छावला कांडः ‘बिटिया’ कोे न्याय दिलाने की मुहिम में उत्तराखंड के तमाम संगठन आए साथ
देहरादून। उत्तराखंड मूल की युवती के साथ साल-2012 में दिल्ली के छावला में हुए गैंगरेप और वीभत्स हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका खारिज होने से उसके परिजन और सोशल एक्टिविस्ट खासे नाराज हैं। वे अब इस मामले में एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन (उपचारात्मक याचिका) के जरिए दस्तक देने जा रहे हैं। यही नहीं, 9 अप्रैल को युवती के परिजन तमाम अन्य लोगों के साथ दिल्ली के जंतर-मंतर में धरना देकर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के हस्तक्षेप की गुहार लगाएंगे।
गैंगरेप और वीभत्स हत्या मामले में कोर्ट कर चुका सभी को बरी
देश की सर्वोच्च अदालत के रवैये से व्यथित परिजनों ने यहां उत्तरांचल प्रेस क्लब पहुंचकर आपबीती सुनाई और उत्तराखंड सरकार के साथ ही यहां के लोगों से न्याय पाने की इस मुहिम के लिए समर्थन मांगा। पौड़ी जिले के नैनीडांडा ब्लॉक के एक गांव निवासी 19 वर्षीय युवती अपने माता-पिता के साथ दिल्ली में नजफगढ़ स्थित छावला क्षेत्र में रहती थी। वह गुरूग्राम की एक कंपनी में जॉब करके अपने परिवार को आर्थिक संबल दे रही थी। 9 फरवरी 2012 को वह सहेलियों के साथ कंपनी से घर लौट रही थी। तभी कुछ हैवानों ने उसे अगवा कर उसके साथ गैंगरेप किया और हत्या करके तेजाब डालकर चेहरा जलाने के बाद उसके शव को खेतों में फेंक दिया। इस मामले में तीन आरोपियों को निचली अदालतों ने फांसी की सजा सुनाई। लेकिन, 7 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने इस मामले में सभी को सकते में डाल दिया। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों से फांसी की सजा पाए तीनों दोषियों को बरी कर दिया। इसके खिलाफ लड़की के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की, लेकिन हाल ही में कोर्ट ने उसे भी खारिज कर दिया।

…तो आखिर किसने किया गैंगरेप और हत्याः योगिता भयाना
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हताश और आक्रोशित परिजन इस मामले में न्याय के लिए मुहिम चला रही ‘पेरेंट्स अगेंस्ट रेप इन इंडिया’ (परी) से जुड़ी सोशल एक्टिविस्ट योगिता भयाना व सामाजिक कार्यकर्ता आकाशदीप के साथ यहां उत्तरांचल प्रेस क्लब पहुंचे। मीडिया से मुखातिब योगिता भयाना ने सवाल किया कि कोर्ट भी मानता है रेप हुआ-हत्या हुई। निचली अदालतों से फांसी की सजा पाए तीनो दोषियों को उसने दोषमुक्त कर दिया। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर उत्तराखंड की बेटी की हत्या किसने की? उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को कम से कम इतना तो करना ही चाहिए था कि पुलिस को इस मामले में जांचकर दोषियों को पकड़ने का आदेश देती, लेकिन उसने ऐसा भी नहीं किया। पलक झपकते ही बरी कर दिया। जबकि, सभी को यह उम्मीद थी कि फांसी पाए दोषियों को सर्वोच्च अदालत कम से कम आजीवन कारावास तो करेगी ही। योगिता व युवती के परिजनों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से अपील की कि उत्तराखंड की बेटी को न्याय दिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में विस्तृत चर्चा करें। पीड़ित परिवार भी प्रधानमंत्री से मिलकर अपनी व्यथा रखना चाहता है। बकौल योगिता, उन्होंने और लड़की के परिजनों ने मुख्यमंत्री कार्यालय में दो बार संपर्क करके मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा, लेकिन उन्हें समय नहीं मिला।
उत्तराखंड से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सीजेआई को भेजंेगे ज्ञापन
इस बीच, प्रेस क्लब में संयुक्त नागरिक संगठन की पहल पर अखिल भारतीय उपभोक्ता समिति के मुखिया ब्रिगेडियर (अप्रा.) केजी बहल, कर्नल (अप्रा.) बीएम थापा, उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी कल्याण समिति के मुकेश नारायण शर्मा, नागरिक संगठन के सुशील त्यागी, राजकीय पेंशनर संगठन के ओमवीर सिंह, दून सिख वेलफेयर सोसायटी के जसवीर सिंह रेनोत्रा व जितेंद्र डंडोना आदि ने युवती के माता-पिता व परी के प्रतिनिधियों से भेंटकर उत्तराखंड की बेटी को न्याय दिलाने की उनकी मुहिम के प्रति समर्थन व्यक्त करते हुए कहा कि यहां से सभी संस्थाएं राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को ज्ञापन भेजेंगे। अविभाजित उत्तर प्रदेश में राजस्व परिषद के सदस्य, प्रमुख सचिव व गढ़वाल के कमिश्नर रहे पूर्व आईएएस सुरेंद्र सिंह पांगती, पूर्व सैनिक संगठन के महासचिव पीसी थपलियाल, उत्तराखंड क्रांति दल की केंद्रीय उपाध्यक्ष प्रमिला रावत, उत्तरांचल प्रेस क्लब के अध्यक्ष अजय राणा, पूर्व अध्यक्ष जितेंद्र अंथवाल ने भी युवती के परिजनों और परी के प्रतिनिधियों योगिता भयाना व आकाशदीप से इस मामले में विस्तृत चर्चा कर न्याय की इस लड़ाई के प्रति समर्थन व्यक्त किया।

