सावधानः कहीं आप भी तो नहीं ले रहे नकली कैप्सूल! दून और हरिद्वार की नकली दवाइयां पहुंच रहीं कई राज्यों में
देहरादून। अक्सर आपने लोगों को कहते सुना होगा कि लंबे समय से दवा ले रहे हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा। यदि आराम हो भी रहा, तो बहुत धीमी गति से। पर, क्या कभी आपको यह नहीं लगा कि जो दवा वे ले रहे हैं, वह वास्तव में दवा है भी? कोई दूसरा क्यों…! कहीं आप खुद भी तो जाने-अनजाने दर्द-बीमारी में नकली दवा ही तो नहीं गटक रहे? क्योंकि, नकली दवा सिर्फ उत्तराखंड के दवा स्टोरों तक ही सीमित नहीं है। इसकी सजह उपलब्धता दिल्ली, लखनऊ और कोलकाता जैसे बड़े शहरों के दवा स्टोरों तक है। नकली दवा के अवैध धंधे का विस्तार कितना बड़ा है, इसका अंदाजा देहरादून पुलिस और एसओजी की इस कार्रवाई से चलता है, जिसमें नकली दवा फैक्टरी का भंडाफोड़ करते हुए एक झटके में ही 29 लाख से ज्यादा तैयार नकली कैप्सूल जब्त किए गए।
आरोपियों और 29 लाख नकली कैप्सूल समेत ऐसे पकड़ में आई दवा फैक्टरी
नकली दवा उत्पादों और वितरकों के देशव्यापी नेटवर्क का एक हिस्सा देहरादून पुलिस और उसके स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की पकड़ में तब आया, जब खुद नामी दवा निर्माता कंपनी जगसनपाल फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड ने शिकायत की। कंपनी के गुड़गांव निवासी डिप्टी मैनेजर विक्रम रावत ने शनिवार को देहरादून पुलिस को शिकायत दी कि यहां अमन विहार के एसएस मेडिकोज के प्रोपराइटर सचिन शर्मा अन्य अज्ञात व्यक्तियों के साथ मिलकर उनकी कंपनी के नाम से नकली और मिलावटी दवाएं बेच रहा है। मामले में रायपुर थाने में धोखाधड़ी समेत विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। इसके बाद एसएसपी अजय सिंह के निर्देश पर सीओ डोईवाला अभिनय चौधरी के नेतृत्व में पुलिस और एसओजी की संयुक्त टीम गठित कर छापेमारी शुरू की गई। पुलिस टीम ने नामजद आरोपी 40 वर्षीय सचिन शर्मा पुत्र नरेंद्र कुमार शर्मा निवासी अशोकापुरम निकट गोदावरी होटल दिल्ली रोड थाना मंगलौर, रुड़की (हरिद्वार) हाल पता- अमेजन कॉलोनी, सहस्त्रधारा रोड़ देहरादून को उसके पार्टनर 32 वर्षीय विकास पुत्र उदयवीर निवासी ग्राम बेड़ाआसा तहसील जानसठ थाना सिखेडा जिला मुजफ्फरनगर (यूपी) हाल पता- अमेजन कॉलोनी सहस्त्रधारा रोड देहरादून को पॉलीटेक्निक रोड रायपुर से रेंज रोवर गाडी के साथ गिरफ्तार कर लिया। गाड़ी में रखी इंडोकैप व इंडोकैप एसआर नामक दवा के 24 बॉक्स जब्त किए गए, जिनमें कुल 7200 नकली कैप्सूल थे। उनकी निशानदेही पर पुलिस ने हरिद्वार जिले में झबरेड़ा इलाके के मकदुमपुर गांव में स्थित उनकी नकली दवा फैक्टरी और सचिन के रूड़की के गोदावरी स्थित फ्लैट पर छापा मारकर वहां से भारी मात्रा में नकली दवाइयां, नकली दवा बनाने के उपकरण, कच्चा माल और अन्य सामग्री बरामद की। नकली दवा फैक्टरी को सील कर दिया गया।
एक भगवानपुर की दवा फैक्टरी में रहा सुपरवाइजर, दूसरा हरिद्वार में करता था मार्केटिंग
रविवार को देहरादून के एसएसपी अजय सिंह ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके इस बड़े भंडाफोड़ की जानकारी मीडिया को दी। उन्होंने दोनों आरोपियों से पूछताछ के आधार पर बताया कि सचिन शर्मा और उसका पार्टनर विकास दोनों एक-दूसरे को पहले से जानते हैं। सचिन पूर्व में भगवानपुर (हरिद्वार) स्थित स्टेफफोर्ड लैबोरेट्री लिमिटेड में सुपरवाईजर था, जहां दवाईयां बनती हैं। जबकि, विकास जगसन पाल फार्मास्युटिकल कंपनी का हरिद्वार में मार्केटिंग का काम करता था। कोरोनाकाल में दोनों की नौकरी छूट गई। एसएसपी के मुताबिक, इसके बाद दोनों ने जैगसन पॉल कंपनी और वर्लटर बूसनल कंपनी की नकली दवाईयां तैयार कर मार्केट में बेचकर करोड़ों कमाने का प्लान बनाया। चूंकि, दोनों पूर्व में दवा कंपनियों से जुड़े रहे हैं, इसलिए उन्हें यह जानकारी थी कि दवा कैसे तैयार होती है।
