नेगीदा की आवाज पाकर पुनर्जीवित हुआ विल्सन परिवार पर सवा सौ साल पुराना लुप्तप्राय लोकगीत
देहरादून। उत्तराखंड की वादियों में तैरते लोकगीत धीरे-धीरे वक्त के धुंधलके में ओझल होने लगे हैं। इनमें कई गीत तो सदियों पुराने हैं। लेकिन, अब पहाड़ के शीर्ष लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने एक ऐसे गीत को अपनी आवाज में पुनर्जीवित किया है, जो सवा सौ साल से भी ज्यादा पुराना है और लुप्तप्राय हो चला था। उत्तरकाशी के हर्षिल क्षेत्र के चरवाहों का यह लोकगीत ब्रिटिशकाल में इस क्षेत्र में काफी ख्याति अर्जित करने वाले प्रसिद्ध व्यापारी फ्रेडरिक विल्सन के बेटों धराली गांव के नाथू विल्सन और हेनरी विल्सन और स्थानीय पहाड़ी लड़कियों रूदा-गुदौरि (गोदावरी) की प्रेमगाथा पर आधारित है।
30 घंटे में ही यू-ट्यूब पर 30 हजार से ज्यादा बार देखा जा चुका गीत
गीत शनिवार सुबह नेगीदा के आधिकारिक यू-ट्यू ब चैनल पर रिलीज किया गया। यह लोकगीतों की मधुरता और नरेंद्र सिंह नेगी की आवाज का जादू ही है कि रिलीज के महज 30 घंटे के भीतर ही यू-ट्यूब पर इस गीत को 30 हजार से ज्यादा बार देखा जा चुका था। कुल 5 मिनट 47 सेकेंड के इस गीत में शुरू के 1 मिनट 50 सेकेंड के भीतर नेगी फ्रेडरिक विल्सन, उनके बेटों, प्रेम कहानी और इस पुरातन लोक गीत को ढूंढकर संजोए जाने से संबंधित विवरण देते हैं। इसके बाद करीब 4 मिनट गीत चलता है, जिसमें बेहतरीन पहाड़ी नक्काशी वाला देवदार की लकड़ी से बना विल्सन का वह बंगला भी नजर आता है, जो करीब एक दशक पहले भीषण अग्निकांड में हमेशा के लिए नष्ट हो चुका है। गीत में धराली और हर्षिल क्षेत्र के नयनाभिराम चित्रों और वीडियो के साथ ही उस दौर का फील कराने वाले रेखा चित्रों का भी प्रयोग किया गया है।
जानिए, विल्सन परिवार के बारे में
ब्रिटिश शिकारी और सेना से भागे फ्रेडरिक विल्सन 1840 में हर्षिल (उत्तरकाशी) आकर बस गए। कुछ समय बाद वे गढ़वाल के प्रसिद्ध वन ठेकेदार बन गए। हर्षिल से लकड़ी, खासकर देवदार के स्लीपर काटकर वे गंगा में बहाते हुए हरिद्वार समेत मैदानी क्षेत्रों में लाते थे। इस तरह वे दुनिया के इस हिस्से के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक बन गए। हर्षिल क्षेत्र में विल्सन के सेब के बागान और बंगला भी काफी प्रसिद्ध रहे। स्थानीय लोगों के बीच फ्रेडरिक ‘पहाड़ी विल्सन’ के नाम से भी लोकप्रिय हुए। विल्सन ने दो स्थानीय लड़कियों से शादी कर ली, जिनसे उन्हें तीन बेटे हुए- हेनरी, नाथू और चार्ल्स विल्सन। फ्रेडरिक के जीवनकाल में ही हेनरी, नाथू और चार्ल्स विल्सन तीनों का विवाह हुआ। 1883 में उनकी मृत्यु हो गई और उन्हें मसूरी के कैमल्स बैक रोड स्थित कब्रिस्तान में दफनाया गया। उनके तीन बेटे अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने में असफल रहे। हालांकि, विल्सन और उनके परिवार के पास हर्षिल, मसूरी, हरिद्वार और देहरादून में बड़ी संपत्तियां थीं।
देहरादून की एस्लेहॉल बिल्डिंग का निर्माण भी फ्रेडरिक विल्सन का कराया बताया जाता है। लेकिन, समय के साथ विल्सन की यादें धुंधली हो गई हैं। ऐसे में नेगीदा का गाया लोकगीत इतिहास के पन्नों में दफन विल्सन और उनके परिवार से जुड़े किस्सों को एक बार फिर लोगों के बीच लाया है।
शोधार्थी पत्रकार राजू गुसाईं के प्रयासों से सामने आया लुप्तप्राय लोकगीत
उत्तराखंड और इसके आसपास के इतिहास पर लगातार शोध करने वाले वरिष्ठ पत्रकार राजू गुसाईं विल्सन और उनके पुत्रों के बारे में भी पिछले एक-डेढ़ वर्ष से जानकारी जुटाने के लिए देहरादून-मसूरी से लेकर हर्षिल तक दौड़भाग कर रहे थे। इसी दौरान उन्हें धराली और हर्षिल क्षेत्र में कुछ पुराने लोगों से ‘नाथू विल्सन और रूदा-गोदारी’ की प्रेमगाथा पर आधारित गीत की पंक्तियां सुनने को मिलीं। यह पुराना लोकगीत इस क्षेत्र में चरवाहे कभी-कभार गाया करते थे। इस पर राजू ने हर्षिल के माधवेंद्र रावत और बालम दास से इस लोकगीत के पूरे बोल लिखवाए और फिर इसे लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी को सौंपा, जिसे नेगीदा ने अपनी आवाज दी है।
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‘जब मैं 1992 में उत्तरकाशी में तैनात था, तो मुझे हर्षिल में फ्रेडरिक विल्सन के बंगले पर जाने का मौका मिला। लकड़ी की पारंपरिक नक्काशी वाला यह बंगला अद्भुत था। लेकिन, उस समय किसी ने मुझे नहीं बताया कि विल्सन के परिवार के सदस्यों पर कोई लोकगीत भी है। हाल ही में मुझे पत्रकार मित्र राजू गुसाईं के माध्यम से यह गीत मिला और मैंने इसे सार्वजनिक करने का फैसला किया। लोकगीतों को डिजिटल बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए, अन्यथा वे हमेशा के लिए लुप्त हो जाएंगे।‘
— नरेंद्र सिंह नेगी, लोक गायक
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यह है पूरा गीत—
ताड़ी बुनी तांद 2 नाथू कौरा सैबा
तैरी धराली सुनी रौंदी रूदा गोदारी बांदा
पाकी जाली कोणी 2नाथू कौरा….
हरशिला न चली बुसेरी घोड़ी अस्वारी नाथू कौरा……
खुटू का खड़।वा 2 नाथू कौरा…
धराली पहुचिके ताड़ी पड़ी पड।वा नाथू कौरा …
लाठू काटी लं।बू 2 नाथू कौरा…
तड़ी तपड़ फुडू काना सजीगे तंबू नाथू कौरा..
पूज्यता पितरा 2 नाथू कौरा…
कनु जांदू नाथू शुय बुटु भीतर नाथू कौरा …
तड़ी बुण बल तांदा 2 नाथू कौरा…
लयाई छोड़ी तुमना रूदा गोदोरी बांदा नाथू कौरा …
बंदूकों कू गाज 2 नाथू कौरा..
रूदा गुदोरी लियाणी बंगला कू साज नाथू कौरा….