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विजयदशमी पर दहन किए गए लंकेश के पुतले, पूजा पंडालों से सिंदूरखेला के साथ देवी प्रतिमाओं की हुई विदाई

देहरादून। प्रदेशभर में मंगलवार को विजयादशमी का पर्व श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। राजधानी देहरादून के परेड मैदान समेत प्रदेश के विभिन्न शहरों में तमाम स्थानों पर बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के तौर पर रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाए गए। वहीं, बंगाली समाज ने सुबह सिंदूरखेला के बाद देवी प्रतिमा को भावभीनी विदाई देते हुए पवित्र नदियों में विसर्जन किया।

राजधानी में विजयादशमी का मुख्य समोराह ऐतिहासिक परेड मैदान में आयोजित किया गया, जहां हजारों लोगों की मौजूदगी में पहले लंका और फिर रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन किया गया। दशहरा कमेटी (बन्नू बिरादरी) की ओर से इस बार 76वां दशहरा महोत्सव मनाया गया था, जिसमें रावण का 131 फीट ऊंचा पुतला लगाया गया था। रावण और लंका दहन से पूर्व शोभायात्रा निकाली गई, जो विभिन्न मार्गों से होती हुई परेड मैदान पहुंची।

समारोह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, विधायक विनोद चमोली, मेयर सुनील उनियाल गामा, दशहरा कमेटी के अध्यक्ष संतोख नागपाल, पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशोक वर्मा आदि मौजूद रहे।

इसके अतिरिक्त लक्ष्मण चौक स्थित हिंदू नेशनल स्कूल और इंदिरानगर स्थित पार्क में भी दशहरा मेला आयोजित किया गया। दोनों स्थानों पर हजारों लोगों की मौजूदगी में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन किया गया। इससे पहले शोभायात्रा निकाली गई और बच्चों ने आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। देहरादून के अतिरिक्त विकासनगर, ऋषिकेश, रूड़की, हरिद्वार समेत कई अन्य शहरों में भी दशहरा मेला के बीच रावण दहन हुआ।

जारी कर दिए क्षमता से ज्यादा पास

परेड मैदान में बन्नू बिरादरी की दशहरा कमेटी ने काफी संख्या में संख्या पास (कार्ड) और वीआईपी पास (प्लास्टिक कोटेड कार्ड) जारी कर दिए। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत परेड मैदान के सौंदर्यीकरण के बाद मैदान का आकार पहले की अपेक्षा काफी सीमित हो चुका है। ऐसे में पासधारकों की भीड़ बढ़ने और पुलिस की लापरवाही से प्रवेशद्वारों पर अव्यवस्था उत्पन्न हो गई। वीआईपी पास पर एंट्री गेट कान्वेंट रोड की ओर से दर्शाया गया था, जबकि अन्य में दून क्लब के सामने वाले गेट से। शाम पांच बजने से पहले ही पुलिस ने मुख्यमंत्री व अन्य मंत्रियों की आवभगत के लिए कान्वेंट रोड की ओर वाले गेट से एंट्री बंद कर दी। पूरी भीड़ को दून क्लब के सामने वाले गेट की ओर भेज दिया गया। वहां भी पुलिस ने गेट बंद कर दिया। सैकड़ों की संख्या में पासधारक गेट पर पुलिस के जूझते रहे। गनीमत यह रही कि गेट पर भीड़ का दबाव बढ़ने के बावजूद किसी तरह का हादसा नहीं हुआ।

उधर, मुख्यमंत्री का काफिला मैदान में जाने के बाद पुलिस ने कान्वेंट रोड की दिशा वाले गेट से कुछ अफसरों और पुलिस अफसरों के परिवारों को बिना पास के ही अंदर एंट्री करा दी। जब कुछ लोगों ने दशहरा कमेटी की ओर से जारी वीआईपी पास से एंट्री का प्रयास किया, तो पुलिस ने यह कहते हुए किसी को भी प्रवेश देने से इनकार कर दिया कि इस गेट से वीआईपी पासधारकों की एंट्री मना है और यहां से प्रवेश के लिए ‘वीवीआईपी’ पास जारी किए गए हैं। इक्का-दुक्का वीवीआईपी पासधारकों को ही गेट से एंट्री करने दी गई। मैदान के चारों ओर जोर फुटपाथ बने थे, वहां दुकानें लगवा दी गई थीं। इससे भीड़ का दबाव सड़कों पर रहा। वहीं, कान्वेंट रोड और क्रास रोड पर रावण दहन के साथ ही पुलिस ने ट्रैफिक भी खोल दिया। इससे और ज्यादा अव्यवस्था हो गई और सड़कें पूरी तरह जाम हो गईं।

सिंदूरखेला के साथ पूजा पंडालों से हुई देवी प्रतिमाओं की विदाई

इस बीच, मंगलवार को पूजा पंडालों में सिंदूरखेला के साथ ही देवी प्रतिमाओं को विदाई दी गई। करनपुर स्थित बंगाली लाईब्रेरी, कांवली रोड स्थित कालिंदी एनक्लेव, आराघर स्थित कालीबाड़ी, माल रोड स्थित दुर्गाबाड़ी समेत शहर के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित पंडालों में सुबह देवी की विशेष पूजा अर्चना के बाद सिंदूरखेला का आयोजन हुआ। दूनघाटी मां दुर्गा सेवा समिति की ओर से कालिंदी एन्क्लेव में आयोजित सार्वजनिक दुर्गापूजा समारोह के तहत विजयादशमी पर सिंदूरखेला के बाद देवी को विदाई दी गई। भव्य शोभायात्रा के बाद श्रद्धालु प्रतिमाओं को गंगा में विसर्जन के लिए हरिद्वार ले गए। समिति के संरक्षक धर्म सोनकर, अध्यक्ष रामपद जाना, सचिव अनंत आकाश, डॉ. आरके सिन्हा, कोषाध्यक्ष निमई जाना समेत काफी श्रद्धालु मौजूद रहे।

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