देहरादून के सहस्त्रधारा रोड स्थित अमन विहार की एसआर मेडिकोज से चलता था सप्लाई का धंधा
एसएसपी के अनुसार, दिसंबर-2022 में सचिन ने एसआर मेडिकॉज नाम से फर्म खोली। इसमें विकास भी पार्टनर है। दोनों प्रॉफिट को 50-50 प्रतिशत बराबर बांट लेते हैं। दोनों ने इसके बाद उक्त कंपनी के नाम की नकली दवाएं अपनी मकदूमपुर गांव स्थित फैक्टरी में तैयार करना शुरू किया। बकौल एसएसपी, ये मुंबई कि रोलेक्स फार्मा से कच्चा माल खरीदते थे, जिसका भुगतान ऑनलाइन किया जाता था। कच्चा माल वहां से विजयलक्ष्मी ट्रांसपोर्ट के जरिए रुड़की आता था, जिसे वहां से वे अपनी नकली दवा फैक्टरी में ले जाते थे। कच्चे माल की डिलीवरी हफ्ते में ली जाती थी। इसके बाद सचिव व विकास कपंनियों की दवाओं के नाम पर उनके कंपजोजिशन के आधार पर कुछ मात्रा कम करके भरकर कैप्सूल तैयार करते थे। इसकी सेल एसएस मेडिकोज के जरिए की जाती थी। एसएस मेडिकोज के लिए सचिन ने अपने नाम पर पिछले साल ड्रग लाईसेंस लिया। अमन विहार सहस्त्रधारा रोड स्थित फर्म से उक्त नकली दवाइयों को दिल्ली, लखनऊ व कोलकाता समेत विभिन्न शहरों तक डीलरों और मेडिकल स्टोरों तक भेजते थे। विकास के मार्केटिंग में होने के कारण पहले से ही डीलरों से संपर्क थे। हफ्ते में नकली दवाई की 10 पेटी यानी करीब 200 डिब्बे तैयार करके वे सप्लाई कर लेते हैं, जिससे उन्होंने करोड़ों की आय और संपत्तियां अर्जित की हैं। इसी से सचिन ने रेंज रोवर कार, विकास ने रुड़की में 35 लाख रुपये का प्लॉट व 12 लाख रुपये की किया सोनेट कंपनी की गाड़ी खरीदी। इसके अलावा उषा एन्क्लेव में 50 लाख रुपये का मकान और मकदूनपुर में फैक्ट्री के लिए 4 बीघा जमीन भी उन्होंने ली है, जिस पर फैक्टरी को विस्तार देने का प्लान था। सचिन उक्त नकली दवाओं के लिए रेपर दिल्ली व भगवानपुर में एक व्यक्ति से प्रिंट कराता है, जो उन्हें यह 800 रुपये किलो के हिसाब से प्रिंट करके देता है।
छापे के दौरान दून पुलिस और एसओजी ने यह की बरामदगीः
एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि छापेमारी के दौरान इंडोकैप एसआर नाम से बनाए गए नकली कैप्सूल की 20 पेटियां पकड़ी गईं। इन 20 पेटियों में 2500 डिब्बे थे, जिनमें कुल 7 लाख 50 हजार नकली कैप्सूल, नीले प्लास्टिक के 7 डिब्बों में रखे कुल 9 लाख 1 हजार नकली कैप्सूल, काले रंग की 11 प्लास्टिक की थैलियों में रखे 12 लाख 82 हजार 600 कैप्सूल, खाली कैप्सूल बॉक्स के 3 हजार रैपर, 1 लाख खाली कैप्सूल, नकली दवा बनाने की मशीनें व अन्य उपकरणों समेत काफी सामान बरामद हुआ। आरोपियों का करोड़ों का ट्रांजक्शन भी फ्रीज करा दिया गया है।
दर्द निवारक के तौर पर इस्तेमाल होती है इंडोकैप, हरिद्वार जिला बना नकली दवा उत्पादन का हब
बताया जाता है कि इंडोकैप एसआर कैप्सूल दर्द निवारक दवा है, जिसका इस्तेमाल विभिन्न तरह के दर्द में राहत के लिए किया जाता है। आमतौर पर इसे गठिया, स्पॉंडलाइटिस, सूजन और जोड़ों के दर्द मस्कुलर पेन आदि में लिया जाता है। कुछ मामलों में जोड़ों और हड्डी की सर्जरी के बाद भी दर्द निवारक के तौर पर इन्हें इस्तेमाल किया जाता है। यहां यह उल्लेखनीय है कि ड्रग विभाग और स्वास्थ्य महकमे की अनदेखी के कारण हरिद्वार जिला नकली दवा उत्पादन का हब बनता जा रहा है। पूर्व में यहां कई नकली दवा फैक्टरियां, गोदाम और सप्लाई पुलिस पकड़ चुकी है।

