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मॉकड्रिल : दून में बज उठे हवाई हमले के सायरन, शहर में ब्लैक आउट, कृत्रिम बमबारी

देहरादून। राजधानी के कई हिस्सों में बुधवार शाम दुश्मन के हवाई हमले के प्रति सतर्क रहने और उससे उत्पन्न स्थिति से निपटने की तैयारियों को परखने के लिए मॉक ड्रिल की गई। सात स्थानों पर एक साथ खतरे की चेतावनी देने वाले सायरन बज उठे, लेकिन सबसे बड़ा हमला और नुकसान आईएसबीटी और उससे सटी एमडीडीए कॉलोनी में दर्शाया गया।

पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान में उत्पन्न तनाव के बीच केंद्र सरकार के निर्देश पर बुधवार को देश भर में 244 जिलों में मॉक ड्रिल करने के निर्देश दिए थे। उत्तराखंड में सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण देहरादून शहर को इसके लिए चुना गया। हालांकि, मॉकड्र्रिल से ऐन पहले मंगल-बुध की दरमियानी रात पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर भारत की एयर स्ट्राइक के बाद हालात बदल गए और तनाव काफी बढ़ गया। ऐसे में पूरी तैयारी के साथ यह मॉकड्रिल की गई।

अंबाला कंट्रोल ने दी सूचना, डीएम ने संभाला आईआरएस और सिविल डिफेंस ने सायरन

शाम ठीक 4 बजकर 10 मिनट पर अंबाला स्थित कंट्रोल रूम से दुश्मन के फाइटर के उड़ान भरने की सूचना मिलती है। सूचना मिलते ही से बजे शहर में हवाई हमले की सूचना प्राप्त हुई। इंसीडेंट रिस्पांस सिस्टम (आईआरएस) के प्रभारी व डीएम सविन बंसल ने तत्काल शहरभर में खतरे का सायरन बजाने के निर्देश दे दिए। साथ ही खुद एनआईसी में बने कंट्रोल रूम में पहंुचकर आईआरएस की कमान सभाल ली। कुछ ही पलों में सभी संबंधित अधिकारी वहां पहुंच गए। साथ ही हवाई हमले के मद्देनजर यूपीसीएल के माध्यम से ब्लैक आउट करा दिया गया। दुश्मन के लड़ाकू विमान के सीमा में प्रवेश करते ही ठीक 4ः15 बजे नागरिक सुरक्षा संगठन ;सिविल डिफेंस) ने उंची-नीची आवाज में लगातार दो मिनट तक सायरन बजाकर शहरवासियों को हवाई हमले का रेड सिग्नल दिया। हमलावर विमानों के लौटने की सूचना आने पर शाम करीब 4ः50 बजे सिविल डिफेंस ने दो मिनट तक लगातार उंची आवाज में सायरन बजाकर ग्रीन सिग्नल दिया।

आईएसबीटी और एमडीडीए कॉलोनी में हमले से नुकसान दर्शाया, रेस्क्यू टीमें जुटीं

इस बीच, कंट्रोल रूम को आईएसबीटी और एमडीडीए कॉलोनी देहरादून मे बमबारी की सूचना मिली। एमडीडीएम कॉलोनी में मिसाइल हमले से एक बिल्डिंग ध्वस्त हो गई, जहां कई लोग मलबे में दब गए। करीब 10 मिनट के भीतर रेस्क्यू टीमों ने मौके पर पहुंच कर खोज एवं बचाव अभियान शुरू कर दिया। फायर ब्रिगेड ने बिल्डिंग में लगी आग को बुझाया। पुलिस ने पूरे इलाके को घेर कर रेस्क्यू टीमों के लिए रास्ता बनाया। पहले एसडीआरएफ व मेडिकल टीमों और करीब 5ः15 बजे एनडीआरएफ व बीएसएफ के जवानों ने घायलों को निकालकर अस्पताल पहुंचाया। घटना में पांच लोगों को मृत व 23 को घायल दिखाया गया। कॉलोनी के क्षतिग्रस्त हो गए अन्य फ्लैट्स से 10 पुरुष, 14 महिला और 12 बच्चों सहित कुल 36 लोगों को शेल्टर होम पहुंचाया गया। जबकि, आईएसबीटी में बमबारी से भगदड़ मच गई। इसमें दो लोग मृत, जबकि पांच घायल दर्शाए गए।

पब्लिक को रेड और ग्रीन सिग्नल देने के लिए पांच स्थानों पर बजे इलेक्ट्रिक सायरन, दो जगह मैनुअल

 

राजधानी में इस वक्त पांच बिल्डिंगों के ऊपर ही सायरन लगे हैं। इनमें डीएम ऑफिस, लक्खीबाग पुलिस चौकी, धारा चौकी, आराघर चौकी और एनआईवीएच बिल्डिंग शामिल है। डीबीएस कॉलेज के प्रिंसिपल ऑफिस के ऊपर भी पूर्व में सायरन था, लेकिन कुछ समय पूर्व ऑफिस बिल्डिंग नई बन जाने के बाद इसे हटा दिया गया। चूंकि, मॉकड्रिल सात स्थानों पर हुई, जिनमें मुख्य आईएसबीटी व उससे सटी एमडीडीए कॉलोनी थी। ऐसे में इन दोनों जगह सिविल डिफेंस ने स्टैंड वाले मैनुअल सायरन इस्तेमाल किए।

एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, बीएसएफ और पुलिस समेत ये बने मॉकड्रिल का हिस्सा

एमडीडीए कॉलोनी में करीब पौने दो घंटे चले मॉकड्रिल का कॉर्डिनेशन एसडीएम सदर हरि गिरि बतौर इंसीडेंट ऑफिसर कर रहे थे। सिविल डिफेंस के दक्षिणी प्रभाग के प्रभागीय वार्डन सूर्य प्रकाश भट्ट, सीओ अनिल जोशी, भारत स्काउट गाइड के सचिव रविंद्र काला, सिविल डिफेंस के पूर्व दुर्घटना नियंत्रण अधिकारी अनिल वर्मा, रेडक्रॉस उत्तराखंड के कोषाध्यक्ष मोहन खत्री, सिविल डिफेंस व रेडक्रास से जुड़े योगेश अग्रवाल भी इस ड्रिल में शामिल हुए। इसके अलावा पुलिस, फायर सर्विस, होमगार्ड्स, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, बीएसएफ के जवान, एनसीसी की गर्ल्स कैडेट्स, सिविल डिफेंस व रेडक्रॉस के स्वयं सेवक और स्वास्थ्य विभाग, परिवहन विभाग व जल संस्थान समेत विभिन्न महकमों की टीमें भागीदार रहीं।

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