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हनुमानजी उठा ले गए थे संजीवनी पहाड़, बलशाली एमडीडीए ‘हनुमान चौक’ ही उठा लाया

देहरादून। त्रेता युग में बलशाली हनुमानजी संजीवनी की पहचान न कर पाने पर पूरा द्रोणागिरी पर्वत ही उठा लाए थे। कलयुग में एमडीडीए इतना बलशाली हो गया कि हनुमानजी के नाम पर बने ‘हनुमान चौक’ को ही उठा ले गया। वह भी आसपास नहीं, पूरे ढाई-तीन किलोमीटर दूर। यह थोड़ा अटपटा जरूर लग सकता है, लेकिन है सच। अधिकारियों की लापरवाही, व्यापारियों के मौन और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी से न केवल ‘हनुमान चौक’ ही कहीं का कहीं पहुंचा दिया गया है, अपितु ‘धर्मपुर’ से भी ‘शर्मनाक छेड़छाड़’ और ‘भद्दा मजाक’ किया गया है।

दरअसल, प्रदेश की पुष्कर सिंह धामी सरकार 8-9 दिसंबर को देहरादून में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट आयोजित कर रही है। इसके लिए राजधानी को सजाया-संवारा जा रहा है। इसी के तहत जौलीग्रांट एयरपोर्ट से एफआरआई तक शहर के प्रमुख मार्गों पर स्थित बाजारों में दुकानों पर एक ही रंग व आकार के साइन बोर्ड लगाए जा रहे हैं। यह कार्य मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) करा रहा है। इस कार्य में इस कदर लापरवाही बरती जा रही है कि तमाम बाजारों और मार्गों पर हास्यास्पद स्थिति उत्पन्न हो गई है। यही नहीं, दशकों पुराने और प्रचलित नामों को मनमाने ढंग से बदल दिया गया है। हरिद्वार रोड पर आराघर और धर्मपुर के बाजारी क्षेत्र में इस लापरवाही के एक नहीं कई उदाहरण देखने को मिल रहे हैं।

‘आराघर’ को बना दिया ‘हनुमान चौक’

हरिद्वार रोड पर सीएमआई चौक से आगे से लेकर उनियाल-अग्रवाल बेकर्स के नजदीक तक का पूरा आवासीय और बाजारी क्षेत्र आराघर कहलाता है। इसका यह नाम आज से नहीं, स्वतंत्रता के तत्काल बाद से है। एमडीडीए की ओर से इस क्षेत्र में स्थित दुकानों के साइन बोर्ड भी बदले गए हैं। लेकिन, इन साइन बोर्ड में ‘आराघर’ का कहीं उल्लेख ही नहीं है। सभी बोर्ड पर दुकान के नाम के नीचे बाजार का पता ‘हनुमान चौक, देहरादून’ कर दिया गया है। हनुमान चौक नाम से एक ही क्षेत्र अस्तित्व में है। वह भी आज से नहीं, एक-डेढ़ सदी पहले से। किंतु, उसकी दूरी आराघर से तकरीबन ढाई-तीन किलोमीटर है।

मीट-मच्छी की दुकान के साथ भी कर दिया ‘हनुमानजी’ के नाम का इस्तेमाल

साइन बोर्ड बनाते और लगाते वक्त इस कदर गंभीर चूक की गई है, जो कई लोगों की आस्था पर ठेस पहुंचाने वाली है। हनुमान चौक नाम पीपलमंडी, बाबूगंज, रामलीला बाजार और मोतीबाजार आदि क्षेत्रों के बीच व्यस्त बाजारी क्षेत्र में स्थित हनुमानजी के मंदिर के कारण अस्तित्व में आया। जहां हनुमानजी का नाम यानी हनुमान चौक है, वहां मांस-मदिरा की दुकानें होने का प्रश्न ही नहीं। इस तरह की कोई भी दुकान वहां नहीं है, जिसके बोर्ड पर हनुमानजी का नाम इस्तेमाल हो। लेकिन, आराघर को ‘हनुमान चौक’ बना देने वलों ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया और न एमडीडीए अधिकारियों ने। आराघर में मांस-मच्छी और मदिरा की कई दुकानें हैं। ऐसे में यहां एकाधिक साइन बोर्ड में उपर मीट-मच्छी आदि की दुकान का नाम है और उसके ठीक नीचे ‘हनुमान’ चौक दर्ज है। जबकि, ये सभी दुकानें आराघर नाम से ही चल रही थीं, लेकिन एमडीडीए की ओर से साइन बोर्ड बनवाने में की गई गलती ने अजीब स्थिति पैदा कर दी है। एक स्थानीय दुकानदार का कहना है कि बोर्ड लगाने वालों को कई दुकानदारों ने बताया भी कि ’गंभीर’ किस्म की गल्तियां कर दी गई हैं, लेकिन वे सुनने को तैयार ही नहीं हैं।

