को मंच पर जीवंत करने के लिए पूरी मेहनत कर रहे हैं, तो दर्शक भी उन्हें मुक्तकंठ से सराहने के लिए खासी तादाद में पंडालों तक पहुंच रहे हैं।
टिहरी नगर की रामलीला में दमदार रहे रावण-मेघनाद
रामलीलाओं का मंचन भी अब अपने समापन की ओर है। भीड़ के लिहाज से सबसे बड़ा आयोजन इस बार अजबपुर खुर्द स्थित टिहरी नगर (दून यूनिवर्सिटी रोड) में हो रहा है। जलमग्न हो चुके पुराने टिहरी शहर की श्रीरामकृष्ण लीला समिति-1952 की ओर से करीब 21 साल के अंतराल के बाद टिहरी की उस रामलीला को देहरादून में मंचित किया जा रहा हैं। मंचन में नए-पुराने कलाकारों के साथ ही आधुनिक तकनीकों का भी इस्तेमाल किया गया है, जो मंच और मंचन को प्रभावशाली बना रहे हैं। कलाकारों का वस्त्र-विन्यास भी तड़क-भड़क से दूर दृश्यों और पात्रों के अनुकूल है। रविवार रात अशोक वाटिका, हनुमान-मेघनाद संवाद, लंका दहन जैसे दृश्यों का मंचन किया गया। रावण की भूमिका में नरेश कुमार और मेघनाद के किरदार में आयोजन समिति के अध्यक्ष अभिनव थापर दमदार ढंग से अपनी भूमिकाओं को निभाते हुए प्रभाव छोड़ रहे हैं। डायलॉग डिलीवरी प्रभावशाली है। हनुमान बने तपेंद्र चौहान समेत बाकी कलाकार भी ठीक-ठाक करने का प्रयास कर रहे हैं।
अब तक 1.50 लाख लोग देख चुके मंचन, वीआईपी तोड़ रहे लीला की लय
टिहरी नगर की रामलीला में चंद मिनटों के लिए अपनी सुविधानुसार पहुंच रहे मुख्य अतिथियों और विशिष्ट अतिथियों के मंच पर आने के कारण बार-बार व्यवधान उत्पन्न हो रहा है। इससे मंचित प्रसंगों की लय टूट रही है और कलाकारों व दर्शकों, दोनों की तारतम्यता भंग हो रही है। आयोजक बताते हैं कि अब तक फिजिकली और डिजिटली करीब 1.50 लाख लोग इस रामलीला का आनंद उठा चुके हैं। यहां मंचन 25 अक्तूबर को विराम लेगा।
पर्वतीय रामलीला कमेटी के मंचन में भी झलक रही कलाकारों की मेहनत
टिहरी नगर के अलावा पर्वतीय रामलीला कमेटी की ओर से धर्मपुर चौक स्थित विद्यामंदिर परिसर में हो रही 14वीं रामलीला मंच भी अब अंगद-रावण संवाद से होता हुआ राम-रावण युद्ध के करीब पहुंच चुका है। निरंतरता के चलते सभी कलाकार यहां भी अपने किरदारों को ठीक-ठाक निभा रहे हैं।
शुरूआती दौर में सीआईएमएस और यूआईएचएमटी ग्रुप के चेयरमैन ललित मोहन जोशी का बतौर श्रवण कुमार निभाया गया किरदार काफी प्रभावशाली रहा। वे इस रामलीला से आरंभ से जुड़े रहे हैं और चार साल तक राम की भूमिका भी निभा चुके हैं। हालांकि, यहां कलाकारों की रूप सज्जा कई बार कुछ ज्यादा भारी हो जा रही है। पंडाल में भी टेंट को थामने के लिए अत्यधिक संख्या में लगे बांस दर्शकों और मंच के बीच बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। इसके बावजूद, कलाकारों की मेहनत के चलते दर्शक देर रात तक पंडाल में जुट रहे हैं। रामलीला बाजार, श्रीगुरू नानक बालक पब्लिक इंटर कॉलेज और राजपुर में भी रामलीला समाप्ति के करीब है।