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दीपनगर में ध्वस्त किए गए 8 मकान, अभियान का विरोध कर रहे लोगों को पुलिस ने खदेड़ा

देहरादून। रिस्पना नदी में साल-2016 के बाद हुए अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने के लिए मंगलवार को दूसरे दिन भी प्रशासन और पुलिस की मौजूदगी में नगर निगम का आभियान जारी रहा। अभियान के तहत दीपनगर इलाके में अतिक्रमण के तौर पर चिह्नित 8 मकानों को ध्वस्त कर दिया गया। इनमें कुछ दोमंजिले मकान भी थे। भीषण गर्मी भरी दोपहर में बेघर होने वाले परिवारों और उनके समर्थन में पहुंचे बस्तीवासियो ने जमकर हंगामा करते हुए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई का विरोध किया। पुलिस ने बाल प्रयोग करते हुए भीड़ को खदेड़ दिया।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेशों पर अमल करते हुए जिला प्रशासन और पुलिस की मौजूदगी नगर निगम प्रशासन ने सोमवार से यह अभियान आरंभ किया है। रिस्पना नदी को अवैध कब्जों से मुक्त कराने के लिए एनजीटी ने आदेश दिए हैं। 30 जून तक नगर निगम को एटीआर (एक्शन टेकन रिपोर्ट) एनजीटी को सौंपनी है। साल-2016 के बाद हुए अतिक्रमण इसके तहत चिह्नित किए गए हैं। ऐसे कुल 524 अवैध निर्माण चिह्नित किए गए हैं, जो ध्वस्त किए जाने हैं। इनमें सर्वाधिक 412 निर्माण मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) की रिवर फ्रंट की जमीन पर और 89 देहरादून नगर निगम की भूमि पर पाए गए हैं। 11 निर्माण मसूरी नगर पालिका के क्षेत्र में और 12 नॉन जेडए लैंड पर हैं। निगम ने पहले दिन 52 निर्माण ध्वस्त किए थे। इसके अतिरिक्त मंगलवार को 8 मकान ध्वस्त किए गए। इस तरह अब तक 60 अवैध कब्जे दो दिन में निगम हटा चुका है।

मंगलवार सुबह आरंभ हुआ दूसरे दिन का अभियान दोपहर तक चला। घर ध्वस्त हो जाने के कारण कुछ परिवारों के छोटे-छोटे बच्चे तेज धूप में खुले आसमान के नीचे बिलखते देखे गए, तो कुछ अपना सामान समेटने में जुटे दिखे। अधिकांश परिवारों का कहना था कि उन्होंने उक्त जमीन खरीद कर उस पर मकान बनाया, हालांकि वे इससे संबंधित पुख्ता कागजात प्रस्तुत नहीं कर पाए। निगम प्रशासन के अनुसार, बुधवार को बारीघाट क्षेत्र में अभियान चलेगा।

दूसरी ओर, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता अनंत आकाश व लेखराज के नेतृत्व में बस्तीवासियों ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के विरोध में नगर निगम में प्रदर्शन किया और नगर आयुक्त गौरव कुमार को ज्ञापन सौंपा। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि मजदूर बस्तियों में ध्वस्तीकरण किया जा रहा है, जबकि बड़े होटलों, बिल्डरों, सरकारी विभागों के अवैध कब्जों को नजरंदाज किया जा रहा है। वहीं, गबर सिंह बस्ती के लोगों ने भी अभियान के विरोध में नगर निगम में प्रदर्शन किया।

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