शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने दिया मूल निवास-भूकानून आंदोलन को समर्थन
हरिद्वार। मूल निवास-भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के मूल निवास स्वाभिमान आंदोलन को ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने समर्थन दिया है। उन्होंने संघर्ष समिति की टीम को आंदोलन की सफलता के लिए शुभकामनाएं दीं।
समन्वय संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने लिया शंकराचार्य से आशीर्वाद
चंडीघाट में मूल निवास-भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि संघर्ष समिति के पदाधिकारियों को आशीर्वाद देते हुए शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि समिति की मांगें न्यायोचित और संवैधानिक हैं। मांगों का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को जल्द इन मांगों को मान लेना चाहिए। उन्होंने समिति के पदाधिकारियों से कहा कि इसी तरह जनहित के मुद्दे उठाकर राज्य के विकास में अग्रणी भूमिका निभाएं।
शीतकालीन यात्रा की पहल को संघर्ष समिति ने बताया ऐतिहासिक कदम

डिमरी ने कहा कि हमारी टीम सनातन धर्म के शिखर पुरुष और क्रांतिकारी साधु के रूप में देश में विख्यात शंकराचार्य से आशीर्वाद पाकर अभिभूत है। निश्चित रूप से उनसे मिली सकारात्मक ऊर्जा हमारा आत्मबल बढ़ाएगी। संघर्ष समिति के संयोजक ने शीतकालीन चारधाम यात्रा शुरू करने की शंकराचार्य की मुहिम का समर्थन किया। डिमरी ने कहा कि पूर्व में भी सरकारों ने शीतकालीन यात्रा शुरू करने की पहल की थी, लेकिन इसके पीछे सरकार के अपने निहितार्थ थे। जब कोई संत यात्रा का श्रीगणेश करता है, तो वह निस्वार्थ होती है।
समिति के सह संयोजक लूशुन टोडरिया ने कहा कि शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का शीतकालीन चारधाम यात्रा पुनर्जीवित करने का कार्य ऐतिहासिक है। इस कार्य से न सिर्फ देश भर में लोगों को चारों धामों के शीतकालीन प्रवास के बारे में जानकारी मिलेगी, बल्कि स्थानीय लोगों के भी रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। लूशुन टोडरिया ने कहा यह हमारा सौभाग्य है कि हिमालय की संस्कृति और समाज को बचाने के आंदोलन में संघर्ष समिति को शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का आशीर्वाद मिला, जिससे हमारा जनहित के कार्य करने में और भी मनोबल बढ़ गया है। पौड़ी गढ़वाल के पोखड़ा ब्लॉक के पूर्व प्रमुख व संघर्ष समिति के सदस्य सुरेंद्र रावत ने कहा कि शंकराचार्य के आशीर्वाद से हम अपने आंदोलन को जन-जन तक ले जाएंगे। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य ने हमेशा ही अन्याय का प्रतिकार किया है। उनकी प्रेरणा से मूल निवास-भू कानून आंदोलन निरंतर बढ़ता रहेगा।

