उत्तराखंड

नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री ने पर्यावरणीय सेवाओं के एवज में उत्तराखंड के लिए मांगा ग्रीन बोनस

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में यहां हुई नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की 8वीं बैठक में विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई। बैठक में देश के विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री, उपराज्यपाल, केंद्रीय मंत्री व आयोग के पदाधिकारी शामिल हुए। बैठक में हिस्सा लेते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर िसंह धामी ने राज्य से संबधित विभिन्न विषय रखे। उन्होंने राज्य के लिए ग्रीन बोनस की मांग की। साथ ही बाह्यी सहायतित परियोजनाओं के मामले में उत्तराखंड और हिमाचल के लिए केंद्रीय वित्त मंत्रालय की लगाई सीलिंग समाप्त करने की मांग भी बैठक में उठाई।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि लगभग 70 प्रतिशत क्षेत्र में वनों, बुग्यालों, ग्लेशियरों का संरक्षण करके उत्तराखंड संपूर्ण राष्ट्र को महत्वपूर्ण पर्यावरणीय सेवाएं उपलब्ध करा रहा है। आईआईएफएम (भोपाल) की एक स्टडी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इन सेवाओं का न्यूनतम मौद्रिक मूल्य 95 हजार करोड़ रुपये प्रतिवर्ष है। भविष्य में राज्यों के मध्य संसाधनों के आवंटन में इन वन एवं पारिस्थितिकी सेवाओं के मानक को बढ़ाने का उन्होंने अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक यह प्रणाली अस्तित्व में नहीं आती तब तक उत्तराखंड को ग्रीन बोनस प्रदान किया जाए। धामी ने कहा कि विभिन्न केंद्रपोषित योजनाओं में स्थिर जनसंख्या के मानक का उपयोग किया जाता है। जबकि, उत्तराखंड में वर्ष भर यात्रियों व पर्यटकों का आवागमन होता है, जो राज्य की जनसंख्या का पांच से छह गुना तक है। इन्हे राज्य के सीमित संसाधनों से ही सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। उन्होंने वित्तीय संसाधनों के आवंटन व नीति निर्माण में इस महत्वपूर्ण तथ्य को सम्मिलित करने का भी आग्रह किया।

उत्तराखंड और हिमाचल के लिए लागू वित्त मंत्रालय की सीलिंग हटाने की मांग
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की लगभग 19 हजार करोड़ रुपये की 11 बाह्य सहायतित परियोजनाएं पाइप लाइन में हैं। इन परियोजना प्रस्तावों पर नीति आयोग, डीईए, संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों से संस्तुति और फंडिंग एजेंसियों से सैद्धांतिक सहमति प्राप्त हो चुकी है। राज्य के वित्तीय संसाधन बहुत सीमित हैं, जिस कारण ईएपी और सीएसएस पर ही राज्य की निर्भरता है। वित्त मंत्रालय के आदेश के अनुसार, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के लिए इसमें सीलिंग लगाई गई है। इन परियोजनाओं में कटौती करने से राज्य में अवस्थापना सुविधाओं के सृजन और आजीविका के अवसर बाधित हो जाएंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री से से इसका समुचित समाधान करवाने का अनुरोध भी किया। उन्होंने 25 मेगावाट से कम क्षमता की परियोजनाओं के अनुमोदन और क्रियान्वयन का अधिकार राज्य सरकार को देने की मांग भी उठाई।

नदी जोड़ो परियोजना के लिए मांगी धनराशि, जुडेंगी राज्य की कई नदियां
मुख्यमंत्री ने बैठक में जानकारी दी कि महत्वाकांक्षी नदी जोड़ो योजना के अंतर्गत राज्य सरकार कुछ हिमनद नदियों को वर्षा आधारित नदियों से जोड़ने पर विचार कर रही है। ऐसी अति महत्वपूर्ण ‘नदी-जोड़ो परियोजना’ के क्रियान्वयन के लिए अत्यधिक धनराशि की आवश्यकता है। उन्होंने इसके लिए केंद्र सरकार से विशेष वित्तीय सहायता व तकनीकी सहयोग देने का अनुरोध किया। साथ ही केंद्रीय पोषित योजनाओं की गाइडलाइन को लचीला बनाने, औद्योगिक प्रोत्साहन नीति को उत्तराखंड में अगले पांच वर्षों के लिए विस्तारित करने का भी आग्रह बैठक में किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *