मंच पर छलका प्रेमचंद के ‘होरी’ और ‘धनिया’ का दर्द
देहरादून। नाट्य संस्था ‘वातायन’ की ओर से 3 और 4 अप्रैल को नगर निगम के जुगमंदर हॉल में मुंशी प्रेमचंद के प्रसिद्ध उपन्यास ‘गोदान’ का नाट्य मंचन किया गया। साल-1936 में रचित उपन्यास में मुंशी प्रेमचंद ने ग्रामीण जीवन विशेषकर किसान की पीड़ा का चित्रण किया है। निर्देशक मंजुल मयंक मिश्र के किए नाट्य रूपांतरण को सभी कलाकारों ने अपने उत्कृष्ट अभिनय से जीवंत कर दिया।

गोदान की कथा किसान होरी तथा उसकी पत्नी धनिया के इर्द-गिर्द घूमती है। किसान होरी के परिवार का जमीदार, पटवारी, सूदखोर महाजन, पुलिस व धर्म के कथित ठेकेदार किस तरह शोषण करते हैं और किस तरह एक भोले-भाले किसान को मजदूर बना देते हैं, इसे बखूबी दर्शाया गया। कृषि वर्ग का प्रतिनिधि पात्र होरी अंततः कुचक्र में फंस कर अपनी जान दे देता है। उसकी पत्नी धनिया बचे खुचे पैसों को अपने मृत पति के हाथ में रखकर उसका गोदान करवाती है। गोदान की मार्मिक कथा के साथ निर्देशक और सभी पात्रों ने पूरा न्याय किया है। नाटक में धनिया के रूप में सोनिया नौटियाल गैरोला ने बहुत सहज व सजीव अभिनय किया। धीरज सिंह रावत किसान होरी के रूप में जमते हैं। नाटक में प्रदीप घिल्डियाल, रमेंद्र कोटनाला, नवनीत गैरोला, शुभम बहुगुणा, सोनिया वालिया, हरीश भट्ट, चेतन प्रकाश, अमित बहुखुंडी, सिद्धि भंडारी, अनामिका राज, पदम सिंह राजपूत, गिरिजा चौहान, नवीन मिश्रा, मयंक नेगी, वीरेंद्र गुप्ता ने भी सुंदर और सजीव अभिनय किया। वेशभूषा व रूपसज्जा नाटक के अनुरूप थी, जिसे विनीता रितुंजय व कीर्ति भंडारी ने बखूबी निभाया।

इस अवसर पर वातायन के अध्यक्ष रोशन धस्माना, उपाध्यक्ष उदय शंकर भट्ट, सचिव गजेन्द्र वर्मा, कोषाध्यक्ष संतोष गैरोला, वातायान के पूर्व अध्यक्ष सलमान जैदी, मदन डुकलान, गढ़वाल सभा के महासचिव गजेंद्र भंडारी, वरिष्ठ रंगकर्मी कुलानंद घनशाला आदि उपस्थित थे।

