उत्तराखंडराजनीति

गैरसैंण में उक्रांद ने लिखी नई इबारत, 44 साल में पहली बार वोट के जरिए चुना अध्यक्ष, कठैत को कमान

गैरसैंण। प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण से उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) ने ‘आंतरिक लोकतंत्र’ की नई इबारत खिलने या कहें, अपने कायाकल्प की शुरूआत की है। उसी गैरसैंण से, जहां 90 के दशक के प्रचंड उत्तराखंड आंदोलन की शुरूआत से भी करीब दो साल पहले 1992 में यूकेडी ने तब चंद्रनगर नाम से जनभावना की राजधानी का शिलान्यास किया था। पेशावर कांड के नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के नाम पर इसे नाम दिया गया था, चंद्रनगर। नई इबारत इस मायने में कि 44 साल के लंबे इतिहास में उक्रांद ने पहली बार अपना अध्यक्ष वोट के जरिए चुना। अध्यक्ष के तौर पर भी वर्षों की जड़ता टूटी है। पिछले तीन-चार दशकों के परंपरागत अध्यक्षीय चेहरों से इतर नया चेहरा सामने लाया गया है। चार प्रत्याशियों में सर्वाधिक मत प्राप्त कर पूरण सिंह कठैत दल के नए केंद्रीय अध्यक्ष चुन लिए गए।

25 जुलाई 1979 को मसूरी के पूर्व पालिकाध्यक्ष स्व. हुकुम सिंह पंवार के अनुपम होटल में जन्मी यूकेडी का तब एकमात्र एजेंडा तत्कालीन 8 पर्वतीय जिलों के उत्तराखंड राज्य निर्माण के संघर्ष को निर्णायक मुकाम तक पहुंचाना था। कुमाऊं विश्विविद्यालय के कुलपति रहे प्रो. डीडी पंत के अध्यक्षीय नेतृत्व में शुरू हुए उक्रांद के अब तक के सफर में काशी सिंह ऐरी, दिवाकर भट्ट, त्रिवेंद्र पंवार, स्व. विपिन त्रिपाठी, बीडी रतूड़ी, पूरण सिंह डंगवाल, डॉ. नारायण सिंह जंतवाल, पुष्पेश त्रिपाठी, प्रीतम पंवार आदि कई अध्यक्ष उक्रांद को मिले, लेकिन अधिकांश सालों में घूम-फिर कर अध्यक्ष की कुर्सी ऐरी, दिवाकर, त्रिवेंद्र आदि तीन-चार नेताओं तक ही सीमित रही। हर दो साल में उक्रांद का महाधिवेशन होता है। 22वां द्विवार्षिक महासम्मेलन रविवार को गैरसैंण स्थित भुवनेश्वरी महिला आश्रम के ‘स्वामी मनमंथन सभागार’ में हुआ। इसमें प्रदेश के सभी जिलों के उक्रांद जिलाध्यक्ष, वरिष्ठ नेता और मताधिकारप्राप्त डेलीगेट्स शामिल हुए।

संघर्ष के साथ संगठन पर भी फोकस करने का लिया संकल्प

यूकेडी के निर्वतमान केंद्रीय अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी की अध्यक्षता में आयोजित द्विवार्षिक अधिवेशन की शुरूआत दल के संरक्षक पर्वतीय गांधी स्व. इंद्रमणि बडोनी और पूर्व विधायक स्व. विपिन त्रिपाठी को श्रद्धासुमन अर्पित करने के साथ हुई। महाधिवेशन में राज्य के हालात पर चिंता जाहिर की गई। दल की दयनीय स्थिति पर भी मंथन हुआ। वक्ताओं ने संगठन को ग्रास रूट तक पहुंचाने के प्रति बरती गई उदासीनता को इसकी वजह माना। संगठन को ग्राम और नगर क्षेत्रों में बूथस्तर तक विस्तार देने पर जोर दिया गया। साथ ही दल के भीतर आंतरिक लोकतंत्र को मजबूत करने और नए व युवा चेहरों को नेतृत्वकारी भूमिका में लाने पर भी बल दिया गया। वक्ताओं ने राज्य में मजबूत क्षेत्रीय विकल्प को जरूरी मानते हुए उक्रांद को इस भूमिका में लाने के लिए कार्यकर्ताओं से जुट जाने का आह्वान किया। राज्य और राज्यवासियों की पहचान, संस्कृति, बोली-भाषा को बचाने के लिए जल-जंगल-जमीन के संरक्षण, सशक्त भू-कानून, मूल निवास और राजधानी गैरसैण जैसे मुद्दों पर जोरदार संघर्ष छेड़ने का संकल्प महाधिवेशन में व्यक्त किया गया। भविष्य में होने वाले परिसीमन को पहाड़ों के अनुकूल कराने के लिए संघर्ष पर जोर देते हुए कहा गया कि यदि परिसीमन के मानक इस सीमांत पहाडी राज्य की परिस्थितियों के अनुरूप न हुए तो राज्य का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। पहाड़ी क्षेत्रों में विकास के मॉडल की यहां की परिस्थितियों के अनुरूप समीक्षा करने, आपदा न्यूनीकरण, दुर्घटनाएं रोकने, गुलदारों समेत वन्यजीवों के हमलों से यहां के लोगों को बचाने, पलायन रोकने, आंदोलनकारियों को समुचित सम्मान देने और युवाओं को रोजगार मुहैया कराने जैसे मुद्दों पर भी मंथन हुआ।महाधिवेशन में पूर्व कैबिनेट मंत्री दिवाकर भट्ट, पूर्व अध्यक्ष त्रिवेंद्र पंवार, बीडी रतूड़ी, पूर्व विधायक डॉ. नारायण सिंह जंतवाल, पुष्पेश त्रिपाठी, दल के वरिष्ठ नेता लताफत हुसैन, सुरेंद्र कुकरेती, सरिता पुरोहित, उत्तरा पंत, लुशुन टोडरिया, मोहित डिमरी समेत कई नेताओं ने विचार व्यक्त किए।

पूरण सिंह कठैत ने 10 वोटों के अंतर से दर्ज की जीत

उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय अध्यक्ष पद पर इस बार भी पहले की तरह आम सहमति बनाने का प्रयास किया गया। चार नेता केंद्रीय अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी कर रहे थे। इन्हें अलग-अलग और फिर एक साथ भी बिठाया गया। बावजूद इसके, एक नाम पर सहमति नहीं बनी। इस पर मतदान कराए जाने का फैसला किया गया। चुनाव अधिकारी प्रताप कुंवर, समीर मुंडेपी व देवेंद्र चमोली की देखरेख में नामांकन से लेकर मतदान तक की प्रक्रिया पूरी हुई। अध्यक्ष पद पर पूरण सिंह कठैत, पंकज व्यास, एपी जुयाल और देवेश्वर भट्ट दावेदार थे। कुल 240 डेलीगेट्स ने मताधिकार का इस्तेमाल किया। इसमें पूरण सिंह कठैत अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी पंकज व्यास को 10 वोटों के अंतर से हराकर अध्यक्ष चुने गए। कठैत को 95 और व्यास को 85 वोट मिले। अन्य प्रत्याशियों में एपी जुयाल को 62 और देवेश्वर भट्ट को महज 7 वोट ही मिले। इस अवसर पर दल के शीर्ष नेता काशी सिंह ऐरी ने कहा कि उक्रांद में आंतरिक लोकतंत्र कितना मजबूत है, यह इस चुनाव से पता चलता है। अब दल की कमान युवाओं के हाथों में होगी।

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