हरिद्वार रोड का जिक्र नहीं, धर्मपुर को बना दिया ‘धर्म रोड’

इन्वेस्टर्स समिट के मद्देनजर बाजारों के सौंदर्यीकरण के लिए लगाए जा रहे दुकानों के इन नए एकरूपाकार बोर्ड में कहीं भी हरिद्वार रोड का जिक्र नहीं है। पिं्रस चौक से रिस्पना पुल और उससे आगे भी हरिद्वार तक पूरी सड़क हरिद्वार रोड ही कहलाती है, जिस पर बीच-बीच में पुराने स्थानीय नाम व पहचान वाले छोटे-छोटे बाजार स्थित हैं। आराघर स्थित लक्ष्मीनारायण (हनुमान) मंदिर और धर्मपुर चौक के बीच कई दुकानों के बोर्ड पर नाम के नीचे ‘धर्म रोड देहरादून’ दर्ज किया गया है। जबकि, ‘धर्म रोड’ नाम की कोई जगह पूरे देहरादून में कहीं अस्तित्व में नहीं है।

श्रीदेव सुमन चौक की मिटा दी पहचान, अवैध मंडी के नाम किया धर्मपुर चौक

दुुकानों के साइन बोर्ड के मामले में यह लापरवाही और नामों से छेड़छाड़ सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। ऐन धर्मपुर चौक टिहरी जनक्रांति के नायक अमर शहीद श्रीदेव सुमन की पहचान भी खत्म कर दी गई है। यहां चौक पर दुकानों के बोर्ड पर ‘मंडी चौक, धर्मपुर’ अंकित किया गया है। जबकि, ‘धर्मपुर चौक’ नाम दशकों पुराना और देहरादून ही नहीं, पूरे गढ़वाल मंडल में जाना जाता रहा है। इस चौक का नाम सुमन नगर मुहल्लेवासियों की मांग पर तत्कालीन पार्षद व राज्य आंदोलनकारी गणेश डंगवाल के प्रस्ताव को पारित करते हुए नगर निगम के पहले निर्वाचित बोर्ड ने सर्वसम्मति से ‘श्रीदेव सुमन चौक’ कर दिया था। सुमन नगर मुहल्ला वही क्षेत्र है, जहां वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत तब रहते थे और उक्रांद के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष बीडी रतूड़ी अब भी रहते हैं। हालांकि, लोगों की जुबां पर अब भी धर्मपुर चौक नाम ही चढ़ा हुआ है।

शहर की पुरानी पहचान और उत्तराखंडी व्यक्तित्वों के नाम के साथ भद्दा मजाकः डंगवाल

पूर्व पार्षद गणेश डंगवाल इस स्थिति के लिए अधिकारियों की लापरवाही और जनप्रतिनिधियों के मौन को जिम्मेदार मानते हैं। उनका कहना है कि एमडीडीए की ओर से लगवाए जा रहे साइन बोर्डों ने न शहीद श्रीदेव सुमन का नाम रहने दिया और न धर्मपुर चौक का। उसने इस चौक की पहचान उस मंडी के नाम पर कर दी हैै, जो अवैध है-अतिक्रमण है। बकौल डंगवाल, धर्मपुर सब्जी मंडी (चौक से 100-150 मीटर दूर) सड़क पर लग रही है, जिसे नगर निगम अतिक्रमण और अवैध मानता है। साल-2005 में जब हाईकोर्ट के निर्देश और कोर्ट कमिश्नर राजेंद्र कोटियाल की निगरानी में शहर में अतिक्रमण हटाया जा रहा था, तब धर्मपुर में सड़क पर लगने वाली इस मंडी को अवैध करार देते हुए हटाने के आदेश भी हुए थे। नगर निगम ने मंडी को नेहरू कॉलोनी में एलआईसी ऑफिस के नजदीक शिफ्ट किया था, लेकिन अब भी यह धर्मपुर में अवैध रूप से संचालित हो रही है। डंगवाल का कहना है कि सरकारी महकमा नामों से छेड़छाड़ कराकर शहर की पुरानी पहचान मिटाने के साथ ही राज्य के शहीदों-महान व्यक्तियों के नाम के साथ भी अपमानजनक और भद्दा मजाक करवा रहा है।

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